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मैं दीदी के चेहरे पर मुस्कान लाने में कामयाब हो गयी…

सरला और सौम्या ने इस बार मिसेज शर्मा को दीवाली पर एक साथ उत्सव पर शामिल करने का प्लान बनाया है। सरला और सौम्या दोनों ने मिसेज शर्मा को फोन किया...

मिसेज शर्मा और मिस्टर शर्मा को शायद अपनी ज़िन्दगी से शिकायत थी, उन्हें ज़िंदगी का कोई रंग नहीं भाता था पर आज सब आश्चर्यचकित थे।

मिस्टर शर्मा और मिसेज शर्मा का अपना कोई बच्चा नहीं था। वह शुरू से ही कहीं आना-जाना पसंद नहीं करती थीं। किसी पर्व या त्योहार पर भी बस जैसे-तैसे ही जाया करती थीं। यह डिप्रेशन के कारण था या उनका शुरू से ऐसा ही स्वभाव था, यह कोई समझ नहीं पाता था। वह ज्यादा किसी से मेलजोल नहीं रखती थीं। उन्हें किसी से बातचीत करना या अन्य कोई रिश्ता रखना भी पसंद नहीं था पर मिस्टर शर्मा मॉर्निंग-वॉक के लिए रोज़ जाया करते थे और वह सोसाइटी के लोगों से भी मिलते-जुलते थे।

मिसेज शर्मा के इस स्वभाव से सारे रिश्तेदार और आसपास के लोग वाकिफ थे। सभी को मिसेज शर्मा के बारे में पता था कि वह किसी से ज्यादा मिलना-जुलना, बातें करना, पसंद नहीं करती हैं। मिसेज शर्मा बहुत शांत और उदास रहती थीं। शायद उनका ऐसा स्वभाव बच्चा ना होने की वजह से था या कोई और बात थी यह स्पष्ट नहीं था। शादी के कुछ साल बाद तक जब उन्हें अपना बच्चा नहीं हुआ तो मिस्टर शर्मा ने उनसे कहा भी कि हम बच्चे गोद ले लेते हैं पर मिसेज शर्मा ने उन्हें मना कर दिया और कहा, “जब भगवान ने हमें औलाद का सुख दिया ही नहीं है तो फिर बच्चा गोद ले कर क्या करना।”

मिसेज शर्मा के मायके में अब माँ तो नहीं रहीं पर भाई-भाभी फोन करके घर बुलाते थे लेकिन वो जाती नहीं थीं। आखिरी  बार वह मायके अपने भतीजे के बच्चे की छठी में ही गई थीं। मिसेज शर्मा की भाभी सरला बहुत ही खुशदिल महिला थीं। रिश्तेदारों के साथ-साथ अपनी सोसाइटी में भी बहुत प्रसिद्ध थीं वह।

सभी से मिलना-जुलना, बातें करना, हँसना-हँसाना उन्हें बहुत भाता था। वह मिसेज शर्मा से भी फोन पर बातें करने की कोशिश करती लेकिन वह हाय-हेलो के बाद मिस्टर शर्मा को फोन थमा देतीं थीं।वह हर त्यौहार पर उन्हें घर  बुलातीं पर मिसेज शर्मा फिर भी नहीं जातीं थीं थक हारकर जब सरला उनसे कहतीं, “दीदी! मैं ही आपके यहाँ आ जाती हूँ।” तो मिसेज शर्मा कहतीं, “नहीं क्या ज़रूरी है? क्यों आओगी? परेशानी होगी?” मिसेज शर्मा को शायद एकाकी जीवन ही भाने लगा था।

सरला की बहु सौम्या भी अपनी सास की तरह ही खुश दिल है। सौम्या के दो बच्चे हैं रिम्मी और राहुल वे दोनों बहुत प्यारे हैं। सरला का परिवार बेटे-बहु, पोते-पोतियों से भरा है। वह अपने घर में उत्सव का इंतजार करती रहती है। वह छोटे बड़े उत्सव को बड़ी श्रद्धा, और उत्साह के साथ मनाती है। आसपास के लोग सरला के परिवार की तारीफ किए बिना नहीं रह पाते हैं। 

सरला और सौम्या ने इस बार मिसेज शर्मा को दीवाली पर एक साथ उत्सव पर शामिल करने का प्लान बनाया है। पहले तो सरला और सौम्या दोनों ने मिसेज शर्मा को फोन किया, “जीजी आप दीवाली पर यहाँ आ जाइए?” लेकिन मिसेज शर्मा ने साफ-साफ मना कर दिया तब सरला  मिसेज शर्मा को बिना बताए ही अपने बेटे-बहू और पोते-पोतियो के साथ दिवाली मनाने मिसेज शर्मा के यहाँ आ गईं। मिसेज शर्मा का सभी को देखते ही चहरा उतर गया। शायद, इन लोगों का आना उन्हें  अच्छा नहीं लगा था पर मिस्टर शर्मा बहुत खुश थे। 

मिस्टर शर्मा ने सरला से कहा, ” भाभी! बहुत अच्छा लगा जो आप लोग त्योहार मनाने यहाँ आ गए। घर में जो भी ज़रूरी चीजें चाहिए? मुझे बता दीजिएगा… मैं बाजार से ले आऊँगा।” 

सरला ने कहा, “आपको सोचने की कोई ज़रूरत नहीं है जीजा जी! नंदू है, वह सब कर लेगा  मैं तो सिर्फ आप दोनों के साथ बैठकर गप्पें करने लगाने आई हूँ।”

 सौम्या और सरला अपने चुलबुले स्वभाव से मिसेज शर्मा को खुश करने की कोशिश करते रहती रहीं। मिसेज शर्मा का घर भी चहकने लगा और मिसेज शर्मा  भी अपने घर की हालात और रौनक देख कर परिवार और बच्चों को खुश देखकर खुश होने लगीं थीं। उनका  चिड़चिड़ापन भी कम होता जा रहा था। वह भी अब सौम्या और सरला की बातों में इंटरेस्ट लेने लगी थी और काफी उत्साहित भी लग रहीं थीं।

नंदू सौम्या और बच्चों ने मिलकर घर को ऐसा सजाया कि मिसेज शर्मा की आँखें खुली की खुली रह गयी। अपने घर की सजावट और रौनक देख वह भी खिल गयीं। उनके आसपास के लोग भी त्योहारों पर उनके घर की रौनक देखकर दंग रह गए। मिसेज शर्मा तो कभी कोई उत्सव, कोई त्योहार, कोई पर्व मनाती नहीं है इसलिए सारे समाज वाले उनसे मिलने आने लगे कि आख़िर आज क्या बात है?

सौम्या सबका मुस्कुरा कर स्वागत कर रही थी। मिसेज शर्मा भी आज खुश थीं आसपास के लोग जो उनके यहाँ  आने लगे हैं, उन्हें भी आनंद आ रहा था। सरला और सौम्या ने रसोई में बहुत सारी मिठाइयां और पकवान बनाएं है। बच्चे अपनी दादी से ज्यादा मिस्टर शर्मा और मिसेज शर्मा की गोद में खेलने लगे। मिसेज शर्मा के चेहरे पर हँसी देख मिस्टर शर्मा भी अंदर से बहुत खुश हो रहे थे। सरला और सौम्या अपने प्लान में कामयाब हो रहीं थीं। दीदी के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने में दोनों सास-बहू सफल हो रहीं थीं।

नंदू ने दीपावली पर पूरे घर को दुल्हन की तरह सजाया सरला अपने घर से ही मिसेज शर्मा के लिए भी साड़ियाँ लेकर आईं थीं। सौम्या ने मिसेज शर्मा को तैयार किया और फूफा जी को नंदू ने।

 मिस्टर शर्मा, मिसेज शर्मा, सरला, सौम्या-नंदू और दोनों बच्चे तैयार होकर एक साथ जब दिवाली मना रहे थे तो मिसेज शर्मा की खुशी का ठिकाना न था। परिवार वाले समाज वाले सारे उनके अलग और खिले रूप को देखकर बहुत खुश हो रहे थे।

मिसेज शर्मा, मिस्टर शर्मा ने एक साथ पूजा करी, पटाख़े चलाए और एक दूसरे के गले लगाकर मिठाइयाँ  बाँटी सब लोग बहुत ही खुश थे।

मिसेज शर्मा ने सरला से कहा, “भाभी! हर साल दीपावली पर यहीं आ जाया करिए?”

सरला ने कहा, “जीजी! आप फिक्र ना करें अब हम लोग आपके साथ ही रहेंगे या तो आपको हमारे साथ चल कर रहना होगा या हम लोग यहाँ रहेंगे आप जो पसंद करेंगी क्योंकि, आपको हम लोग अब अकेला नहीं छोड़ सकते हैं।”

मिसेज शर्मा के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। सरला और सौम्या समझ गईं कि मिसेज शर्मा सिर्फ अपने तरफ से शुरुआत नहीं कर पा रहीं थीं । खुशियां तो  वह भी चाहती थीं,  खुशियों की  हकदार वह भी थीं खुशियां उन्हें भी पसंद हैं…

मिसेज और मिस्टर शर्मा बहुत दिनों बाद आज बेहद खुश थे आखिर परिवार का साथ जो मिल गया था। इन लोगों के त्योहार का उत्साह परिवार के साथ दोगुना हो गया।

इमेज सोर्स: Still from Diwali- Maithili Short Film via YouTube

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