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जीवन एक चलचित्र और गुज़रता हुआ समय

जीवन चलचित्र की भाँती ही चल रहा है और धीरे धीरे समाप्त हो रहा है। जीवन को जी भर क जिओ और हार नहीं माननी चाहे परिस्थितियां कैसी भी हो।  

जीवन चलचित्र की भाँती ही चल रहा है और धीरे धीरे समाप्त हो रहा है। जीवन को जी भर के जीओ और हार नहीं माननी चाहे परिस्थितियां कैसी भी हो।

जीवन एक चलचित्र की भाँति चल ही रहा है ,

इसकी घड़ी की सुई टिक-टिक करती हुई चल रही है ,

यह मेरे लिए थमती ही नहीं !

शायद मुझे ही इसके साथ चलना होगा ,

जीवन के इस संघर्ष,इस दौड़ धूप मैं ,

चार पैसे कमाने की मेरी जद्दोजहद ,

और चलचित्र के ही समान,किसी व्यक्ति के जीवन मैं ,

आते उतार चढ़ाव,जहाँ अपने अपने अस्तित्व के लिये ,

सभी संघर्ष मैं लगे हुए हैं ,

जीवन लगता है मानो,एक मनोरंजन सा बन गया है ,

जिसमें आपका,अभिनय कैसा है ,

यह,आपका भविष्य निर्धारित करता है ,

बहुत छोटी सी उम्र मैं,शायद ,

बहुत बड़ी बड़ी बातें कह दी ,

क्या करूँ उम्र तो कम है ,

तजुर्बा,थोड़ा ज्यादा हो गया है…

एक आग लगी थी सीने मैं,ज्वाला सी धधक उठी ,

छोड़े जब शब्दों के बाण,तो मन की आग बुझी

मूल चित्र : Pexels

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Vibhooti Rajak

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