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सफ़ेद ड्रेस में विमेंस क्रिकेट खेलना मतलब दुगने तनाव को चुनौती देना

महिला टेस्ट क्रिकेट का आयोजन कराने वालों ने कभी सोचा है कि सफ़ेद ड्रेस में विमेंस क्रिकेट खेलना, खिलाड़ियों के लिए तनाव का कारण बन सकता है?

महिला टेस्ट क्रिकेट का आयोजन कराने वालों ने कभी सोचा है कि सफ़ेद ड्रेस में विमेंस क्रिकेट खेलना, खिलाड़ियों के लिए तनाव का कारण बन सकता है?

आज अखबार पलटते हुए जब खेल पेज पर पहुंचा तो खबर थी, महिला क्रिकेट विश्व कप का बिगुल बज चुका है और पहली बार आस्ट्रेलिया में हो रहे इस आयोजन में जीतने को बेताब है बेटियां।

मेलबर्न क्रिकेट ने कुछ दिन पहले ही यह फैसला लिया कि क्रिकेट में अब बैट्समैन के जगह बैटर शब्द का प्रयोग होगा। पूरी दुनिया ने मेलबर्न क्रिकेट के फैसले का स्वागत किया कि खेल के दुनिया में जेंडर संतुलन जैसा प्रयास हो रहा है।

खेल पेज में एक कोने में भारतीय महिला क्रिकेट टीम आस्ट्रेलिया के साथ टेस्ट मैच खेल रही है, उसकी खबर भी थी जिसमें महिला क्रिकेट खिलाड़ी सफेद कपड़े पहने हुई दिखीं। पहले मुझे लगा ये पहले के किसी मैच की तस्वीर होगी लेकिन जब मैच का लाइव रिकार्डिंग देखा तो हैरान रह गया। यहाँ तो महिला टेस्ट मैच सफेद खेल परिधान में ही खेल रही हैं। टेस्ट क्रिकेट पुरुष के लिए हो या महिला के लिए, उसकी पहचान ही सफेद ड्रेस है।

सफ़ेद ड्रेस में विमेंस क्रिकेट खेलना खिलाड़ियों के लिए काफी चुनौतिपूर्ण है (Women’s Cricket Test Match White Uniform Challenges)

क्रिकेट खेलने वाले हर खिलाड़ी के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलना बहुत सम्मान की बात मानी जाती है। क्रिकेट खेलने वाला हर खिलाड़ी टेस्ट मैच खेलना ही चाहता है, वह इससे वंचित नहीं रहना चाहता। परंतु, महिला टेस्ट खिलाड़ियों के लिए सफेद ड्रेस में खेलना कम चुनौतिपूर्ण नहीं है।

टेस्ट क्रिकेट खेलने वाला हर खिलाड़ी इसको पहनने का मौका शायद ही कभी खोना चाहेगा। पर महिला टेस्ट क्रिकेट का आयोजन कराने वालों ने यह सोचा होगा कि सफेद ड्रेस महिला क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए कितना तनाव का कारण बनती होगी?

पीरियड्स के दौरान टेस्ट क्रिकेट खेलना, मतलब महिला खिलाड़ियों सफेद ड्रेस में खेल पर फोकस ही नहीं कर पाते होंगे? खेलते हुए महिला क्रिकेट खिलाड़ी पीरियड शुरू हो गए तो? वो सफेद ड्रेस पहने हुए मैनेज कैसे कर पाती होगी? अगर टीवी पर यह लाइव हो गया तब?

टेस्ट क्रिकेट मैच में सफेद ड्रेस क्यों पहनी जाती है?

क्रिकेट के जानकार बताते हैं कि टेस्ट क्रिकेट जब से प्रोफेशनल खेल के रूप में प्रचलित हुआ तो छह दिन के टेस्ट मैच खेलने के लिए सफेद ड्रेस को तवज्जो मिली। सुबह से शाम तक दिनभर के खेल में धूप से खिड़ालियों को थोड़ी राहत देने के उद्देश्य से सफेद ड्रेस को प्रोफेशनल टेस्ट क्रिकेट का परिधान बना दिया गया।

पहले वनडे मैचों में भी सफेद ड्रेस का ही प्रचलन था। बाद के दिनों में सबसे  पहले 1992 के वर्ल्ड कप के दौरान वनडे खेलों में रंगीन ड्रेसों को पसंद किया जाने लगा। धीरे-धीरे रंगीन ड्रेस वनडे मैचों के लिए और सफॆद ड्रेस टेस्ट मैच के परिधान बन गये।

बेशक, खेल स्टेमिना का होता है, पर महिला खिलाड़ियों की चुनौतियां अलग हैं

स्पोट्स ड्रिक बूस्ट का विज्ञापन भले कहता हो खेल लड़के-लड़कियों का नहीं स्टेमिना का होता है। डेरी मिल्क का विज्ञापन भी कह रहा है, “कुछ खास है, कुछ बात है, हम सभी में…”

बेशक कुछ खास और कुछ बात है हम सभी में परंतु, हम सभी अपना बेहतरीन प्रदर्शन हर खेल में कर सकें। इसके लिए एक नहीं कई चीजों को लेकर  संवेदनशील होने की जरूरत है।

अगर क्रिकेट में जेंडर समानता के भाव के लिए बैट्समैन के जगह बैटर शब्द का इस्तेमाल संवेदनशीलता है, तब महिला टेस्ट क्रिकेट एसोसिएशन को अभी और अधिक जेडर संवेदनशील होने की जरूरत है। महिला क्रिकेट की सफेद ड्रेस के लिए तो तुरंत ही।

हालांकि विमेन टेस्ट क्रिकेट कम खेले जाते हैं, परंतु जब विमेन टेस्ट क्रिकेट खेले जाते हैं तो महिला खिलाड़ियों के लिए अपने प्रदर्शन के साथ-साथ अतिरिक्त तनाव तो रहता ही है।

कोई जादुई विकल्प मौजूद नहीं है…

अगर विश्वभर में खेल जगत महिला खेल के सवालों पर संवेदनशील नहीं हुआ तो हर महिला खिलाड़ी अपने खेल के प्रदर्शन के साथ-साथ बोन केयर, ब्रेस्ट केयर, गर्भनिरोधक, गर्भावस्था और प्रजनन क्षमता के मुद्दे पर अधिक से अधिक जानने के लिए डाक्टरी सलाह पर निभर रहेंगी।

एक महिला मित्र ने अपना नाम नहीं बताने के शर्त पर बताया, “हम लोगों को कई बार खेल के दौरान रक्तस्त्राव कम करने के लिए दवा लेने के विकल्प के बारे में तैयार रहना पड़ता है, जो रक्तस्त्राव कम कर देती है और दर्द से भी राहत होती है। ये दवाएं बहुत कॉमन हैं, मगर ये जादुई दवाईयां नहीं हैं। पीरियड्स के दौरान वैसे तो खेल पूरी तरह से वर्जित ही रहता है, पर खेल के दौरान इसका होने की सोच ही तनाव से भर देने के लिए काफी है।

महिला खिलाड़ी भी केवल अपने खेल प्रदर्शन पर फोकस कर सकें, इसके के लिए जरूरी है कि पूरी दुनिया का खेल जगत महिलाओं की जैविक नैसर्गिता बाधा न बने। इसके लिए संवेदनशील तरीके से समाधान की तलाश जरूरी है। जो भी विकल्प अभी मौजूद है वह जादुई नहीं है फौरी राहत भर है…”

तो सफ़ेद ड्रेस में विमेंस क्रिकेट, इस पर सोचें ज़रूर!

मूल चित्र : Indian Women’s Cricket Team File photo from Twitter via DNA

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