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एक कवियत्री, जो अपनी कविताओं से हर दिल तक अपनी बात पहुँचाना चाहती है...
यूँ कहते सुना है मैंने कुछ 'पढ़े लिखे गंवारों' को! कुछ साल कर तो ली नौकरी, निकल गया ना शौक? और वैसे भी कमा तो मैं लेता ही हूँ इतना, फिर क्या जरूरत है?
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