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जसविंदर संघेरा कहती हैं कि बाहर बसे ये लोग ज़्यादातर भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के थे, और ये नहीं चाहते थे कि उनके बच्चे अपनी मर्ज़ी से शादी करें।
जाने क्या था जो माँ को कभी समझ नहीं आया? "तू पागल है" वो समझा देना चाहते थे, ना मानने पर माँ के गले, कमर, बाजू, जांघों पर निशान थे, पापा की समझदारी के...
आज उसने ठान लिया था और वह अपने घर के मैले आसमान से निकल कर असली आसमान देखने को निकल पड़ी, आज उसे कोई नहीं रोक सकता था, ना समाज न गालियाँ!
बाहर भले ही सन्नाटा पसर गया लेकिन किसी के घर में बस शोर ही शोर था। लॉकडाउन के 76वें दिन कुछ हुआ था, क्या? आइए जानते हैं इस शॉर्ट फिल्म रिलेशनशिप मैनेजर में।
घरेलू हिंसा अधिनियम क्या है और आज हमें इसके बारे में क्यों पता होना चाहिए और कितना कारगर है महिला सरंक्षण अधिनियम 2005, कुछ ऐसे प्रश्नों के जवाब आपके लिए।
घरेलु हिंसा के ये स्वरुप चोट तो देते हैं पर निशान नहीं देते, और ये कभी सबके सामने बोले नहीं जाते क्योंकि यहां मज़लूम ही मुज़रिम करार दिया जाता है।
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