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Manu Kumar

मै मनु वर्मा, एक selfemployed और एक housemaker हू। समाजशास्त्र और कला विषयों मे स्नात्कोत्तर हुँ, एक सभ्य और सुरक्षित समाज की कल्पना करती हू,जहाँ सभी वर्गो को उनकर अधिकर प्राप्त हों, और साथ ही अपने कर्तव्यो का भी एहसास हो। अपने लेखो और कविताओं के माध्यम से मेरी यही कोशिश रहेगी।। धन्यवाद।

Voice of Manu Kumar

और अब मैं अपनी छवि को अपना हिस्सा बना रही थी…

मैंने और पति ने अनगिनत मंदिरों में हाथ जोड़े, मगर भगवान ने मुझे संतान सुख से वंचित ही रखा। अब तो रिश्तेदारों ने भी टोकना कम कर दिया था।

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बुढ़ापे को अभिशाप न मानें, ये आने वाली पीढ़ी के लिए अनुभवों की टोकरी है…

घर आकर मैं काफी देर सोचती रही कि क्यों उम्र के आखिरी हिस्से में बूढ़े मां बाप को अकेला छोड़ दिया जाता है? ज्यादातर बच्चे साथ होकर भी साथ नहीं होते?

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अंदर से बिखरी लेकिन बाहर से हमेशा संवरी क्यों नज़र आती हैं कुछ औरतें?

मुझे वो चिड़िया हम औरतों की तरह लगी, अंदर से कितना भी बिखरी हों, मगर बाहर से सवरीं ही नज़र आती हैं। सब कुछ नज़र अंदाज कर के लगी रहती हैं ना?

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