कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
आपके पड़ोस में भी कोई ऐसी महिला ज़रूर होगी जो सिर्फ बेटा पैदा होने पर ही खुशियां मनाती होगी। अब उसे क्या पता खुशियों के कारण और भी हैं...
आपके पास-पड़ोस में भी कोई ऐसी महिला ज़रूर होगी जो सिर्फ बेटा पैदा होने पर ही खुशियां मनाती होगी। अब उन्हें क्या पता खुशियों के कारण और भी हैं…
“कोई खुशखबरी?” मिठाई लेकर घर आई हुई सुनीता से सीमा ने पूछा।
सुनीता अपने मोहल्ले की हर घर में मिठाई बांट रही थी। वह भी एक-एक बड़ा डिब्बा! सभी को आश्चर्य हो रहा था।
सुनीता तीन भाई-बहन हैं। सुनीता सबसे छोटी है। सुनीता की बड़ी बहन अनिता की शादी हो चुकी थी। उसे तीन बेटियाँ थीं। उसके भाई राहुल की शादी तीन साल पहले शादी हुई थी। उसे भी एक बेटी थी। अर्थात उसके घर में अभी तक एक भी पुत्र का जन्म नहीं हुआ था।
सीमा हमेशा इस परिवार को बेटी के नाम या सिर्फ बेटियों के लिए ताने देते रहती थी।
सुनीता अभी दसवीं में पढ़ रही थी।
मंगलवार के दिन पूजा करने के बाद माँ ने सुनीता से अपने मोहल्ले के हर घर के लिए एक-एक मिठाई का डब्बा दिया और कहा, “जाकर बाँट दो।”
सुनीता जिस भी घर में मिठाई लेकर जाती, उससे जरूर पूछा जाता, “कोई खुशखबरी है क्या?”
“क्या बात है? अनीता को लड़का हुआ क्या?”
“राहुल को बच्चा हुआ? राहुल दुबारा बाप बन भी गया क्या? इस बार क्या हुआ बेटा या बेटी?” हर घर के लोग लगभग एक ही तरह के सवाल कर रहे थे।
सुनीता ने जान बूझकर किसी से कुछ नहीं बताया बस कहा, “माँ प्रसाद चढ़ायी थी, बोली सबको दे आओ। और कोई बात नहीं है।”
फिर भी मोहल्ला में चर्चा हो रही थी।
“बिना कोई खुशखबरी का इतना बड़ा मिठाई का डिब्बा हर घर में कोई थोड़ी ना बांटेगा। कोई बात है इनके घर में?”
सुनीता सबके घर से मिठाई का डिब्बा देकर घर आई और मां से कहने लगी, “माँ सभी पूछ रहे थे यह मिठाई क्यों बाँट रही हो? तो बता क्यों नहीं दिया? दीदी और भाभी दोनों ने इस बार सिविल-सर्विसेज का मेंस क्लियर कर लिया है।”
“पीटी तो पहले ही निकल चुका था, जब छोटा डिब्बा बांटी थी”, माँ ने गर्व से कहा।
“कितना बताती मां? सब तो एक ही बात पूछ रहे थे कि बेटा हुआ क्या? बेटा हुआ क्या? बस बेटा होना ही खुशखबरी है?”
“सुनीता बेटा सबको यह भी तो समझाना है कि बेटा होना ही सिर्फ खुशखबरी नहीं है। इसके अलावे भी हमारी जिंदगी में बहुत सारी खुशियों के पल आते हैं, बस उन्हें सेलिब्रेट करना होता है।”
अनीता और उसकी भाभी पढ़ाई में बहुत तेज थी और उन्हें अपनी बेटियों से भी कोई शिकायत नहीं थी। वह अपने कैरियर, अपनी पहचान, और अपने परिवार को अपनी जिम्मेदारी समझती थीं।
वह बेटियों को भी अपने जैसा होनहार और समझदार बनाना चाहती थी। लेकिन समाज की अपेक्षाएं कि जब तक आपको बेटा ना हो, आप पूर्ण, आपका परिवार पूर्ण नहीं होता है। अनीता और अनीता की मां इस व्यवस्था को भी चैलेंज कर रही थीं।
कुछ दिन बाद सुनीता की भाभी दुबारा मां बनी। और उसने अपनी दूसरी बेटी को जन्म दिया। मोहल्ले में फिर से मिठाइयां बांटी गई। और समाज वालों का वही सवाल, “क्या तुम्हारी भाभी को बेटा हुआ? इस बार लड़का हुआ है क्या?”
सुनीता ने कहा, “नहीं हमारी भाभी को लड़की हुई है। और अगले महीने मेरी-भाभी और मेरी-दीदी का सिविल सर्विसेज के लिए इंटरव्यू है। मैंने सोचा आगे जो मिठाइयां बाटूंगी इसके लिए पहले से ही बता दूँ।”
मोहल्ले वाले उखड़े हुए मन से मिठाईयां ले रहे थे और बस दिखावे के लिए बधाइयां दे रहे थे।
आज अनीता की भाभी की बेटी का नामांकरण का भोज था। मोहल्ले वाले सभी लोग भोज में शामिल हुए थे। दूसरे दिन अनीता की भाभी अपनी पंद्रह दिन की बेटी को अपने सास के पास छोड़कर इंटरव्यू में शामिल हुई। किस्मत और मेहनत ने साथ दिया अनीता और उसकी भाभी दोनों का चयन सिविल सर्विसेज में हो गया।
मोहल्ले में फिर से मिठाइयां बांटी गईं और बताया गया, “हमारी भाभी और हमारी दीदी दोनों सिविल सर्विसेज में ऑफिसर पद के लिए चयनित हुई हैं। साथ ही हमारे घर में, दीदी की तीन बेटियां, भाभी की दो बेटियां और मैं सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए, तैयार हूं। यानी हमारे घर से और छः ऑफिसर बनेंगे।”
सभी मोहल्ले वाले को जवाब मिल चुका था। बेटे और बेटी में कोई अंतर नहीं है। बेटा होना या मां बनना ही सिर्फ खुशखबरी नहीं है। हमारे आत्मविश्वास को जो मजबूत करें, हमें जो सफलता दिलाए, हमें जो संतुष्टि दिलाए वह हर पल हमारे लिए खुशखबरी है। बस हमें जीवन में खुश होना सीखना होगा।
सीमा जो सिर्फ बेटों की माँ थी, समझ गयी कि बेटियाँ बोझ नहीं होती हैं।
इमेज सोर्स: Still from Bollywood Film English Vinglish
read more...
Women's Web is an open platform that publishes a diversity of views, individual posts do not necessarily represent the platform's views and opinions at all times.