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Sudha Kasera

देहली यूनीवर्सिटी से राजनीतिशास्त्र में एम.ए. बी.एड.,20 वर्षों तक अध्यापन कार्य करने के बाद हैदराबाद में स्वतंत्र लेखन को समर्पित हूँ.लिखने का शौक बचपन से ही है.1975 में बच्चों की पत्रिका ‘बालभारती’ में मेरा एक उपन्यास ‘यंत्र मानव’ छपा था.सम्प्रति विभिन्न प्रसिद्द पत्र-पत्रिकाओं में लेख और कहानियाँ छपने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है.एक अंग्रेज़ी उपन्यास ‘लव एट द टाइम्स ऑफ जिहाद’,लेखक राकेश वर्मा का हिंदी अनुवाद भी किया. अपने आस-पास कुछ भी अमानवीय घटित होते हुए देखती हूँ तो अपनी कलम को लिखने से नहीं रोक पाती.संबंधों के विभिन्न आयाम भी मुझे लिखने को प्रेरित करते हैं.

Voice of Sudha Kasera

मेरी लंदन शहर की यात्रा एक सपना सच होने जैसा थी!

लंदन शहर की यात्रा कर पर्यटक उस की रम्यता में इतने लीन हो जाते हैं कि वहां से वापस आने का दिल ही नहीं करता। मेरा भी यही हाल था...

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मैं उसके इस निर्णय को सुनकर हैरान भी थी और खुश भी…!

जब उन्हें मेरे किये की कोई वैल्यू ही नहीं है, कितना भी कर लूं, अपने भाई  के बराबर की स्थिति मेरी नहीं हो सकती, तो मैं भी उनकी क्यों परवाह करूं?

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