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नीना गुप्ता की फिल्म ‘द लास्ट कलर’ ने जीता एक और इंटरनेशनल अवार्ड

शेफ विकास खन्ना द्वारा निर्देशित नीना गुप्ता स्टार्रर फिल्म 'द लास्ट कलर' पूछती है कि हमारे देश की विधवा औरतों की जिंदगी आज भी इतनी बेरंग क्यों है?

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‘जस्ट’ ए स्लैप? क्या सिर्फ इसलिए क्यूँकि महिलाओं को सहन करना आना चाहिए?

'एक थप्पड़ से क्या हो जाता है, प्यार में तो ऐसी नोक-झोंक चलती ही रहती है', क्या सच में? आज मैं भी कहूँगी, 'जस्ट ए स्लैप, मगर नहीं मार सकता।'

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तापसी की फ़िल्म का ये ‘थप्पड़’ सिर्फ उनके चेहरे पर ही नहीं बल्कि आपके आत्मसम्मान पर भी लगता है

अक्सर देखा जाता है, पुरूष कहीं से भी, किसी से भी क्रोधित होकर घर आते हैं, तो सीधा इसका गुस्सा वे अपनी पत्नी, माँ, या बहन पर दिखाते हैं।

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शॉर्ट फ़िल्म देवी का ये ट्रेलर आपकी जिज्ञासा बढ़ा देगा : क्यों बंद है एक कमरे में ये 9 औरतें?

‘याद है हम जब आए थे तो कितने डरे हुए थे!' शॉर्ट फ़िल्म देवी का ट्रेलर आ चुका है और ये उसकी सबसे आख़िरी लाइन है। आखिर ऐसा क्या है इस फ़िल्म में...

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ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा दस साल बाद भी मेरी फेवरेट फिल्म है…

दिलों में तुम अपनी बेताबियाँ लेकर चल रहे हो तो ज़िंदा हो तुम! बीते दशक की सबसे बेहतरीन और यादगार फिल्मों में से एक ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा...

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ये हैं बॉलीवुड की 6 फिल्में जिन्होंने मुझे सिखाया कि ‘मैं खुद की फ़ेवरिट हूँ!’

वैलेंटाइन डे पर ख़ुद को ज़रूर तोहफ़ा दें और याद दिलाएं कि 'मैं औरत हूं, जो ज़िंदगी देती है, फिर मुझे क्यों जीने के लिए किसी की इजाज़त लेनी है।'

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