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अब हवेली के इस ‘पिशाच’ को मारना ज़रूरी हो गया था…

बाहर लोगों ने उस औरत के रोने की आवाज़ सुनी तो लोग बोलने लगे कि वो पिशाच उस औरत पर आ गया उसे ख़त्म कर देना पड़ेगा।

बाहर लोगों ने उस औरत के रोने की आवाज़ सुनी तो लोग बोलने लगे कि वो पिशाच उस औरत पर आ गया उसे ख़त्म कर देना पड़ेगा।

“ये जगह इतनी वीरान क्यूं है?” राधा ने जगजीत से गांव के उस वीरान से पड़े खंडहर को देख कर पूछा।

वो खंडहर किसी हवेली का लग रहा था। उसकी टूटी हुई दीवारें, उन दीवारों की लाल इंटे, उन पर बने बड़े बड़े ताख और उन पर लगी हुई सरसों के पेड़ के सूखे तने बता रहे थे कि वहां कोई जाता नहीं है।

तब जगजीत ने बताया, “अरे ये बहुत पुरानी हवेली है लेकिन भूतिया जगह मानी जाती है हमारे गांव की।”

“अच्छा तो तुम भी इन सब बातों को मानते हो?” राधा ने हंस कर जगजीत से पूछा।

“नहीं जी। अब कहां भूत प्रेत? लेकिन फ़िर भी यहां कोई नहीं आता।” जगजीत ने जवाब दिया और राधा चुप चाप उस जगह को तब तक निहारती रही जब तक गाड़ी उस खंडहर को पार ना कर गई।

राधा और जगजीत की नई-नई शादी हुई थी। जगजीत दिल्ली में नौकरी करता था और राधा भी वहीं पर एक स्कूल में पढ़ाती थी। शादी के बाद दोनों लोग जगजीत के गांव में कुल देवी की पूजा करने आए थे।

जगजीत के चाचा जी उसी गांव के ग्राम प्रधान थे तो उन्होंने उन लोगो को भेजने के लिए अपना एक आदमी स्टेशन भेज दिया था। जब वो लोग घर पर आए तो राधा ने घर की औरतों के साथ कुल देवी की पूजा करने के लिए गई।

जब वो पूजा करने जा रही थी तब भी उसे वो हवेली दिखाई पड़ी। उसने एक अजीब सा आकर्षण वहां के लिए महसूस किया। तब उसने पिंकी जो चाचा जी की लड़की थी उससे उस जगह के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वो भूतिया जगह है वहां पर खून पीने वाले पिशाच रहते हैं। वहां कोई नहीं जाता। रात में चीखने चिल्लाने की आवाजें आती हैं।

राधा को थोड़ा अजीब लगा । आज के समय में खून पीने वाले पिशाच कहां तक प्रासंगिक हैं? ख़ैर उसको क्या करना सोचकर वो चुपचाप पूजा करने लगी। दूसरे दिन जगजीत उसे अपना गांव दिखाने के लिए ले गया। वो और राधा खेत खलिहान में घूमे। जब वो वापस आ रहे थे तब राधा ने फ़िर उस जगह को देखा और देखते ही उसके मन में वहां जाने का ख्याल आया।

उसने जगजीत से वहां जाने की बात बोली जिसको जगजीत ने मना कर दिया लेकिन राधा के ज़िद करने से वो मान गया। हालांकि वो कभी वहां गया नहीं था लेकिन फ़िर भी राधा की ज़िद ने उसको वहां जाने के लिए मजबूर कर दिया। जब वो दोनों अंदर गए तो उस खंडहर के अंशों को देखकर लग रहा था कि वो लोग उसके आंगन में खड़े हैं। चारों तरफ वीरानी थी। सेम और जंगली लताएं दीवारों पर झूल रही थी।

जगजीत ने राधा से कहा, “देख लिया ना। अब वापस चलो।”

“नहीं जगजीत। उधर चलो। वो देखो उधर वो कमरा है, वहां चलते हैं”, राधा ने जगजीत से कहा।

दोनों लोग उस कमरे के पास पहुंचे। उस कमरे की छत का कोना टूट गया था तो दिन की रोशनी से उसमें उजाला आ रहा था। राधा और जगजीत वहां पर जाकर थोड़ा सा सिहर उठे क्यूंकि वहां पर कोई था।

एक कमज़ोर सी, बिखरे बाल, चेहरे पर चेचक के दाग़ लिए हुए फटे हुए कपड़े पहने, एक औरत गठरी बनी वहां बैठी थी। पहले तो दोनों उसको देखकर डर गए लेकिन बाद में दोनों उसको देखकर समझ गए कि ये ही यहां रहती है और आवाजें निकलती होगी।

लेकिन बाद में जब राधा ने गौर से उसको पास जाकर देखा तो उसके शरीर पर पड़ी हुई चोटों, और उसके बिखरे फटे कपड़ो से उसको उसके साथ हर रात होने वाली बेरहमी के बारे में पता चल गया। वो समझ चुकी थी कि क्यूं ये खंडहर अभी तक गांव में है, ताकि यहां पर आकर ये समाज के लोग खून पीने वाले पिशाच की आड़ में ख़ुद की वासना की प्यास बुझाएं, जितने बुरे कर्म कर सकता हैं, उतने बुरे कर्म करें।

वो औरत पहले तो राधा और जगजीत को देखकर डरी, लेकिन फ़िर राधा के प्रेम से भरे स्पर्श को पाकर ज़ार-ज़ार होकर रोने लगी। उसके रोने में एक दर्द था जो उसके साथ गुज़रे भयानक अनुभवों की पीड़ा लिए हुए था। एक कसक, एक रोष और एक द्वेष उसके रोने की आवाज़ में आ गया था जो वहां के माहौल को और दुखद बनाने लगा।

उसकी पीड़ा को देखकर राधा भी रोने लगी और जगजीत जड़वत खड़ा उन दोनों को देख रहा था। तब तक जगजीत के चाचा जी को और गांव वालों को उन दोनों के खंडहर जाने के बारे में पता चल गया तो सब लोग खंडहर के बारे में जमा हो गए। बाहर लोगों ने उस औरत के रोने की आवाज़ सुनी तो लोग बोलने लगे कि वो पिशाच उस औरत पर आ गया उसे ख़त्म कर देना पड़ेगा।

लोग लाठी, डंडा पत्थर लेकर अंदर आ गए। जगजीत ने जैसे भीड़ को देखा उसने उन सबको रोकना चाहा लेकिन वो रोक ना पाया। फ़िर वो राधा को बचाने के लिए दौड़ा। राधा को पकड़ कर वो उस खंडहर के दूसरे कोने पर ले आया। राधा छटपटाती रही वो बार बार जगजीत के सीने पर अपने हाथों से प्रहार करती रही कि उसको छोड़ दो, उसे उसको बचाने दो। लेकिन जगजीत उसे कसकर पकड़े रहा।

कुछ ही देर में उन समाज के खून पीने वाले पिशाचों ने एक कमज़ोर, पागल औरत का खून पी डाला। वो खून पीकर बहुत खुश थे ख़ुशी में झूम रहे थे और राधा स्तब्ध खड़ी उस औरत की लाश को देखे जा रही थी।

राधा को लग रहा था कि अगर वास्तव में खून पीने वाले पिशाच की कहानी सच है तो आज वो भी समाज के इन पिशाचों को देख कर डर जाएगा और वापस कहीं अंधेरे में छुप जाएगा और यही सोचेगा कि भगवान ने मुझे भले ही पिशाच योनि में रखा हो लेकिन इनकी जैसी क्रूरता और भयानकता तो मुझमें भी नहीं।

मूल चित्र : itus from Getty Images via CanvaPro

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