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Mridula Tiwari

मैं एक शिक्षिका हूँ साथ ही कुछ कवितायें लिखती आरही हूँ। मेरी पहली कविता एक घरेलू हिंसा के खिलाफ थी और यहीं से मैं उन स्त्रियों के बारे में लिखने का प्रयास करती हूँ जो किसी न किसी रूप में समाज के अनकही नियमों और रीति रिवाजों के नाम पर पिसती आरही हैं। इसीलिए ये जरिया पसंद आता है।

Voice of Mridula Tiwari

नवयुग की वैदेही : हर बार नारी की ही अग्नि परीक्षा क्यों?

थोड़ा तुम भी तो बदलो, मेरे अधिकारों की मौलिकता को पहचानो, हर बार नारी की ही अग्नि परीक्षा क्यों? हर बार नारी की ही अग्नि परीक्षा क्यों?

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स्त्री: एक विवशता

पिता का अभिमान हूँ, माँ के दिल का अरमान हूँ, जो नहीं हूँ, वह है इस अप्रत्याशित समाज का हिस्सा।

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The Magic Mindset : How to Find Your Happy Place

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Women In Corporate Allies 2020

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