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जिन स्त्रीयों को काबू में रखते हैं, वो मान चुकी होगी खिड़कियों का कोई अस्तित्व ही नहीं, ये दरारें ही उसकी उम्मीद हैं बाहर की रोशनी को महसूस करने के लिए।
पुराने महल में कभी खुली हुईं खिड़कियां हुआ करती थीं दीवारों पर पड़ी दरारों से ही नफरत थी सबको मरम्मत उन दरारों की करवानी थी पर जबसे उन्होंने खिड़कियां बंद करवाईं हैं इश्क़ दरारों से हो गया है क्योंकि आती है कभी कभी फीकी सी रोशनी उन दरारों से रिसकर शायद कुछ ऐसे ही स्त्री को भी काबू में रखते हैं वो खिड़कियां बंद कर दो वो दरारों से इश्क़ करेगी जिसकी मरम्मत करनी थी वो खुद ही रोक देगी तुमको आंखो और ज़िंदगी में चुभने वाली दरारों को भरने से क्योंकि वो मान चुकी होगी खिड़कियों का कोई अस्तित्व ही नहीं ये दरारें ही उसकी उम्मीद हैं बाहर की रोशनी को महसूस करने के लिए।
मूल चित्र : Unsplash
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