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द क्वीन्स गैम्बिट एक क्वीन्स के झंडे गाड़ने की कहानी है

द क्वीन्स गैम्बिट सीरीज शह और मात के एक खेल जैसा दिखती है जिसमें किसी की हार नहीं होती है क्योंकि पूरी सीरिज ही दिल जीत लेती है।

द क्वीन्स गैम्बिट सीरीज शह और मात के एक खेल जैसा दिखती है जिसमें किसी की हार नहीं होती है क्योंकि पूरी सीरिज ही दिल जीत लेती है।

पिछले दिनों नेटफिलिक्स पर स्कांट फ्रैक और एलेन स्कांट की ड्रामा सीरीज “द क्वीन्स गैम्बिट” रिलीज हुई जो हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में है। वाटलर डेविस के उपन्यास पर आधारित यह ड्रामा सीरीज कई मामलों में अनोखी है। पूरी ड्रामा सीरिज में 1960 के दशक को दिखाया गया है। कमाल के सिनोटोग्राफी के कारण उस समय का दृश्य शानदार बने है। “द क्वीन्स गैम्बिट” का मेन थीम शतरंज है और कहानी है एक अनाथ लड़की की जो अपनी हैरत अंगेज प्रतिभा के बल पर इस कठिन खेल में उन लोगों को भी मात देती है जिनका डंका पूरी दुनिया में बजता है।

बैथ हार्मन (आन्या टेलर जांय) अपनी बचपन में अपनी एकल मां को एक कार एक्सीडेंट में खो देती है और बैथ एक अनाथालय पहुंच जाती है। यहां उसके शुरुआती दिन बड़े मायूसी में बीतने लगते है वह किसी से मिलती-जुलती नहीं है और अपने-आप में खोई रहती है। यही बैथ की मुलाकात अनाथलय के सफाईकर्मी से होती है जो शतरंज अकेले खेल रहे होते है। बैंथ का झुकाव भी शतरंज के तरफ होता है वो उनके साथ शतरंज खेलने लगती है और सीखते-सीखते वह उनको हराने लगती है।

उसके बाद बैथ सफाईकर्मी के दोस्त को भी हराती है एक समय में दो बोर्ड पर खेलकर।  यह सिलसिला फिर लोकल लेवल के स्कूलों के साथ भी शुरू होता है और बेंथ सबों को हराती चली जाती है। इसी बीच बड़ी हो रही बेंथ को गोद ले लिया जाता है। परिवार बेंथ को अपने साथ शहर ले आता है। यहां भी बेंथ की रूचि शतरंज के प्रति कम नहीं होता है वो सीखती रहती है और सफलता भी उसको मिलती रहती है। धीरे-धीरे बैंथ के कैरियर का ग्राफ आगे बढ़ता है और वह सफलता के उस मुकाम पर पहुंचती है जहां शतरंज जैसे खेल में एक महिला का पहुंचना बहुत बड़ी बात मानी जाती है। वह इसलिए क्योंकि शतरंज को हमेशा से दिमागदार और पुरुषों के वर्चस्व का खेल माना जाता रहा है।

इस ड्रामा सीरिज की सबसे खास बात यह है कि आप शतरंज के खॆल के मोहरों को पहचानते है या नहीं पहचानते है। शतरंज के चौसठ घरों से आपका परिचय नहीं है फिर भी सात एपिसोड में कही गई कहानी आपको मोहपाश में जकड़ लेती है, ठीक वैसे ही जैसे शतरंज का खेल। अगर आप शतरंज के बारिक बातों को जानते है जैसे सिसेलियन डिफेंस, सिग्नेंचर मैट, रिजाइन, लैवन फिश, नाई डाल्फ,  नाइट मूव तो आपकी रूचि और अधिक बढ़ जाती है। ड्रामा सीरिज में बैंथ जब गेम्स खेलने जाती है तो उसका आत्मविश्वास और निश्वित भाव वह जीत ही जाएगी रोचक बना देता है पूरी सीरिज को।

सीरिज केवल बैंथ के कैरियर ग्राफ को ही नहीं दिखाता है वह साथ ही साथ बैंथ के निजी जीवन को भी दिखाता है। जिसमें बचपन से ही उतार-चढ़ाव आता है उसने अपने आप को बचपन से अब तक इतना अधिक जब्त कर लिया है कि वह कभी रोती नहीं हैं। अपने तकलीफ को किसी के भी साथ शेयर नहीं करने के कारण जब बैथ अपनी मां जिसने उसे गोद लिया उसके मरने के बाद खुद को संभालने में लापरवाह हो जाती हैं। बैथ हारमन अपने टैजड्री से कैसे निकलती है और वर्ल्ड चैप्यिनशिप तक जीत जाती है। इसके लिए पूरी सीरिज देखना होगा, जो कभी से निराश नहीं करती है।

अभिनय की बात करे तो शुरुआत के दो एपिसोड में छोटी बैंथ (इशीला जांनसन) बहुत प्यारी लगी है। बैंथ के दोस्त बने मैलरी हेयर, थांमस ब्रेडी, मोजे इनग्राम इन सबों का काम शानदार है। खासकर खिलाड़ी के मूड और शतरंज पर बात करने के साथ अपनी संवेदना का भाव उन्होंने एक साथ अपने अभिनय में दिखाने की कोशिश की है। आन्या टेलर जांय ने बैंथ हार्मन का किरदार बहुत ही शानदार तरीके से निभाया है खासकर जब बिल्कुल अनजान सी शतरंज के प्रतियोगिता के दुनिया में आती है और अपना परचम फैला देती हैं।

पूरी सीरिज शह और मात का एक खेल जैसा दिखती है जिसमें किसी की हार नहीं होती है क्योंकि पूरी सीरिज ही दिल जीत लेती है। ड्रामा सीरिज इसलिए भी कभी-कभी रूचि पैदा करती है क्योंकि शतंरज के दिमाग वाले खेल में महिलाओं के सफलता की कहानी देखने को नहीं मिलती है। इसलिए बैथ की कहानी ऑटोबायोग्राफी के तरह दिखती है और मजा देती है। “द क्वीन्स गैंबिट” एक क्वीन्स झंडे गाड़ने की कहानी है जो शतरंज खेलकर पूरी दुनिया में छा जाती है।

मूल चित्र : Still from the series The Queen’s Gambit

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