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ओस की बूंदें

यादें मेरी कभी ओस की बूंदों सी,तारों पर मोती बन सताएंगी तुम्हें।कभी घास पर ही मसल दी जाएंगी,मिटकर भी मज़ा दे जाएंगी तुम्हें।

यादें मेरी कभी ओस की बूंदों सी,
पत्तियों में छुपकर बुलाएंगी तुम्हें।

यादें मेरी कभी ओस की बूंदों सी,
तारों पर मोती बन सताएंगी तुम्हें।

कभी घास पर ही मसल दी जाएंगी,
मिटकर भी मज़ा दे जाएंगी तुम्हें।

यादें मेरी कभी ओस की बूंदों सी,
किसी पेड़ तले भिगा जाएंगी तुम्हें।

यादें मेरी कभी ओस की बूंदों सी,
एक पल का प्रेम सिखा जाएंगी तुम्हें।

कभी सूर्य से तुम्हारे वर्तमान से सहम,
एक ही पल में भुला जाएंगी तुम्हें।

इमेज सोर्स: Still from Nostalgia A ride into the past/ Camera Breakers via YouTube

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