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Saumya Jyotsna

सौम्या ज्योत्स्ना की जड़ें बिहार से जुड़ी हैं। सौम्या लेखन और पत्रकारिता में कई सालों से सक्रिय हैं। अपने लेखन के लिए उन्हें प्रतिष्ठित यूएनएफपीए लाडली मीडिया अवॉर्ड भी मिला है। साथ ही SATB फेलोशिप भी प्राप्त कर चुकी हैं। सौम्या कहती हैं, "मेरी कलम मेरे जज़्बात लिखती है, जो अपनी आवाज़ नहीं उठा पाते उनके अल्फाज़ लिखती है।"

Voice of Saumya Jyotsna

“अगर मैं वहां से नहीं निकलती तो मेरी शादी हो जाती” बिहार पंचायत की प्रत्याशी प्रिंयका

सीतामढ़ी से बिहार पंचायत की प्रत्याशी प्रिंयका कहती हैं, "जब मैं 8वीं में पहुंची, मेरी शादी की बात होने लगी, मगर मैं शादी नहीं करना चाहती थी।"

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पेड़-पौधों को बनायें अपने जीवन का हिस्सा ताकि हरियाली की धमक रहे बरकरार

कोरोना काल में हुई ऑक्सीजन की कमी और सांसों के लिए संघर्ष करते चेहरों ने हरियाली की एहमियत हमें समझा दी है।

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फिल्म डेंजरस राम गोपाल वर्मा की कॉन्ट्रोवर्सी में बने रहने की एक और कोशिश लगती है

राम गोपाल वर्मा ने अपनी फिल्म डेंजरस में लड़कियों के शरीर को ओबजेक्टिफ़्य करके, इसे गंदे तरीके से लोगों के सामने पेश करने की कोशिश की है।

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कुछ लोग अपने पैसे सिर्फ दुआ कमाने के लिए खर्च करते हैं…

मोनू उस वक्त भी मदद के लिए आया था, लेकिन उसकी आवाज़ को अनसुना करके दोनों कमरे में ही चुप्पी साधे बैठे रह गए थे।

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मदर मिल्क बैंक से मिल सकता है हर नवजात शिशु को माँ का दूध!

एक नवजात बच्चे के लिए मां का दूध उतना ही जरुरी होता है। इसलिए वर्तमान भारत में लगभग 20 से ज्यादा मदर मिल्क बैंक संचालन किया जाता है।

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कोरोना काल में सावधान रहें गर्भवती महिलाएं ताकि बच्चे को ना हो संक्रमण

कोरोना माहमारी भयावह रुप ले चुकी है, इस काल में जरुरी है कि गर्भवती महिलाएं अपना ज़्यादा से ज़्यादा ध्यान रखें और पूरी सावधानी बरतें। 

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संघर्षमय जीवन को अपना कर ममता बनर्जी ने रचा है अपना राजनीतिक इतिहास

ममता बनर्जी का राजनीतिक जीवन भी अनेक उतार-चढ़ावों से भरा हुआ रहा है, जिससे लड़कर ममता ने अपनी पैठ बनाई और वे लोगों की लोकप्रिय दीदी बनीं। 

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सांड की आंख पर निशाना लगाने वाली शूटर दादी चंद्रो तोमर शक्ति का प्रतीक थीं!

गांव की दहलीज से निकलकर शूटर दादी चंद्रो तोमर ने घूंघट की ओट से ही निशाना लगाना शुरु किया और अच्छे-अच्छे निशानेबाजों के दांत खट्टे कर दिए।

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पीरियड्स मिस होने के कारण मैं मेन्टल ट्रॉमा में चली गयी थी…

पीरियड्स मिस होने के कारण मानसिक स्थिति ख़राब हो रही थी। दिमाग में केवल एक बात ही चलती रहती कि क्या हुआ है मुझे? कब होंगे पीरियड्स?

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अगर ये शरीर मेरा है तो इससे जुड़े निर्णय भी मेरे हों!

यूएन जनसंख्या कोष रिपोर्ट 2021 के माध्यम से, महिलाओं द्वारा अपने शरीर के बारे में ख़ुद के निर्णय लेने की उनकी क्षमता को मापा है। 

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मनदीप कौर सिद्धू बनीं न्यूजीलैंड पुलिस में शामिल होने वाली पहली भारतीय महिला

मनदीप कौर सिद्धू के मन में पुलिस बनने का सपना इस कदर हावी हुआ कि वह साल 2004 में टैक्सी ड्राइवर से न्यूजीलैंड में पुलिस कांस्टेबल बन गईं।

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ताने सुनने के बावजूद, सबसे छोटे कद की वकील बनीं हरविंदर कौर उर्फ़ रूबी

'हौंसले बुलंद थे इसलिए हालात पर भारी पड़े', कहती हैं भारत की सबसे छोटे कद की वकील हरविंदर कौर उर्फ़ रूबी और उनकी इस बात से हम सहमत हैं। 

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कोरोना काल में कई बुजुर्ग महिलाएं कर रही हैं अवसाद का सामना

कोरोना काल में बुजुर्ग महिलाएं अपने बुजुर्ग पतियों की देखभाल करने वाली एकमात्र सदस्य बन गईं, जिसके कारण अवसाद ने उन्हें घेर लिया। 

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गालियों का इतिहास पुराना है, मगर तब और अब की गालियों में अंतर आ गया है

बीजेपी कॉर्पोरेटर प्रगति पाटिल ने कहा है कि महिलाओं को गालियों की वस्तु बनाना बंद करना होगा, जिसके लिए उन्होंने आदरणीय प्रधानमंत्री को चिट्टी लिखने की बात कही है।

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अब बेटे की शादी कर देते हैं ताकि बहु आकर घर संभाल ले…

घर संभालने के लिए केवल लड़की को ही क्यों सामने परोस दिया जाता है? लड़के के माता-पिता क्या लड़कों की जिम्मेदारी नहीं होते?

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‘कब तक लड़ेंगे अपनों से’ कहकर आयशा आरिफ खान ने मौत को गले लगा लिया…

लोग वीडियो को शेयर कर रहे हैं और लोगों की आंखें नम हैं मगर ये लोगों की ही बनाई मानसिकता है कि आयशा आरिफ खान अपनी जिंदगी से तंग हो गई। 

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‘श्वेता की कॉल’ तो वायरल हो गयी लेकिन आप सावधान रहें

‘ये हमारी पॉरी हो रही है' के बाद अब 'श्वेता की कॉल' भी खूब ट्रेंड कर रहा है, आइये जानें कैसे किसी की एक गलती बन गयी किसी की परेशानी।

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शबनम हैं आज़ाद भारत की पहली महिला जिसे फांसी की सज़ा सुनाई गई है

आज़ाद भारत के इतिहास में पहली बार किसी महिला को फांसी की सजा सुनाई गई है। शबनम ने इस घटना को साल 2008 अप्रैल महीने में अंजाम दिया था।

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सोशल मीडिया पर प्यार, ना बाबा ना…

भावनाओं के समंदर में बहकर अपनी न्यूड तस्वीरें या न्यूड वीडियो कॉल ना करें, जिससे आपके स्क्रीनशॉट की नुमाइश होने लगे।

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क्या आप जानते हैं टीबी का एक बड़ा कारण कुपोषण हो सकता है?

विभिन्न संगठनों द्वारा आंकड़े यही बताते हैं कि टीबी का खतरा बढ़ने का अनुमान है, जिसमें कुपोषण एक सबसे बड़ा कारण बनकर उभर सकता है।

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बड़ी गाड़ी को सर चलाएं या मैडम क्या फर्क़ पड़ता है?

महिलाएं ट्रक से लेकर ओला, उबर तक चला रही हैं, मगर चौंकाने वाली बात यह है कि गाड़ियों को भी लोग जेंडर से जोड़कर देख रहे हैं।

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मिंत्रा ने अपना लोगो बदलकर अब खड़े कर दिए हैं ये सवाल

भले लोग कह रहे हों कि मिंत्रा लोगो कंट्रोवर्सी एक पब्लिसिटी स्टंट है। मेरा भी मानना है कि एक पल को मान लेते हैं कि यह यही है मगर...

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इस रिपोर्ट के अनुसार बिहार में महिला पुलिस बल का आंकड़ा बढ़ रहा है

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के नए आंकड़े बिहार में हो रहे बदलाव की ओर इंगित कर रहे हैं, जहां महिला पुलिस बल की सहभागिता बढ़ती दिखाई दे रही है।

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ग्रामीण इलाकों में बढ़ रहे हैं सिज़ेरियन डिलीवरी के केस और सबके मुँह बंद हैं

कई ग्रामीण इलाकों में डॉक्टर बिना सोचे-समझे सिज़ेरियन डिलीवरी करवा देते हैं ताकि पैसे कमाए जा सकें, जिसकी जरुरत नहीं होती है।

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बॉम्बे हाईकोर्ट के अनुसार यौन हिंसा तब जब गलत इरादे से त्वचा से त्वचा का संपर्क हो

लोग अपने बच्चों को 'गुड टच-बैड टच' की परिभाषा बताते हैं मगर अब इस निर्णय के बाद शायद 'बैड टच' यौन हिंसा में आएगा ही नहीं।

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रजनी चांडी को इस उम्र में क्या पहनना चाहिए ये बताने वाले हम कौन होते हैं?

रजनी चांडी का बोल्ड ओर कांफिडेंट फोटोशुट हर महिला के लिए प्रेरणादायक है, जिन्हें अपने मन की उड़ान भरने की इच्छा है। 

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बांझपन के लिए सिर्फ अपनी बहु को ही दोषी न ठहराएं…

पुरुषों में भी इनफर्टिलिटी या बांझपन की समस्या देखी जाती है इसलिए केवल महिलाओं को बच्चा न होने के लिए ज़िम्मेदार ठहराना गलत है। 

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तुम कुछ नहीं करतीं…का हिसाब लगाती है सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

घरेलू महिला और उसके कामकाजी पति दोनों की अहमियत एक समान है क्यूँकि महिलाएं घर में बिना पैसे के पुरुषों की तुलना में ज्यादा काम करती हैं।

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राम गोपाल वर्मा की ऐसी सोच मुझे बिलकुल ग़लत लगती है…

राम गोपाल वर्मा के दिए गए बयान में कहा गया है कि उनके लिए लड़कियों के दिमाग से ज्यादा लड़कियों के शरीर ज्यादा मायने रखते हैं।

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बिहार में सरकार की कन्या उत्थान योजना की ज़मीनी हकीकत क्या है?

कन्या उत्थान योजना नीतीश सरकार की योजना है, जिसके तहत लड़कियों को बारहवीं और स्नातक कर लेने पर प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। 

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आपके इन सवालों के जवाब में है आई वी एफ की पूरी जानकरी!

अब संतानहीनता एक बड़ी परेशानी नहीं है क्योंकि आई वी एफ की जानकरी से लोग जागरूक हो रहें हैं और इस तकनीक से माता-पिता बन रहे हैं।

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साल के अंत में आई ऑनर किलिंग की ये खबर शायद आखिरी न हो…

ऑनर किलिंग के मामले कोर्ट तक बहुत कम पहुंचते हैं, शायद इसलिए सरकार के लिए यह एक गंभीर विषय नहीं है, तो अब क्या होना चाहिए?

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2020 में भारतीय महिलाओं के हित में हुए ये 4 सुप्रीम फैसले!

साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने अनेक ऐतिहासिक निर्णय सुनाए जो महिलाओं से संबंधित हैं और जिसे जानना हर एक के लिए ज़रुरी है। आइये जानें और...

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तुम्हारी पत्नी सिर्फ एक जिस्म नहीं है…

शादी के बाद प्रियंका को जब पता चला तो वह स्वयं को ठगा हुआ महसूस करने लगी क्योंकि रवि से उसने यह उम्मीद कभी नहीं लगाई थी...

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एक बच्चे के लिए मैं शादी क्यों करूँ…

अगर तुम बिन ब्याही मां बनोगी तो लोग अनेक सवाल करेंगे। तुम मां बन भी जाओगी फिर उस बच्चे के पिता को कहां से लाओगी?

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इस बार लाडली मीडिया अवार्ड जीतने के बाद मेरी इन तीन विजेताओं से बात हुई!

इस बार लाडली मीडिया अवार्ड की कुछ विजेताओं से हमारी बात हुई तो उन्होंने अपने लेखन के सफर और लाडली तक पहुंचने के खबर को हमसे साझा किया।

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आईवीएफ के ज़रिये ले रही हैं आज लड़कियाँ माँ बनने का फैसला!

आईवीएफ ट्रीटमेंट से अब बिना सेक्स के मां बनना संभव है। तो जानिये इस पर विशेषज्ञों की राय और आज की लड़कियों का क्या सोचना है...

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छत्तीसगढ़ के मड़ई मेले की एक अजीब सी प्रथा में महिलाओं की पीठ पर चलते हैं पुरुष!

छत्तीसगढ़ के मड़ई मेले में जब महिलाएं एक पंक्ति में लेट गईं तो कई पुजारी और बैगा मंदिर में प्रवेश करने के लिए उनकी पीठ पर चढ़ गए। 

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छठ पूजा के समय महिलाएं नाक से लेकर मांग तक सिंदूर क्यों लगाती हैं?

एक ओर तो छठ पूजा के पर्व को प्रकृति का त्यौहार कहा जाता है, लेकिन उसमें परिवारवाद और मन्नत की पहुंच ने अपनी जगह बनाने का काम किया है। 

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बिहार के महापर्व छठ पूजा का प्रसाद है बहुमूल्य गुणों की खान!

छठ पूजा का प्रसाद ऐसी अनेक चीज़ों को शामिल करता है, जिससे शरीर को पोषक तत्व मिलते हैं, इसलिए इसका वैज्ञानिक महत्व भी बहुत ज़्यादा है। 

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बिहार चुनाव में इस बार महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत पुरुषों से ज़्यादा!

बिहार चुनाव में इस बार महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत बढ़ना एक सुखद खबर है क्योंकि इससे महिला सशक्तिकरण का नींव को मजबूती मिलती है।

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एक आम भारतीय महिला रोज़ाना छह घंटे ‘अनपेड’ काम करती है लेकिन…

हाल ही में एक रिर्पोट में आया है कि कोरोना माहमारी के कारण 47 फीसदी कामकाजी महिलाएं काम के प्रेशर के कारण भावनात्मक परेशानी महसूस कर रही हैं।

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केमिकल कैस्ट्रेशन क्या है और क्या इसका डर बदल पायेगा एक रेपिस्ट के इरादे को?

केमिकल कैस्ट्रेशन क्या है और क्या नहीं है? और क्या इसका डर एक बलात्कारी को आगे बढ़ने से रोक पायेगा? क्या इतना काफी है? आइये डालें एक नज़र...

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गांधी जयंती पर उनकी अर्धांगिनी कस्तूरबा को भी याद करना ज़रुरी है

गांधी आज जितने गर्व से याद किए जाते हैं, उसमें बा का सबसे ज़्यादा योगदान है क्योंकि गांधी ने महान बनने की सीढ़ी बा के सहारे ही चढ़ी है।

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नेहा राठौड़ ‘बिहार में का बा’ के इस वायरल वीडियो से सोशल मीडिया पर छा गयी हैं

नेहा राठौड़ 'बिहार में का बा' में बिहार में फैली बेरोज़गारी के साथ-साथ बिहार के हालात को गीत द्वारा प्रस्तुत कर रही हैं इस वायरल वीडियो में। 

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चुनावों के अहम मुद्दों में महिलाओं की इस समस्या को भी शामिल किया जाना चाहिए…

चुनावों में कई मुद्दों पर वादे होते हैं, लेकिन पीरियड्स, जो सिर्फ महिलाओं की समस्या समझी जाती है, कभी भी किसी ने अहम मुद्दा नहीं समझी?

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साइबर अपराध के खिलाफ आवाज़ उठाकर अपनी आवाज़ बुलंद करें

मेरी इस पोस्ट के बाद कई महिलाएं मेरे इनबाक्स में आईं और उन्होंने साइबर अपराध से जुड़ी अपनी परेशानियों को साझा किया कि किस तरह से उन्हें परेशान किया जाता है।

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मेडिकल गृह, तमिलनाडु में स्वास्थ्य जरूरतों की अनदेखी

एक ओर जहां कंडोम, आई पिल आदि पर पाबंदी है, तब सेक्स के विषय में कैसी चुप्पी होगी!!

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‘जस्ट’ ए स्लैप? क्या सिर्फ इसलिए क्यूँकि महिलाओं को सहन करना आना चाहिए?

'एक थप्पड़ से क्या हो जाता है, प्यार में तो ऐसी नोक-झोंक चलती ही रहती है', क्या सच में? आज मैं भी कहूँगी, 'जस्ट ए स्लैप, मगर नहीं मार सकता।'

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मेरे लिए आज़ादी के असल मायने, अपने हिस्से की आज़ादी लेकर दूसरों को प्रोत्साहित करना!

आज तो हमारे संविधान में कई तरह की आज़ादी और लोगों के अधिकारों का ज़िक्र है मगर मैं पूछना चाहती हूँ, क्या उन अधिकारों को लोग आसानी से पा लेते हैं?

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प्रथा के नाम पर लड़कियों के स्तनों को जला डालना,ताकि कोई उन्हे रेप न करे

ब्रेस्ट आयरनिंग - लड़कियों की 'सुरक्षा' के नाम पर उनके स्तनों को जला डालना! हाँ, यह भयंकर रिवाज आज भी कायम है| जानिए प्रथा के नाम पर होने वाले एक और शोषण के बारे में| 

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‘मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट’ बेहद सराहनीय है, पर इसकी ग्राउंड रियलिटी अभी थोड़ी अलग है

'मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट’ बेहद सराहनीय है, पर, इसकी ग्राउंड रियलिटी अभी थोड़ी अलग है। इसका कुछ व्यापक असर हो, यह बहुत ज़रूरी है |

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जीवन का संगीत – कभी उतार, तो कभी, चढ़ाव

जीने के लिए, पलक की ही तरह, आइये, यही नजरिया अपनाएं-'जिंदगी प्यार का गीत है'-जहाँ, कभी उतार है, तो कभी, चढ़ाव। संगीत के सुरों के भांति। 

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मैं ऐसे लोगों को चाय में पड़ी मक्खी समझती हूँ…

लड़कियों को जानबूझकर छूना, उनसे टकराना, उन पर सीटी बजाना, अश्लील इशारे करना, गाड़ी चलाते वक्त जान बूझकर पीछा करना...

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स्तन कैंसर के प्रति जागरूक होना बहुत ज़रूरी है

स्तन कैंसर और उसके लक्षण के प्रति जागरूक रहें। यदि शुरुआती दिनों में ही ब्रेस्ट कैंसर का पता लग जाए तो यह पूरी तरह से ठीक हो सकता है।

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#MeToo के साथ अब अपनी आवाज़ मुखर करने का वक़्त आ गया है

जो आरोप अब निकले हैं #MeToo की वजह से, उनकी जाँच तो होनी हीं चाहिए ताकि हर उस इंसान का वह चेहरा सामने आए, जो उसने अपने प्रत्यक्ष चेहरे के पीछे छुपाकर रखा है|

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बेटियों कोई वस्तु नहीं जिनका दान हो इसलिए अब कन्यादान बंद करें

लड़कियां भी इंसान होती हैं, कोई वस्तु नहीं, जिनका दान हो, पुरानी परंपराएं और कुछ पुराने शब्द भी अब हमें बदलने होंगे, कृपया हमारा कन्यादान न करें।  

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नाख़ून टूट गए

"माँ सोचने लगी अगर ये नाख़ून आज नहीं होते तो?" किसी भी माँ ने सपने में नहीं सोचा होगा कि उसकी बेटी के नाख़ून इस काम आ सकते हैं। 

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एक समान: बेटियां किसी से कम थोड़े न होती हैं!

 बेटा हो या बेटी, दोनों एक सामान हैं, "ये कहना गलत है कि हम बेटियों को बेटों की तरह रखते हैं"- दोनों जैसे चाहें वैसे रहें।     

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इतना गुस्सा क्यों जब महिला अधिकारों की जीत के साथ 800 वर्ष पुरानी प्रथा का अंत हुआ है?

केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। जिसके साथ ही 800 वर्ष पुरानी प्रथा खत्म हो गई है, जिसमें 10 वर्ष की बच्चियों से लेकर 50 वर्ष तक की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की सख्त मनाही थी अब तक।

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धारा 377: इस बदलाव को स्वीकारना होगा

धारा 377- जिस समाज में लोग आज भी इस विषय पर बात करने से हिचकिचाते हैं, क्या इसे वहाँ सामाजिक स्वीकृति मिलेगी? मन में उठते हैं ऐसे कई सवाल। 

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मैं सुंदर हूँ और मैं खुद की फेवरेट हूँ।

एक तरफ तो हम सांवले रूप वाले श्री कृष्ण और काली माँ की भक्ति करते हैं, दूसरी ओर हमें ही अपने सांवले या काले रंग से दिक्कत होती है? ऐसा क्यों?

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The Magic Mindset : How to Find Your Happy Place

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