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मेरी पत्नी

तुम बीमार जब पड़ती हो, मैं कुछ नहीं संभाल पाता हूँ! बिखरे हुए, घर का हाल देखकर, मैं भी, अंदर से टूट जाता हूँ!

तुम बीमार जब पड़ती हो, मैं कुछ नहीं संभाल पाता हूँ! बिखरे हुए, घर का हाल देखकर, मैं भी, अंदर से टूट जाता हूँ!

मेरी पत्नी! क्यों पड़ जाती हो, तुम बीमार?

तुम्हारे बीमार पड़ते ही,

आ जाता है, मेरे जीवन में भूचाल!

तुम्हारे पायलों कि छनछनाहट से,

जो घर, हरदम चहकता था।

तुम्हारे बीमार पड़ते ही,

उस घर में मायूसी छा जाती है।

तुम जो पड़ जाती हो बिस्तर पर,

घर का हर कोना सूना-सूना लगता है।

तुम्हारी प्यारी सी मुस्कुराहट से ही,

तो मेरा ये गुलिस्तां महकता है।

मैं जब पड़ता हूँ बीमार,

तुम अकेले, सब संभाल लेती हो।

बिना किसी शिकन के,

हर पल! मेरा ख्याल रखती हो।

तुम बीमार जब पड़ती हो,

मैं कुछ नहीं संभाल पाता हूँ।

बिखरे हुए, घर का हाल देखकर,

मैं भी, अंदर से टूट जाता हूँ।

भगवान से करुं, मैं बस यही दुआ!

हे भगवान! मेरी पत्नी को,

कभी बीमार मत करना।

जो बीमार पड़ने की बारी, उसकी आए तो,

हमेशा उसकेआगे, मुझे खड़ा रखना!

मूल चित्र:Canva

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