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Pragati Tripathi

This is Pragati B.Ed qualified and digital marketing certificate holder. A wife, A mom and homemaker. I love to write stories, I am book lover.

Voice of Pragati Tripathi

बाबुल बस एक बार मुझे गले लगा लो…

वह उसकी मनोदशा समझ रहा था लेकिन वो भी कुछ नहीं कर पा रहा था। स्वत वह अतीत में खो गया, जब उसके माता-पिता को उनके बारे में पता चला...

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हर जगह अपना ‘वूमन कार्ड’ खेलती हो तो कह दिया, लेकिन उसके बाद …

जो मर्द औरत से जलन रखता है वह मन ही मन बखूबी जानता है कि एक औरत बहुत सारे रोल को बखूबी और उससे ज़्यादा अच्छे से निभाती है। 

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अगर मेरा बेटा शेफ बनना चाहता है तो इससे आपको परेशानी क्यों?

अब जब हमारा समाज इस सोच से ऊपर उठ रहा है तो हम क्यों वो पिछड़ी और दकियानूसी सोच रखें क्यूंकि कोई काम किसी किसी एक जेंडर के लिए नहीं है।

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वक़्त की नज़ाकत को हम क्या समझेंगे…जाने हम कब सुधरेंगे!

"लॉक डाउन है तो क्या? आज तेरी भांजी का पहला बर्थडे है, इसी शहर में रहकर हम अगर नहीं गए तो समधी जी क्या सोचेंगे?" क्या ये आप हैं?

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अपने बचपन की कहानियां याद करते हुए मुझे आज इमली वाली अम्मा याद आ गयीं!

बात तब की है जब मैं स्कूल में थी, तब इमली बेचने वाली अम्मा रोज़ हमारे स्कूल के पास आती और सारी लड़कियां उससे इमली खरीदतीं।

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मानते हैं ना आप कि बात करना बहुत आसान है पर निभाना मुश्किल?

चाहे कोई कुछ भी कहे पर अभी भी ज़्यादातर माँ-बाप को बेटी के ससुराल के साथ निभाना ही पड़ता है, चाहे वो लड़की के परिवार के साथ कैसा भी व्यवहार क्यों न करें।

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लड़की बड़ी हो कर माँ दुर्गा क्यों नहीं बनती? क्यों असुर का संहार नहीं करती?

इस कन्या पूजन पर सोचें, माँ-बाप के दिए हुए ये संस्कार, जो आज भी हर लड़की को बचपन से ही सिखाते हैं कि हर हाल में सहनशील बनना चाहिए, कितने ज़रूरी हैं?

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जीवन साथी अगर रसोई में भी साथी बन जाए तो…बात बन जाए!

जिसने अपने घर में कभी रसोईघर में कदम न रखा हो, उसे पहली ही बार में बीस लोगों के लिए खाना बनाने को कहा जाए, तो सोचिए उसका क्या हाल होगा!

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हे भगवान! मैं तो अभी भी जिंदा हूँ!

हे भगवान! मेरा ऑपरेशन हो रहा है और ये डॉक्टर क्या कर रहे हैं। इन्हें अपनी छुट्टियों का प्लान बनाने के लिए यही जगह मिली है क्या? 

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साड़ी सेल – एक अनार सौ बीमार

ये तो 'एक अनार और सौ बीमार' वाली बात हो गई क्योंकि एक सोने का सिक्का पाने के लिए हजारों महिलाओं की भीड़ जमा हो गई थी।

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कन्या भ्रूण हत्या – क्या डाॅक्टर को पता नहीं कि लिंग जाँच करना कानूनन अपराध है?

"क्या?" इतना सुनते ही माया का कलेजा मुँह को आ गया। क्या डाॅक्टर को पता नहीं कि लिंग जाँच करना कानूनन अपराध है?

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हर बात के लिए औरत ही दोषी क्यों?

आज भी हमारे समाज में विधवा औरतों को शुभ कार्यों से दूर रखा जाता है, उन्हें अशुभ करार दिया जाता है। सुहागन और अभागन बनना किसी के हाथ में नहीं होता।

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श्रद्धा का मोल-आधुनिक परिवेश में श्रद्धा भी बिज़नेस

लगता है आप पहली बार ऐसे दर्शन करने आए हैं। देखिए, पांच मिनट के दो सौ रुपए, दस मिनट के चार सौ, पन्द्रह मिनट के छः सौ पर हेड।

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मिलन होगा, ओ मन थोड़ी धीर धरो

कभी-कभी हम इतने स्वार्थी हो जाते हैं कि सिर्फ अपने ही बारे में सोचने लगते हैं, लेकिन हमें दूसरों के बारे में भी सोचना चाहिए।

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रस्सी जल गई पर बल नहीं गया

जब लड़के वाले दहेज लेते हैं तब उन्हें बहुत अच्छा लगता है लेकिन जब अपनी बेटी की शादी में दहेज देना पड़ता है, तब बहुत तकलीफ होती है।

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कर्मों का फल

रोज की तरह रमा घर का काम कर रही थी। तभी पड़ोस की मुनिया चाची आई। मुनिया चाची के स्वभाव से सब परिचित थे। वो सच बोलती थी जो की बहुत कड़वा लगता था सभी को, सेठाईन डर गई ना जाने क्या बोल जाए।"

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