कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

घर के काम मैं करूँ या तुम, क्या फ़र्क़ पड़ता है?

सीमा को अपने पति पर गर्व होता। उसने सपने में न सोचा कि उसका पति उसका साथ देगा। क्या करती, बचपन से उसने देखा कि ज़रूरत सिर्फ पति की होती है।

सीमा को अपने पति पर गर्व होता। उसने सपने में न सोचा था कि उसका पति उसका साथ यूँ देगा। क्या करती, बचपन से उसने यही देखा कि ज़रूरतें सिर्फ पति की होती हैं…

“रसोईघर मेरे लिए पूजा घर के समान है!”

मुकेश को ऐसी बातें सुनते ही सब हँसने लगे।

सीमा वर्किंग वूमेन थी। वह घर और ऑफिस, दोनों कार्यों को एक साथ सँभालने की ज्यादा से ज्यादा करने की कोशिश करती थी।

शादी से पहले से ही सीमा जॉब करती थी। शादी के बाद सास-ससुर ने कुछ आपत्ति भी जताई।

“तुम जॉब करोगी तो घर का सारा काम कौन करेगा?”

लेकिन मुकेश ने एक अच्छे जीवनसाथी के तरह सीमा और सीमा के काम को संभाल लिया। मुकेश की भी एजुकेशन अच्छी थी। वह घर पर खेती-बाड़ी और अपना खुद का बिजनेस करता था। ज्यादातर समय उसका घर पर ही बिताता था इसलिए मुकेश ने सीमा को घर के काम के लिए कोई परेशानी कभी नहीं होने दी।

सीमा के दो बच्चे थे। वैसे बच्चों के लिए ऑफिस से मेटेर्निटी लीव मिलती थी। लेकिन मातृत्व अवकाश खत्म होते ही सीमा को ऑफिस जाना पड़ा। मुकेश घर, बच्चे और सीमा सबको अपने प्यार  और अपने कार्यों से संभाल लेता।

सीमा की जेठानी-देवरानी सभी कई तरह की बातें करतीं। सीमा  के सास-ससुर तो जैसे मुकेश से खफा ही रहते थे।

मर्द घरेलू कार्य करें समाज जल्दी स्वीकार नहीं कर पाता है। लेकिन मुकेश की सोच अग्रणीय थी। वह ‘घर का काम मर्द करे, बाहर का काम औरतें करें’ कोई फर्क नहीं समझता था।

सीमा के ऑफिस से सहकर्मी सब आते, तो मुकेश चाय-नाश्ता लाकर देता था। सीमा के सहकर्मी सब कहते, “सीमा तुम बहुत किस्मत वाली हो, जो मुकेश जैसा पति मिला है।”

सीमा को अपने पति पर कहीं न कहीं गर्व ही होता था। उसने सपने में न सोचा था कि उसका पति उसका साथ यूँ देगा। क्या करती बचपन से उसने यही देख था।

लेकिन समाज की ओछी मानसिकता! गाँव से कोई रिश्तेदार आते तो घर-ऑफिस सारा सीमा को देखना होता था। रसोई जाने के बाद सीमा को दिक्कतें भी होती, क्योंकि रसोई तो मुकेश संभालता था। कौन कहां सामान क्या रखा हुआ है? सीमा को उतना पता नहीं था, जितना मुकेश को।

और भी कई परेशानियों का सामना करती थी वो उन दिनों। ऑफिस में भी लेट हो जाता था। लेकिन मुकेश के घरवालों के सामने सीमा को साड़ी पहन, रसोई के काम निपटाने के बाद ही ऑफिस जा सकती थी।

मुकेश कहता था, “सीमा, ऐसे कैसे होगा? जब हमारे रिश्तेदार या मम्मी-पापा ज्यादा दिन रहेंगे, तो तुम रोज ऑफिस लेट जाओगी? ज्यादा काम करते-करते थक जाओगी, तो तुम्हारा ऑफिस के कार्य पर प्रभाव पड़ेगा। तुम्हारी रेपुटेशन खराब हो जाएगी। इसलिए मैं घर का काम करता हूं, तुम ऑफिस जाती हो, और हमारा घर ऐसे ही चलता है। इसी में हम दोनों संतुष्ट हैं। ये हमारे साथ-साथ बाकी सबको भी स्वीकार करना होगा।”

सीमा कहती, “मुकेश, मम्मी जी की तीखी बातों से डर लगता है।”

“कोई बात नहीं सीमा, जब तुम स्वीकार कर लोगी तो किसी की कोई बात बुरी नहीं लगेगी।
जो हम करते हैं उसे आत्मविश्वास और सच समझ कर करें, तभी हम भी संतुष्ट रह सकेंगे। और लोगों में भी एक अच्छा संदेश जाएगा। समाज के दोहरे रंगों को बदलने का अपना प्रयास नहीं छोड़ना चाहिए, सीमा।”

सीमा ने अपने पति के विचारों ठीक लगे। चाहती तो वो भी यही थी। इस बार जब उसके सास-ससुर, जेठ-जेठानी साथ रहने आये तो सुबह सीमा जगकर, अपने प्रोजेक्ट की तैयारी में लग गई। उसके बाद अपने ऑफिस के लिए तैयार होने लगी और मुकेश रसोई में।

सीमा  की जेठानी ने कहा, “मुकेश यह क्या है? आप रसोई में!”

“हां भाभी! सीमा ऑफिस जाती है, इसलिए रसोई मैं संभालता हूं। रसोईघर मेरे लिए पूजा-घर समान है।”

यह सुनते ही मुकेश की मां, भाभी सभी हंसने लगी।

“आप तो बिल्कुल जोरू का गुलाम हो गए हैं! यह क्या कह रहे हैं देवर जी?”

“नहीं भाभी, मैं सीमा के साथ खड़े रहने को अपना कर्तव्य को समझता हूं। अगर सीमा की जगह मैं होता तो वह भी यही करती। लेकिन तब आप लोग कुछ न कहते! मेरे काम में भी सीमा मेरी बहुत मदद करती है। मुझे अपने बिजनेस का हिसाब किताब करना होता है, तो वह कंप्यूटर पर तुरंत कर देती है। मेरे फाइल को भी वही देखती है। हम दोनों के सहयोग से ही हमारा घर सुख और शांतिपूर्ण रहेगा। मैं सीमा को संतुष्ट रख सकूं बस इतना ही चाहता हूँ। यही तो शादी-शुदा जिंदगी और प्यार की हकीकत है।”

सीमा का चेहरा गर्व से दमक रहा था और मुकेश की भाभी भी पलट कर कुछ जवाब ना दे पाई।

मुकेश ने कई व्यंजन बनाये और डाइनिंग टेबल पर सभी ने जब एक साथ खाया तो शायद बहुत हद तक भ्रम दूर हो चुका था।

भाभी ने कहा, “हमारे देवर जी बहुत अच्छे हैं और रसोई में भी बहुत अच्छे लगते हैं। सच बात ही है देवर जी, सीमा तो एक सब्जी से ज्यादा बना नहीं पाती थी। आपके खाने में तो बेहतरीन स्वाद और कई प्रकार के भोजन हैं। हमारा भी फायदा ही फायदा!”

और सभी हंसने लगे।

मां ने कहा, “बेटा तुमने ठीक कहा कि रसोईघर ही तुम्हारा पूजा घर है! ऐसे ही एक-दूसरे का ख्याल रखना।”

सीमा भी सास की सहमति देख मुस्कुराने लगी। आंखों ही आंखों में मुकेश और सीमा ने बात की मानो कह रहे हों, “हमारे प्यार की जीत हुयी।”

और भाभी ने यह नजारा भी समझ लिया और इस पर चुटकी लेते हुए कहा, “देवरानी जी! आप दोनों सच में एक-दूजे के लिए बने हैं!”

इमेज सोर्स : Still from #TyohaarKiThaali/The Epic Channel via YouTube(for representational purpose only)

About the Author

23 Posts | 61,318 Views
All Categories