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अनुभव
सच है ज़िंदगी किसी सपने जैसी ही है, यहाँ कब क्या होगा हमें पता ही नहीं कहती हैं स्वाति

विमेंस वेब की लेखिका स्वाति कहती हैं, "मैं चाहती हूँ कि कोई भी उन स्थितयों से न गुज़रे जिनसे हम गुज़र चुके हैं और ज़िंदगी की इस लड़ाई में वो ख़ुद को अकेला न पायें।"

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अपने पिता की अंत्येष्टि करने के लिए कैसे किया पूजा ने इस समाज का सामना?

अपने पिता की अंत्येष्टि के बारे में पूजा कहती हैं, कि अगर लड़कियों को वाक़ई में सबके बराबर होना है तो इस बराबरी को जीवन के अंतिम पड़ाव तक भी ले जाना होगा।

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मेरे पहले एकल सफ़र ने सिखाया कि अगर हम ख़ुद के साथ हैं तो हमें किसी की भी ज़रूरत नहीं

माना ज़िंदगी तेरे इम्तिहान हज़ार हैं पर इन इम्तिहानों में भी ज़िंदगी गुलज़ार है, तू अपने इम्तिहानों का सिलसिला जारी रख, नए हौंसलों के साथ हम भी तैयार हैं। 

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जो सफ़र प्यार से कट जाए प्यारा है सफ़र, कुछ ऐसा ही था मेरा पहला एकल सफ़र!

इस सफर ने मुझे अपना आकलन करने को प्रेरित किया। हम महिलाओं को रोज़मर्रा की आपाधापी के बीच अपने लिए कुछ वक़्त ज़रूर निकालना चाहिए और किसी सफ़र पर जाना चाहिए।

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मैं ब्राह्मण की बेटी हूँ जिसने SC में शादी की और मुझे इस बात का कोई पछतावा नहीं

मैं ब्राह्मण परिवार से हूँ और मैंने एक अनुसूचित जाती के जने से शादी की है और ये बात हमारे समाज में आज भी बहुत बड़ी बात है #noregrets 

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ये रोटी बनाना नहीं आसां गालिब, बस यूं समझिए आग का दरिया है

पहले प्रयास के अगर मार्क्स मिलते तो मेरे नंबर नेगेटिव में आते। भगवान जी ने कोई ऐसी संरचना और इंसान ने कोई ऐसा नक्शा नहीं बनाया जैसा मेरी रोटी का आकार।

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