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#abbas
ऐसे आदमी से तो बिना आदमी के अच्छी हूँ मैं…

यूं तो विमला मेरे घर काम करने आती है पर हम दोनों एक दूसरे से अपने मन की कह लेते हैं, वरना इस चार दीवारी में मेरा दम कब का घुट गया होता।

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घरेलू हिंसा को सहना उतना ही गलत है जितना उसको करना…

घरेलू हिंसा सहना मतलब शारीरिक और मानसिक शोषण सहना। ज़्यादातर महिलाएं इस कदर टूट जाती हैं कि अपने आपको ही मुजरिम समझने लगती हैं। 

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अब बस! जब मैंने कोई गलती नहीं की तो मैं उसे बर्दाश्त क्यों करूँ?

साफ-साफ बात पति ने कह दिया था लेकिन इस बार मैं भी सोच चुकी थी कि अब बस अब मैं और नहीं बर्दाश्त करुँगी! आखिर गलती क्या थी मेरी?

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तुमने अब बस कहने में इतनी देर क्यों लगा दी…

जैसे ही मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा तो उसका चेहरा देख मैने चौंकते हुए पूछा, "विशाखा तुम्हारे चेहरे पर ये निशान?" सुन कर विशाखा रो पड़ी।

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अगर सत्य रानी चड्ढा न होतीं तो आज भी कितनी बेटियां दहेज़ की आग में जल रही होतीं!

सत्य रानी चड्ढा भारत के दहेज़ विरोधी आंदोलन का चेहरा बन गयीं। उनके प्रयत्न के कारण अपनी बहुओं को जलाने की हिम्मत कोई नहीं कर पाता। 

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अब बस! मुझे डायन और चुड़ैल कहना बंद कीजिए!

"मैं सबसे कहना चाहती हूँ मुझे डायन और चुड़ैल कहना बंद कीजिए! मैं जिंदा इंसान हैं और किसी भी अप्रत्याशित घटना के लिए मुझे दोषी मत ठहराइए।" 

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