कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

हाँ, मैं सबको बताना चाहती हूँ कि मेरे दो बाप हैं…

मम्मी जब पलक कोचिंग की छुट्टी करती है, तब सारे बच्चे मुझे चिढ़ाते हैं, बोलते हैं तेरे दो पापा हैं, दो-दो पापा। मुझे बहुत बुरा लगता है।

मम्मी जब पलक कोचिंग की छुट्टी करती है, तब सारे बच्चे मुझे चिढ़ाते हैं, बोलते हैं तेरे दो पापा हैं, दो-दो पापा। मुझे बहुत बुरा लगता है।

“अंकल, इसकी क्या ज़रूरत थी? मम्मी मार्केट जाती तो ला देती।” अमन से अपनी स्टेशनरी का समान लेते हुए पलक ने कहा।

“अरे नहीं पलक कोई बात नहीं। अच्छा झलक कैसी है? और आरती?”

“झलक भी ठीक है और मम्मी भी। आप आईये कभी घर।”

“हाँ, ज़रूर। चलो अब चलता हूँ कोई भी ज़रूरत हो तो बताना।”

“जी, ज़रूर ध्यान रखिएगा अपना।”

पलक घर पहुंचती है और अपनी माँ आरती से बताती है, “अमन अंकल ने समान भेजा है झलक और मेरे लिए।”

“झलक, पलक चलो तुम दोनों उठ जाओ कोचिंग के लिए लेट हो जाओगी। वैसे ही एग्जाम को बहुत कम दिन बचे हैं होने को।”

पलक और झलक 10वीं क्लास की स्टूडेंट्स थीं। पढ़ने में होशियार। झलक थोड़े शर्मीले स्वभाव की थी और पलक बोल्ड और बातूनी।

फ़ोन की घण्टी बजती है और आरती व्हीलचेयर पर बैठी हुई फोन की तरफ बढ़ती है। इतने में व्हीलचेयर का पहिया पर्दे में उलझ।जाता है। चेयर पूरी उलट जाती है और आरती को गहरी चोट लग जाती है।

“मम्मी आप आराम से फ़ोन उठा लिया करो, हर फ़ोन की घण्टी में आपको लगता है पापा की कॉल होगी?” पलक ने परेशान होते हुए कहा।

“मम्मी आप उनका इंतज़ार क्यों करती हो, हम दोनों तो उनकी शक्ल तक देखना पसंद नहीं करते। हम दोनों सिर्फ 2 दिन की थीं जब वो सारा सामान लेकर बुज़दिलों की तरह भाग खड़े हुए थे। आप भी किसके लिए अपनी ज़िन्दगी बर्बाद करने पर तुली हुई हैं।”

आरती दर्द से कहारते हुए बोली, “तुम दोनों मेरी ज़िंदगी हो। अगर अमन नहीं होते तो आज हम कहाँ होते कुछ पता नहीं। राज ने तो पीछे मुड़ कर नहीं देखा हम तीनों को। मगर मैं भी थक जाती हूँ कभी कभी। मैं भी ज़िन्दगी से हार मान जाती हूँ। क्या करूँ बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने भर से घर नहीं चल पाता। मुझको तुम दोनों के कैरियर की भी चिंता होती है।”

लम्बी सांस लेते हुए पलक अपनी माँ को दिलासा देते हुए बोलती है, “मम्मी, आप भी कहाँ कहाँ की बातें लेकर बैठ जाती हो। अमन अंकल तो हमारे लिए हमारे उस कायर बाप से ज़्यादा एहमियत रखते हैं। उन्होंने क्या नहीं किया हमारे लिए? आप क्यों परेशान होती हैं। बेशक अमन अंकल हमारे पास नहीं रहते मगर हमारे साथ तो हैं न? फिर कैसी परेशानी?”

अमन और आरती स्कूल के दिनों से ही दोस्त थे। मगर किसी कारणवश आरती की शादी राज से हुई अमन से न हो सकी। शादी के बाद आरती के दोनों पैर एक रोड एक्सीडेंट में कट चुके थे।

इसी बीच आरती माँ बनने वाली थी। राज आरती से प्यार करता था। वो उसको बिल्कुल अकेला नहीं छोड़ता था। जब वो दोनों पैर से माजूर हो गई थी तब भी राज ने उसका साथ न छोड़ा। पर जब आरती दो जुड़वा लड़कियों की माँ बनी तो न जाने राज का प्यार कहाँ छू मन्तर हो गया। वो दिनों  तक बाहर रहता था। कभी कभी घर आता था, अपने मतलब से।

एक दिन वो हमेशा के लिए चला गया और आरती अकेले रह गई। उसके कठिन दिनों में अमन ने ही आरती का साथ दिया। अमन अब तक आरती को चाहता था और इसलिए अमन ने शादी नहीं की।

झलक और पलक ने सिर्फ अमन को अपने आस पास देखा। मगर आरती ने उनको सब बता रखा था कि ये तुम्हारा पापा नहीं हैं। बस अंकल हैं।

कोचिंग से वापस आते ही झलक रोने लगती है। बहुत बार पूछने पर वो मां और पलक को आपबीती सुनाती है।

“मम्मी जब जब पलक कोचिंग की छुट्टी करती है सारे बच्चे चिढ़ाते हैं। बोलते हैं तेरे दो पापा हैं, दो-दो पापा। मुझे बहुत बुरा लगता है।”

इस बात को सुनकर आरती सिर पकड़ लेती है और पलक कहती है, “अच्छा है न लोगों के एक पापा होते हैं हमारे दो हैं। इसमें बुराई ही क्या है? अगर हम एक पापा पर ही निर्भर होते तो शायद मां मर चुकी होती और हम कहीं सड़क के किनारे भीख माँग रहे होते। छोड़ इस बात को कल मैं जाकर सबको ठीक कर दूंगी। तू फ्रेश हो जा फिर खाना खाएंगे।”

आरती को ये बातें बहुत चुभती थीं। आस पड़ोस की औरतों ने अमन के साथ असभ्य बातें कर कर के उसको अंदर से कमज़ोर कर दिया था। वो अपनी बेटियों की तरफ से बहुत परेशान रहती थी और यही सोचती रहती थी कि इनके ऊपर ऐसी बातों का क्या असर पड़ता होगा।

शाम फिर से आई और दोनों कोचिंग के लिए निकल गईं।

क्लास में पहुंचते ही झलक अपनी सीट पर बैठ गयी वहीं पलक टीचर का इंतज़ार करने लगी।
एकाएक पलक खड़ी हुई और पेन को माइक बनाते हुए बोली।

“लेडीज़ एन्ड जेंटलमैन, आज मैं कुछ बातें आपसे साझा करना चाहती हूं। मैं आप सब को बताना चाहती हूं कि हाँ मेरे दो बाप हैं!

एक वो जो हमको पैदा होते ही छोड़ गए थे। जो कायर थे। बस उनको अपना बाप इसलिए बोलती हूं क्योंकि हमारी रगों में उनका खून है। उनका दुर्भाग्य था कि उन्होंने हमको छोड़ा और हमारा और हमारी माँ का सौभाग्य था कि हमको अमन अंकल की शक्ल में दूसरे पापा मिले।

आज हम दोनों बहनें जो भी हैं वो सिर्फ माँ की वजह से और अमन अंकल। तो हमारे लिए वही हमारे पालनहार बने।”

इस बात को सुनकर पूरी क्लास शांत हो गई सबकी आंखें नीचे थीं और चेहरा उड़ा हुआ।

मूल चित्र : Still from Mom, Content Ka Keeda, YouTube

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

96 Posts | 1,398,322 Views
All Categories