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Priyanka Katare 'प्रिराज'

एक लेखिका हूँ। अपने विचारों को, अपने अनुभवों को और इस समाज की विसंगतियों को अपनी कलम के माध्यम से उजागर करने के लिए प्रयासरत हूँ।

Voice of Priyanka Katare 'प्रिराज'

लड़कियाँ रंग-बिरंगी, खूबसूरत सी होती हैं…

लड़कियाँ चिड़ियों की तरह होती हैं, चहचहाती, फुदकती हुई सी। मगर किसी जाल में फंसते ही भूल जाती हैं फुदकना, और चहचहाना भी...

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स्त्री के अधिकारों से ज्यादा उसके कर्तव्य बड़े हो जाते हैं…

वो भूल गई इस दुनियाँ में स्त्री को ये अधिकार कहाँ, अपने लिए वो जिये सदा दुनिया को ये स्वीकार कहाँ। फिर भी वह आज भी जीती रहती है...

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जब भी स्वाभिमान से जीती है, हर स्त्री थोड़ा मर्द बन जाती है…

खुद को आगे रख ले जब भी, संस्कार हीन वह कहलाती  है! जब भी स्वाभिमान से जीती है, हर स्त्री थोड़ा सा मर्द बन जाती है।

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बोलो, कौन देता है गवाही मेरी और इस लापरवाह समाज की?

बोलो कौन देता है गवाही बेशर्म से रसूखदारों के, मलिन इतिहास की? कौड़ियों में बिक रहे मज़बूर से अहसास की? बोलो कौन देता है गवाही?

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