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सखियां सोच रही थी कि शीतल से जब भी हम मिलते है तो ऐसी उदास नहीं रहती, चेहरा भी काला दिख रहा और ऑंखो में लाली छाई है, देखकर लग रहा है मानो कितना रोई हो।
मैं चाय बनाने जा ही रही थी कि वो बोल उठी मैंने चाय पीना छोड़ दिया है। उसकी हंसी से मुझे पता चल गया कि कितनी बेस्वाद चाय बनाती थी मैं।
एक सुंदर वीणा जो मन में तान छेड़ती, लगता है दोस्त अपने बारे में बात कर रहे, इसका ही मतलब है, दोस्ती!
एक वक्त ऐसा आया कि मुझे लगा कि ख़ुद से बात छेड़ के बहुत बड़ी गलती कर दी है मैंने। दुनियादारी में मैं व्यस्त था वही अच्छा था।
मेरी यादों के बसेरे में एक बात अवश्य ही जुड़ गई दोस्तों, ज़िंदगी जीने का नाम है, मुर्दादिल क्या ख़ाक जिया करते हैं।
हमने भी दोस्तों को सदियों से इस दिल में महफूज़ रखा है, दूरियों को मीलों से नहीं गहराईयों से नाप रखा है।
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