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प्यार रूह से किया जाए तो प्यार कहलाता, गर जिस्म से हो जाए तो समाज बीच में आ जाता? जिंदगी जीने और प्यार चुनने का हक है तो यह समाज बंदिशें क्यूं लगता?
दूसरों को दोष देने वाले, करते मारपीट दूजे की लड़की के साथ तो गलती उसकी बताते हैं, जब होता अपनी बेटी के साथ, तो घरेलू हिंसा बताते हैं?
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