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बेटा चाहने वालों को, कहते सुना है आजकल, “जी बेटी हमारी कुल का नाम रोशन कर रही है।” वो बढ़ रही है।
सोच से, समाज से
पितृसत्ता, पक्षपात से
हौसला हिम्मत जुटा वो
हालातों से लड़ रही है।
वो बढ़ रही है।
बाधाओं के पर्वतों और
संदेह की चट्टानों को
लक्ष्य अपना बना वो
दृढ़ता से चढ़ रही है।
बेटा चाहने वालों को
कहते सुना है आजकल
“जी बेटी हमारी कुल का
नाम रोशन कर रही है।”
Poet | Writer | Coach - English Grammar & Test preparation प्यार मुझे, मुझसे ही हो जाता है बार-बार अब बात मेरे जैसी किसी में है कहाँ| - प्रिय (डॉली शर्मा)
चिता की लकड़ी अब भी मायके से आएगी क्या? अब तो छोड़ें ऐसे रिवाज़ों को।
आज एक ख़त, तहे दिल से, अपनी बाईसा के नाम लिख रही हूँ
बहू तुम अहोई अष्टमी का व्रत मत करना
न जाने किस वक्त के इंतजार में जिन्दगी रुकी हुई है…
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