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जनाब ये ज़िन्दगी है आपको पूरा नहीं होने देगी! जी हाँ, शायद इसी में जीवन जीने की खूबसूरती भी है क्यूंकि जो पूरा हो गया वो आगे कैसे बढ़ेगा?
कह दूं तो बुरा मानेगी सह लूँ तो दफ़न हो जाएगी महफ़िल में जाऊँ तो फ़ज़ीहत करेगी तनहाई में मुस्कुराऊँ तो किलसेगी हाथ थामूं तो दामन छुड़ायेगी अकेले रहूं तो बहुत सताएगी नवाब बनूँ तो सादगी चाहेगी साधारण रहूँ तो उपहास बनवाएगी परिवार चाहूँ तो ज़रूरतें माँगेगी ज़रूरतें पूरी करूँ तो परिवार छीनेगी समझदारी चाहूँ तो बचपना देगी बचपना चाहूँ तो मासूमियत चुरा लेगी दिन माँगू तो रात देगी रात माँगू तो नींद छीन लेगी अपनों को माँगू तो आशिर्वाद नहीं देगी आशीर्वाद माँगू तो अपनों को नहीं देगी किसी के बदले किसी को छीन ही लेगी जनाब ये ज़िन्दगी है आपको पूरा नहीं होने देगी!
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