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नारी और समाज
मैं नारी हूँ कोई अबला नहीं

नारी की शक्ति पहचानें और उसको अब अबला कहना छोड़ दें क्यूंकि जब तक सब उसे अबला कहेंगे, तब उसको कमज़ोर समझ कर उस पर अत्याचार होते रहेंगे। 

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आप खुद सोचें, क्यों सबसे बड़ा गुनहगार है बेटी को पराया कहने वाला

पूरे मोहल्ले की नजरें झुकी थीं क्योंकि तकरीबन सभी का मानना था कि बेटियां शादी के बाद पराई हो जाती हैं, और अब कोई पुलिस में जाने की बात नहीं कर पा रहा था। 

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उन्नाव के गुनहगार को ऐसी सज़ा सुनाई जाए जिसे सुन कर समाज के सभी अपराधी काँप उठें

अपने स्तर पर जितना दबाव हम बना सकते हैं, बनाएं, ताकि अपराधी ऐसी घिनौनी हरकत को अंजाम देने के पहले थर-थर कांपने लग जाए कि अब उसकी दर्दनाक मौत निश्चित है।

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अब तू ही बतला दे ना माँ, क्या इतनी बुरी हूँ मैं माँ?

जिस देश में लड़कियों और नारी को पूजा जाता है फिर माँ क्यों उस देश में मेरे पैदा होने पर सब उदास हो जाते हैं? क्यों मेरे पैदा होने पर सब जश्न नहीं मानते?

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कहानी नारी की – इस कहानी को भी अब बदलना होगा

हर कहानी समय अनुसार बदलती है और यही होना है अब नारी की कहानी के साथ, सदियों से चली आ रही इस कहानी को अब अपना रूप बदलना ही होगा!

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दर्द हो जीवन में, तड़प हो राह में, तो सवाल स्वत: ही उठते हैं

एक बेटी की आवाज़ है ये - अब ले तेरी कोख से जन्म मैं, कोहराम ऐसा मचा दूंगी मैं भारत में, कानून ऐसा सख़्त कि होंगे दंडित बलात्कारी ऐसे कि कानून भी थर्रा जाएगा!

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