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फिल्म छपाक का ट्रेलर आपको इमोशनल कर देगा

फिल्म छपाक का ट्रेलर देख कर आपको यकीन हो जाएगा कि ये रोल करना दीपिका के लिए भी बिल्कुल आसान नहीं था, उन्होंने इसे अपना अब तक का सबसे चैलेंजिग रोल बताया।

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फिल्म छपाक का ट्रेलर देख कर आपको यकीन हो जाएगा कि ये रोल करना दीपिका के लिए भी बिल्कुल आसान नहीं था, उन्होंने इसे अपना अब तक का सबसे चैलेंजिग रोल बताया।

‘कितना अच्छा होता अगर एसिड बिकता ही नहीं! बिकता नहीं तो कोई फेंकता भी नहीं’, ये डायलॉग है फिल्म ‘छपाक’ का जिसका ट्रेलर आज ही लॉन्च हुआ है।

आगे बढ़ने से पहले ये ट्रेलर देख लें…

रोंगटे खड़े हुए ना? फिल्म छपाक के ज़रिए एसिड अटैक सर्वाइवर की कहानी को पहली बार इतने क़रीब से दिखाया जा रहा है। जानी-मानी निर्देशिका मेघना गुलज़ार इस फिल्म की कर्ता-धर्ता हैं। सबकी चहेती दीपिका पादुकोण लीड किरदार में हैं और उनके साथ बेहतरीन कलाकार विक्रांत मेसी भी है। ट्रेलर में दीपिका पादुकोण बहुत ही जानदार लग रही हैं। वैसे भी उनसे कम अच्छा करने की उम्मीद किसी को नहीं होती।

ये रोल करना दीपिका के लिए भी बिल्कुल आसान नहीं था। एक इंटरव्यू में उन्होंने इसे अपना अब तक का सबसे चैलेंजिग रोल बताया था। ये किरदार उनके लिए इमोशनली और फिज़िकली दोनों तरह से मुश्किल था।

मालती, जिसका किरदार दीपिका निभा रही हैं उनका असली नाम है लक्ष्मी अग्रवाल। दिल्ली के एक गरीब परिवार में पली-बढ़ी लक्ष्मी के सपने बड़े थे जिन्हें पूरा करने के लिए वो मेहनत करने से पीछे हटने वालों में से नहीं थी। लेकिन एक घटना ने उनके पूरे जीवन को तितर-बितर कर दिया था।

एक लड़का शादी के लिए लक्ष्मी के पीछे पड़ा हुआ था लेकिन लक्ष्मी के कई बार ठुकराने के बाद भी वो लक्ष्मी का पीछा करने से बाज़ नहीं आया। साल 2005 का वो दिन था जब लक्ष्मी बस घर से बाहर निकली ही थीं और उस लड़के ने एसिड की भरी बोतल फेंक दी। कुछ सेकेंड्स में ही लक्ष्मी की ज़िंदगी का चेहरा बदल गया। लक्ष्मी कई बार टूटी, कई बार रोई, हज़ार लानतें सुनीं लेकिन बार-बार खड़ी हुई और अपनी लड़ाई लड़ी। 7 सर्जरी के बाद भी लक्ष्मी ने हिम्मत नहीं हारी। अक्सर जब इंसान के साथ बुरा होता है तो वो सब रोता रहता है कि हाय मेरे साथ क्या हो गया और भगवान को कोसता रहता है। लेकिन लक्ष्मी ने ठान लिया कि जैसा उसके साथ हुआ है वैसा और किसी के साथ नहीं होना चाहिए।

अटैक के एक साल बाद ही लक्ष्मी ने तेजाब की बिक्री पर बैन लगाने के लिए पी आई एल (PIL) यानि जनहित याचिका (Public interest litigation) कोर्ट में दायर कर दी। 2013 तक ये केस चलता रहा और अंतत: इस लड़ाई में लक्ष्मी की जीत हुई। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने तेज़ाब की बिक्री पर हमेशा के लिए बैन लगा दिया।

लक्ष्मी केस जीत गईं, चाहती तो चैन से अपनी ज़िंदगी जी सकती थीं लेकिन वो आगे बढ़ती गयीं और केस जीतने के बाद भी उन्होंने स्टॉप एसिड अटैक्स के लिए कई कैंपेन किए। वो अब अकेली नहीं थी उनकी इस लड़ाई में उन्हीं के जैसी हज़ारों लाखों महिलाएं जुड़ चुकी थीं। अपने साहस और हिम्मत के लिए उन्हें मिशेल ओबामा इंटरनेशनल वूमेन ऑफ करेज अवॉर्ड भी मिल चुका है।

कौन कहता है आसमान में छेद नहीं हो सकता…

एक पत्थर तबीयत से उछाल कर तो देखो मेरे यारों…

नोट : छपाक 10 जनवरी 2020 को रिलीज़ हो रही है।

मूल चित्र : YouTube 

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