कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

स्मार्ट फोन वाली मेरी माई…

मेरी मम्मी को अब तो यूट्यूब चलाना आ गया था। घर की जितनी पुरानी चीजें थी सबसे घर को सजाने बैठ गईं। घर तो नहीं सजा चीजें जरूर बर्बाद हो गई।

आधुनिक युग के  संसाधनों का उपयोग करने के लिए मेरी माँ ने नए जमाने की चाल से चाल मिलाकर चलना चाहा, तो सबसे पहले मेरी माता श्री ने अपने लिए एक स्मार्ट फोन लिया और बड़े गर्व से कहा कि अब मैं भी एक स्मार्ट महिला बनूंगी। पिताश्री ने मेरी माता श्री को बड़े प्रेम से एक नया-नया स्मार्ट फोन दिलाया है।

माता ने पहले तो लेने से मना किया।

“अरे मैं क्या करूँगी, मुझे तो बस फोन करना है और सुनना है।”

लेकिन पिता श्री का प्रेम भरा अनुग्रह सुनकर ले लिया और बोली लाओ दो और प्रेम से नजरें झुका ली। अब तो मेरी माता श्री की सारी दुनिया एक छोटे से डिब्बे में आकर सिमट गई।

अब तो माताजी का सारा काम फोन पर ही होने लगा और हम लोगों की मुसीबतें शुरू।

“बिटिया जरा देखना तो मेरे मोबाइल में कल मौसम कैसा रहेगा?”

“मैंने भी सोचा कि अब यह मौसम का क्या करेंगी?” मैंने भी बड़ी जोर से कहा, “अब मौसम का क्या करना है मम्मी?”

“अरे कल अचार पापड़ डालना है और क्या जरा देख लो कोई अंदेशा हो तो कल ना डालूं?” अचार पापड़ तो ठीक था। अब तो फोन से ही पूछ कर कपड़े धोए और सुखाए जाते थे। अरे भाई यह मेरी मम्मी हैं! इन्हें अभी नया-नया स्मार्ट फोन दिलाया है, पापा ने पहले तो लेने को ही तैयार नहीं थी और अब  क्या-क्या गजब कर रही हैं।

माता श्री पहले तो कहते थीं कि केवल फोन करना है और सुनना है लेकिन यह बात हम सब लोगों को नहीं पता थी कि मेरी मम्मी इस फोन का इस्तेमाल इस तरह भी कर सकती हैं। शायद फोन बनाने वाली कंपनी ने भी नहीं सोचा होगा कि मेरे फोन का इस्तेमाल इन सब कामों के लिए भी किया जा सकता है।

मेरी माता श्री अब तो हर काम गूगल गुरु से ही पूछ कर करती हैं। चाहें अच्छा काम हो या बुरा। अब तो  मेरी माता जी के पंडित गूगल गुरु ही हो गए हैं।

मेरी मम्मी एक दिन बहुत गुस्से में मेरे पास आईं और फोन फेंकते हुए बोलीं, “बस यही सब देखना इस जिंदगी में रह गया है। बस यही गंदगी बाकी रह गई थी। देखने को वह भी देख लिया  है तब भी आज कल के बच्चे लोग बिगड़ रहे हैं इतना।..राम! राम! बेशर्मी की हद कर रखी है।”

मैंने पूछा, “तो हुआ क्या है? वो इतने गुस्से में बड़ी-बड़ी आँखों से मेरी तरफ देखते हुए बोलीं कि अरे कल पूर्णमासी है, कथा की किताब नहीं मिल रही मैंने सोचा यूट्यूब पर देख लूँ पर यहां पर तो दूसरी ही कथा चल रही है। इतने गंदे गंदे वीडियो छि…!”

मैंने सोचा मन मे क्या कथा है पहले ये तो देख लूँ, मैंने मम्मी के फोन में यूट्यूब खोला तो हंसते-हंसते हालत खराब हो गई। मम्मी ने तो पूर्णमासी सर्च करने के लिए पूर्ण की जगह पॉर्न डाल दिया था फिर मैंने अपनी माता को सब कुछ समझाया तो वह भी मेरे साथ हंसने लगीं।

माँ एक दिन गुस्से में आकर मेरे पास बैठीं और बोलीं, “देखो तो बेटा कौन मुझे बार-बार मैसेज कर रहा है। बदमाश मिल जाए तो हाथ पैर तोड़ दूं।”

मैंने देखा तो मम्मी के कांटेक्ट में धोबी का नंबर था और माता श्री अनजाने में उसी व्हाट्सएप पर कॉल की हुई थीं। वहाँ से उठाया तो इधर से कोई बोलता नहीं।

मैंने फोन करके धोबी वाले भैया से माफी मांगी और अपनी माता को फिर से सब कुछ सिखाया तब माता श्री की भ्रुकुटी नीची हुई और थोड़ा सा मुस्कुराई। माताजी तैयार होकर मेरे पास आई और बड़े प्यार से मुस्कुरा कर बोली, “बेटा शर्मा जी के यहाँ शादी है। एक दो यूट्यूब से बन्ना बन्नी निकाल दो।”

मैंने उनको निकाल कर दिया। मन ही मन बहुत खुश हुई कि आज सब की छुट्टी। प्रसन्नता से भरी हुई, मुस्कुराती हुई माँ मेरी शर्मा जी के यहां गई। जितनी प्रसन्नता पूर्वक गई थीं, उससे भी बड़ा मुंह लटका कर वापस आईं। 

मैंने पूछा, “क्या हुआ?” 

बोलीं, “लगता है शर्मा जी की बहू ने भी यूट्यूब से देखा था। उसने मुझसे पहले ही गा दिया।” और बेचारी दुखी हो गईं।

मैंने कहा, “कोई बात नहीं तुम वहाँ गईं, शर्मा जी के लिए वही बड़ी बात है।”

माता श्री प्रसन्न हो गईं।

मेरी मम्मी को अब तो यूट्यूब चलाना आ गया था। घर की जितनी पुरानी चीजें थी सबसे घर को सजाने बैठ गईं। घर तो नहीं सजा चीजें जरूर बर्बाद हो गई। कभी डिब्बे काट डाले, कभी कपड़े और साथ मे एक दो जगह उंगली और हैरान-परेशान अलग से।

माता श्री को भोजन बनाने का बहुत शौक था तो सोचा चलो आज कुछ अच्छा हो जाए। रोज-रोज यूट्यूब से देखकर नया-नया भोजन बनाने लगीं। कभी तो बहुत अच्छा बन जाता, कभी एकदम बुरा। हम लोग और हमारा पेट डर के मारे सब खा जाते।

माता श्री तैयार होकर मामा-मामी को फोन करके बोलीं, “वीडियो कॉल करो। देखो तो मैं कैसी लग रही हूँ?”

मैंने जैसे ही माँ को फोन मिला कर दिया है, माँ ने देखकर फटाक से फोन काट दिया। मैंने पूछा यह क्या किया? तब माँ धीरे से बोलीं, “तुम्हारे मामा-मामी तो इतने बड़े दिख रहे हैं, मैं इतनी छोटी सी वह हमें कैसे देखेंंगे?” मैंने हंसते हुए फिर से माँ को सब कुछ समझाया।

सबसे बड़ी मुसीबत मेरे ऊपर तब आई। जब पांडे जी ने कह दिया कि बिटिया मोटी हो रही है। थोड़ा ध्यान दीजिए। अब मेरी माता श्री ने गूगल बाबा की शरण ली और पूछताछ शुरू की फिर क्या था? सुबह शाम कभी जीरा-पानी, कभी नींबू-पानी कॉलेज से आते ही खाने की जगह उबली हुई सब्जी या फल।

मैंने अपनी माता से विनती की, “हे! माता मुझ पर दया करो। मैं रोज कसरत कर लूंगी लेकिन अब प्रयोग नहीं।”

मेरी माता तो स्मार्ट हो गई और मेरी तो बैंड बज गई।

इमेज सोर्स : Still from short film Maa Aur Smartphone/Life Tak, Youत्तube

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

16 Posts | 23,363 Views
All Categories