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कोई ख़ास सामाजिक संदेश नहीं सिर्फ एंटरटेनमेंट से बांधे रखती है दृश्यम 2

फिल्म दृश्यम 2 कोई सामाजिक संदेश देने की जगह दर्शकों को क्राइम थ्रिलर में बांध कर रखना चाहती है और वह कामयाब भी होती है।

फिल्म दृश्यम 2 कोई सामाजिक संदेश देने की जगह दर्शकों को क्राइम थ्रिलर में बांध कर रखना चाहती है और वह कामयाब भी होती है।

हाल ही में प्रकाशित हुई विधु विनोद चोपड़ा की किताब ‘अनस्क्रिप्टेड’ के एक अंश में बताया है कि वह मुन्नाभाई सीरिज में मुन्नाभाई एमबीबीएस और लगे रहो मुन्नाभाई के बाद तीसरी फिल्म इसलिए नहीं बना रहे हैं क्योंकि मुन्नाभाई एमबीबीएस और लगे रहो मुन्नाभाई से ज़्यादा  शानदार कहानी मिल नहीं पा रही है, जो पहले की दो कहानियों से आगे की कहानी लगे और उसमें नई ताज़गी हो। दरअसल सीक्वल फिल्म की कहानी कहने में मुख्य चुनौती यहीं है, यह आसान कतई नहीं है और ताज़ागी इसका मुख्य अंश है।

इसलिए कुछ साल पहले जब दृश्यम आई और दर्शकों के साथ समीक्षकों ने भी इसकी काफ़ी तारीफ की। तब फिल्म के निर्देशक जीतू जोसफ ने भी कहा था कि वह इसका सीक्वल नहीं बनाना चाहते थे लेकिन जब दृश्यम का हिंदी रिमेक अजय देवगन ने किया तो हिंदी समीक्षकों को यह काफ़ी पसंद आई। उसी समय इसके सीक्वल का आइडिया तैयार होने लगा जो सात साल बाद दृश्यम 2 के नाम से अमेजन प्राइम पर तेलगू में रिलीज हुई है। चर्चा इस बात कि हो रही है कि प्रोड्यूसर कुमार मंगत और अजय देवगन ने इसके कॉपी राइट्स खरीद लिए हैं इसका हिंदी रिमेक 2022 तक आने की उम्मीद है।

क्या है कहानी दृश्यम 2 की

मलयालम फिल्म दृश्यम के सीक्वल में मुख्य रूप से इस तथ्य से शुरू होती है कि पुलिस फाइल में कोई भी केस कभी बंद नहीं होता हैं। पुलिस एक सबूत के तलाश में होती है, जिसके लिए वह एक   लंबा जाल बिछाती है। सबूत मिलते ही, अपराधी को दबोचकर उसे सच के अजांम तक पहुंचाती है।

दृश्यम 2 में केबल आंपरेटर जार्जकुट्टी(मोहनलाल) अपनी पत्नी रानी और अंजू-अनु दो बेटियों के साथ जिंदगी जीने की कोशिश कर रहा हैं। दुनिया आगे बढ़ चुकी है। जार्जकुट्टी ने भी एक सिनेमा हॉल खरीद लिया है, इसके साथ वह यह फिल्म भी बनाना चाहता है।

स्क्रिप्ट भी लिख रहा है, जार्ज का परिवार सदमे से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है। पुलिस अभी भी केस की जांच कर रही है और सबूत की तलाश में महिला एंव पुरुष पुलिसकर्मी को पति-पत्नी बनाकर जार्ज के पड़ोस में शिफ्ट कर दिया जाता हैं ताकि परिवार पर नज़र रख सके। पुलिस को कुछ सुराग मिलते हैं और वो जार्ज को गिरफ्तार कर लेती है पर कोई सजा नहीं दे पाती है और जार्ज रिहा हो जाता है।

जार्ज कैसे पुलिस को चकमा देता है इसक लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

मोहनलाल का सधा हुआ अभिनय 

दृश्यम फिल्म की कहानी में जो रोमांच थ्रिलर था। अपने परिवार को बचाने के लिए एक आम इंसान का जो  संघर्ष दिखाया उससे फिल्म और दिलचस्प हो जाती है। दृश्यम 2 में  निर्देशक जीतू जोसेफ  उसी कहानी को आगे लेने जाने की कोशिश की है। जहां से दृश्यम की कहानी खत्म हुई थी वहीं से दृश्यम 2 की कहानी शुरू होती है। अंतर बस इतना है कि कहानी छ: साल आगे बढ़ गई है।

कहानी में मशहूर एक्टर मोहनलाल है उनके साथ मीना, अंसीबा हसन, ईस्थर अनिल और मुरली गोपी की भूमिका है। पूरी कहानी में आम आदमी के दिमागी उधेड़बुन, एक सहमे हुए आम आदमी के किरदार में अपने चेहरे के भाव से मोहनलाल ने प्रभावित किया है।

मलयालम भाषा में संवाद और अंग्रेजी में सब्टाइटल के बाद भी फिल्म शुरुरात से अंत तक दर्शकों को बांधे रखती है। यह साबित करती है कि राइटिंग और एडिटिंग बहुत ही सधी हुई हैं, ढाई घंटे कैसे खत्म होते हैं पता ही नहीं चलता।

दृश्यम के कहानी का सबसे खुबसूरत पहलू है, परिवार। एक परिवार, अपने साथ हुए एक हादसे को भूलकर जीवन में आगे बढ़ना चाहता है। वह चाह कर भी इस हादसे में हुई अपनी गलती को बदल नहीं सकता है, वह अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए जो कर सकता है वह कर रहा है।

दूसरा परिवार, अपने लड़के के लालन-पालन में हुई लापरवाही का खमियाजा भुगत रहा है। यह परिवार यह मानने को तैयार ही नहीं है कि उनके जीवन में जो हादसे हुए हैं, वह उनकी गलतियों के कारण ही हैं। अगर लड़कियों को पारिवारिक और सामाजिक बनाने की जिम्मेदारी परिवार की होती है तो यही जिम्मेदारी उसी परिवार की होनी चाहिए कि वह लड़कों को परिवार और समाज के प्रति जिम्मेदार बनाए। बहरहाल, फिल्म कोई सामाजिक संदेश देने के जगह दर्शकों को क्राइम थ्रिलर में बांध कर रखना चाहती है और वह कामयाब भी होती है।

मूल चित्र : Screenshot of Drishyam 2 

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