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कुछ पल मुझे अपने लिए जीने होंगे…

पिछले दिनों अपनी बहन से मिलने गई थी। छुटकी ने चाय पकड़ाते हुए कहा, "दीदी! लीजिए आप के लिए मलाई वाले टोस्ट। आप को बहुत पसंद हैं न?"

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मुश्किल में इंसान ही इंसान के काम आता है…

"तुम नया छाता दे तो दोगी, पर अगर शांता दोपहर में वापस करने न आई, तो तुम्हारा अपना छाता तो गया। कल तुम चली जाओगी, वापस आ कर भूल जाओगी..."

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मैं खुश तो मेरा परिवार भी खुश…

एकांत मिलते ही मां ने मेरी नाराज़गी का कारण जानना चाहा तो मैं रोने लग गई। मां ने बड़े प्यार से पूछा, "क्या कोई रूपए पैसे की कमी है?"

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अब मैं हाउस वाइफ नहीं हूँ…

शादी के बाद, घर साफ न होने पर, खाने में देरी हो जाने पर, कपड़े प्रेस न होने पर, हर बात की मैं जवाबदेह थी, उस पर 'तुम दिन भर करती क्या हो?'

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आज आपने मुझे मेरी नहीं अपनी औकात दिखाई है…

पिछली बार राजीव से मिलने पर वह सब पल वह दोनों फिर से जीना चाहते थे। राजीव ने स्वयं ही फोन पर यह सब मंगवाने के लिए कहा था।

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