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क्यों समाज पुरूष के शादीशुदा होने पर नही मांगता कोई प्रमाण

औरत मांग में सिंदूर भरकर, अपने शादीशुदा होने का प्रमाण देती है। फिर समाज क्यों नही मांगता कोई, प्रमाण पुरूष के शादी शुदा होने पर।

औरत मांग में सिंदूर भरकर, अपने शादीशुदा होने का प्रमाण देती है। फिर समाज क्यों नही मांगता कोई, प्रमाण पुरूष के शादी शुदा होने पर।

क्यों दोहरा मापदंड बनाया है समाज ने,
औरत और पुरूष में ये भेद क्यों बनाया समाज ने?
ईश्वर ने जिन्हें बनाने में कोई भेद नहीं किया
फिर क्यों भेद की खाई बनायी समाज ने?

जन्म के बाद से लेकर मृत्यु तक औरत
सामाजिक बेड़ियों में जकड़ी रहती है।
अस्तित्व में होकर भी अस्तित्वहीन ही रहती है।

औरत मांग में सिंदूर भरकर,
अपने शादीशुदा होने का प्रमाण देती है।
फिर समाज क्यों नही मांगता कोई,
प्रमाण पुरूष के शादी शुदा होने पर।

अब एक आवाज महिलाओं को,
एक साथ एक जुट होकर उठानी होगी।
महिलाओं में फुट डालो राज करो का पैंतरा,
अपनाकर पुरुषों का समाज में राज करने के,
दोहरे मापदंड के नियमों को हटाना होगा।

इमेज सोर्स: Still from ad, Rivaah by Tanishq, YouTube

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