कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

क्यों मुस्कुरा रहे हो ऐ दोस्त? मैं, रुकने वाली नहीं

"आज एक अरमान दफ़न हुआ है, कल और ख़्वाब शहीद होंगे," पर मैं, रुकने वाली नहीं तब तक, जब तकअपने ख़्वाब को हक़ीक़त ना बना लूँ।

“आज एक अरमान दफ़न हुआ है, कल और ख़्वाब शहीद होंगे,” पर मैं, रुकने वाली नहीं तब तक, जब तकअपने ख़्वाब को हक़ीक़त ना बना लूँ।

क्यों मुस्कुरा रहे हो ऐ दोस्त,
मेरी नाकामी पर,
मेरे ख़्वाब आज भी किसी के मोहताज नहीं,
परवाज़ लेने के लिए।

आज एक अरमान दफ़न हुआ है,
कल और ख़्वाब शहीद होंगे,
मेरी आरज़ूओं की कब्र पर,
कई लोग सवार होंगे।

पर एक दिन वह भी आएगा,
जब मेरा धुँधला ख़्वाब, हक़ीक़त की रौशनी पायेगा,
रंगीन सियाही से चमकेगा हर तिनका उसका,
तुम्हारी इसी हँसी का अक्स, तुम्हें नज़र आएगा।

About the Author

2 Posts | 5,808 Views
All Categories