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सात फेरों की विदाई का ये सफर…

बड़े नाज़ों से पाला हमने इसको, हो जाए भूल कभी तो, बेटी समझ के भुला देना, सच कहते हैं आसान नहीं है, किसी को अपने जिगर का टुकड़ा देना...

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बड़े नाज़ों से पाला हमने इसको, हो जाए भूल कभी तो, बेटी समझ के भुला देना, सच कहते हैं आसान नहीं है, किसी को अपने जिगर का टुकड़ा देना…

जग ने हमारे ये रीत बनाई,
सच कहते बेटी होती पराई।

ये घड़ी भी मुद्दतों में आई,
किसी की बरसों की मन्नते रंग लाई।

बीते कल की यादें समेटे,
आने वाले कल की खुशियां मन में लिए,
फैली हवाओं में है खबर,
मेरी गुड़िया तय करने चली सात फेरों का सफर।

ममता की चौखट पे खड़ी मेरी लाडो से मिलने आना,
साथ अपने मुट्ठी भर भर दुआएं लाना,
बड़े नाज़ों से पाला हमने इसको,
हो जाए भूल कभी तो,
बेटी समझ के भुला देना,
सच कहते हैं आसान नहीं है,
किसी को अपने जिगर का टुकड़ा देना।

मूल चित्र : Manu_Bahuguna from Getty Images via Canva Pro

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