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आँखों ही आँखों में हाल-ए-दिल बयान करना ‘क्या यही प्यार है’

हर बार नज़र मिलने पर उसे नील के प्यार की झलक मिलने लगी। वरमाला से लेकर गठबंधन तक हर रस्म से गुज़रते हुए उसने अपने आप को नील के और भी करीब पाया।

हर बार नज़र मिलने पर उसे नील के प्यार की झलक मिलने लगी। वरमाला से लेकर गठबंधन तक हर रस्म से गुज़रते हुए उसने अपने आप को नील के और भी करीब पाया।

प्रीती आज बेहद खुबसूरत लग रही थी। शिख से नख तक सजी किसी अप्सरा सी। सभी सखी, सहेलियाँ और भाभी उसे रह रह कर छेड़ रहीं थीं।

‘क्या हुआ प्रीती, इंतजार नहीं हो रहा? बस अब तो थोड़ा ही इंतजार बचा है फिर तो नील हमेशा-हमेशा के लिए तुम्हारा हो जाएगा।’

‘क्या भाभी आप भी’, शर्माते हुए प्रीती बोली। और सोचने लगी, क्या सच में मैं और नील हमेशा के लिए एक हो जाएंगे? क्या एक होने के लिए यह रस्म और रिवाज़ ही काफी हैं या कुछ और भी। रस्म और रिवाज़ तो समाज के बनाए नियम हैं और एक रिश्ते को बनाए रखने के लिए नियम से ज़्यादा अहसास मायने रखते हैं। क्या सोचते हैं  नील मेरे बारे में? क्या वह भी मुझे चाहने लगे हैं या यह सिर्फ रस्म-रिवाज को निभा भर रहे हैं।

जब पहली बार नील उसे देखने आए थे, तो वह बिल्कुल तैयार नहीं थी ऐसे नुमाइश बनकर किसी अनजान के सामने जाने को। वह कैसे सिर्फ एक बार देख कर परख सकता है कि मैं उसके काबिल हूँ या नहीं। पर मम्मी के सामने उसकी एक न चली और उसे जाना ही पड़ा उस अनजान के सामने। पर यह क्या, चाय का प्याला पकड़ाते हुए जो नज़र मिली, वह वहीं ठगी सी उन्हें निहारती रही। सौम्य व्यक्तित्व, पर सबसे ज़्यादा जो उसे मोह गया वह था उनका शालीन व्यवहार। और वह आँखे, कितनी मासूम लग रही थीं और मुस्कुराते हुए तो मदहोश ही कर देती थीं। यह बात अलग है कि इस मामले में वह थोड़ा कंजूस ही निकले। बड़े जतन से ही मुस्कान चेहरे पर नज़र आती थी।

‘प्रीती, चल फोटोग्राफर आ गया है।’

‘आप ज़रा खुल कर मुस्कुराइए। फोटो अच्छे नही आएंगे तो हमेशा एल्बम देखते हुए आप मुझे ही कोसा करेंगी’, फोटोग्राफर ने प्रीती से कहा तो वह मुस्कुराने का प्रयत्न करने लगी। पर पता नहीं क्यों खुल कर मुस्कुरा नहीं पा रही थी। मन में कहीं एक डर था।

डरना लाजमी था क्योंकि शादी तय होने से लेकर शादी के दिन तक मुश्किल से दो बार ही मुलाकात हुई थी उसकी नील से। पहली बार जब वह उसे देखने आए थे तब, और दूसरी बार जब ससुराल की तरफ से कपड़े और गहने पसंद करने के लिए बुलाया गया था। दूसरी बार भी नील का शालीन व्यवहार ही समझ पाई बस क्योंकि नील ने ज़्यादा बात नहीं की बस वेलकम करने के लिए मुस्कुरा भर दिये थे। वह तो फिर से फिदा हो गई उस मुस्कुराहट पर, लेकिन अगले तीन घंटो में नील एक बार भी और नहीं मुस्कुराये। वह बस एक मार्केट से दूसरे मार्केट तक पहुँचाने भर की भूमिका ही निभाते रहे।

वह कुछ रूआंसी सी हो उठी। इन छ महीनों में नील ने न तो उससे फोन नंबर मांगा और न ही कभी मिलने की इच्छा जताई और आज साथ होने पर भी कोई बात नहीं की। प्रीती का उतरा चेहरा देखकर उसकी सासु जी बोली, ‘तुम चिंता मत करो, वह थोड़ा शर्मीला है। जल्दी नहीं घुलता-मिलता और अपने मन की बात कहने में वक्त लेता है। थोड़ा सब्र करो। बस तुम्हारी तसल्ली के लिए इतना बता देना चाहती हूँ कि नील ने बिना किसी दबाव के शादी के लिए हाँ भरी है।’

‘प्रीती जी, हाथों को जोड़कर इस तरह से सामने लाइये कि मेहंदी का पूरा डिज़ाइन फोटो में आ सके।’

सासु जी की बातों से तसल्ली तो हो गई थी। वह तो पहली मुलाकात में ही अपना दिल दे बैठी थी। वह तो बस नील को सुनना चाहती थी, उसे जानना चाहती थी और एक बार नील की आँखों में वही बेकरारी देखना चाहती थी जो उसकी आँखों से झलकती थी।

‘अरे प्रीती, बारात आ गई।’

प्रीती तुरंत खिड़की के पास पहुंच गई। गोल्डन कलर की सोबर सी शेरवानी में कितने मोहक लग रहे हैं नील। क्या हो रहा है मुझे, जितनी बार इस शक़्स को देखती हूँ, एक बार फिर से ठगी सी रह जाती हूँ। जी करता है बस ऐसे ही देखती जाऊँ। क्या यही प्यार है? क्या इसे ही मोहब्बत कहते हैं? पर उनके दिल का हाल पता लगे तो कुछ समझ में आए।

तभी प्रीती ने नील को इधर-उधर कुछ ढूंढते पाया और आँखों में वही बेकरारी नज़र आई जो उसके दिल में थी।उसका दिल ज़ोरों से धड़कने लगा और उसके चेहरे पर प्यार का एक अलग ही नूर टपकने लगा। कुछ रस्म अदायगी के बाद नील को स्टेज पर बिठाया गया, फिर प्रीती को स्टेज तक लाया गया। एक-एक पल जो कमरे से स्टेज तक के सफर में प्रीती ने पहुंचने में बिताया था, एक-एक युग की भांति लग रहा था। जैसे ही वह स्टेज के पास सीढ़ी तक पहुंची, उसकी तरफ एक हाथ बढ़ा। नज़र मिलते ही वह फिर से ठगी सी रह गई, पर इस बार नील मुस्कुराया और उसका हाथ पकड़कर स्टेज पर ले गया और पहली बार नील ने आँखों ही आँखों में अपना हाल-ए-दिल बयान किया।

प्रीती के चेहरे पर फिर वही नूर नज़र आने लगा। उसका डर दूर होने लगा। हर बार नज़र मिलने पर उसे नील के प्यार की झलक मिलने लगी। वह सहज होने लगी। वरमाला से लेकर गठबंधन तक हर रस्म से गुज़रते हुए उसने अपने आप को नील के और भी करीब पाया। और जब नील ने मांग में सिंदूर भरा तो उसे अहसास हुआ कि सच में नील उसका हो गया है। आँखों में नमी तैरने लगी।

कितना इंतज़ार किया था उसने इस पल का, नील की आँखों में अपने लिए प्यार देखने का। साथ ही वह समझ गई कि यह रस्म और रिवाज़ सिर्फ समाज के नियम भर नहीं हैं बल्कि, यह रस्म और रिवाज़ तो प्यार में पागल दो प्रेमियों को अहसास कराने की कला है कि हाँ यही प्यार है।

मूलचित्र : Pixabay 

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