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चाहे कुछ भी कर लो कुछ लोग कभी नहीं बदलते…

मैंने उठ कर जेठ-जेठानी और उनके दोनों बच्चों के लिए चाय नाश्ते का इंतजाम किया। लेकिन उस दिन मुझे यह एहसास हुआ कि कुछ लोग कभी नहीं बदल सकते।

मैंने उठ कर जेठ-जेठानी और उनके दोनों बच्चों के लिए चाय नाश्ते का इंतजाम किया, लेकिन उस दिन मुझे यह एहसास हुआ कि कुछ लोग कभी नहीं बदल सकते।

मेरी शादी एक ऐसे परिवार में हुई जहां पढ़ाई से किसी का वास्ता नहीं था। मेरे पढ़े-लिखे होने के कारण और नौकरी करने के कारण मेरे जेठ और जेठानी मुझ से काफी जलन करते थे।

वे हमेशा मेरे नौकरी न करने पर ज़ोर डालते जिससे रिश्तों में काफी दरार आई हुई थी। घर का खराब माहौल देख कर हमें सास-ससुर ने अलग-अलग कर दिया गया। जेठ और जेठानी ऊपर भाग में रहने लगे अपने दोनों बच्चों के साथ। हम दोनों अपने सास-ससुर के साथ नीचे वाले भाग में रहते।

ऐसा नहीं था कि कभी उनके साथ रिश्ते ठीक करने की कोशिश नहीं करी पर उनकी ईगो इतनी बड़ी थी कि सब व्यर्थ जाता। ससुर जी के कहने पर काफी बार मुझे उनके सामने झुकना पड़ा।  उनका कहना था कि अपनी अच्छाई से इनको शर्मिंदा करो। पर क्या कभी बेशर्म लोग भी शर्मिंदा हुए?

एक दिन की बात है अचानक मेरी तबियत बिगड़ी। पता चला की गॉल ब्लैडर में स्टोन है, जिसका इलाज ऑपरेशन ही है। जल्दी में ऑपरेट भी करवा दिया गया। ऑपरेट होने के दूसरे दिन ही मुझे छुट्टी मिल गई और हम घर वापिस आ गए।

लेकिन घर वापस आने पर भी जेठ-जेठानी द्वारा मेरा हाल नहीं पूछा गया। मुझे लंगड़ाके चलते देख मेरी जेठानी की खुशी छिपाए नहीं छिप रही थी। उनका मुस्कुराना दिख रहा था मुझे। मुझे बहुत बुरा लगा पर मेरी सासु मां ने और मेरे पति ने मुझे संभाला और सांत्वना दिया।

अगले ही दिन अचानक मेरी जेठानी के पेट में दर्द शुरू हो गया। पता चला कि वो भी पथरी की ही दर्द थी। अब दर्द रुकने का नाम ही ना ले। फटाफट डॉक्टर से चेकअप कर उनको भी दवाई दिला कर नीचे मेरे साथ वाले कमरे में आराम के लिए लाया गया।

अब सारा काम का बोझ तो सासु मां के कंधे पर आ गया। वो इतना काम संभाल नहीं पा रहीं थीं तो मैं थोड़ी हिम्मत कर के उठी। वैसे भी डाक्टर ने भी मुझे चलने को बोला था।

मैंने उठ कर जेठ-जेठानी और उनके दोनों बच्चों के लिए चाय नाश्ते का इंतजाम किया। लेकिन उस दिन मुझे यह एहसास हुआ कि कुछ लोग कभी भी शर्मिंदा नहीं हो सकते।

मेरी जेठानी और जेठ की आँखों में कोई शर्म न थी। वे ठीक हुईं और दुबारा अपने घर चली गईं।

क्या आपका कभी ऐसी रिश्तेददार से सामना हुआ? क्या आप भी मेरी तरह चुप रहीं? आपने क्या किया?

मूल चित्र : PCRA SasBhau, Screenshot from YouTube 

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