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मेरे जीवन की नौ दुर्गा ये हैं और मेरी नवदुर्गा स्तुति होगी ऐसी…

देवी दुर्गा के नौ रूप! विडंबना है कि नवदुर्गा स्तुति हर घर में करेंगे लेकिन जीवन में मौजूद महिला को सशक्त बनाने का शायद ही कोई काम करे।

देवी दुर्गा के नौ रूप! विडंबना है कि नवदुर्गा स्तुति हर घर में करेंगे लेकिन जीवन में मौजूद महिला को सशक्त बनाने का शायद ही कोई काम करे।

नवराज नौ दिन की होती है। देवी दुर्गा के नौ रूप… हर दिन नवदुर्गा स्तुति में एक अलग रूप की पूजा!

नवदुर्गा स्तुति यानि हर एक रूप की एक अलग पाठ… शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालयात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री!

मां का हर एक रूप प्रेरणादायी… जीवन में ऊर्जा का संचार करने वाली!

हर महिला में भी देवी दुर्गा के विभिन्न रूप मौजूद होते हैं। हमारे आस-पास दैनिक जीवन में महिलाएं नौ रूपों में मौजूद हैं, जो जीवन के हर पहलू का अभिन्न अंग भी होती हैं और हमारे जीवन को दिशा देने में उनकी भूमिका मील का पत्थर है।

विडंबना है कि नवदुर्गा स्तुति हर घर में करेंगे लेकिन घर और जीवन में मौजूद महिला को आत्म सशक्त बनाने का शायद ही कोई काम करें। इस दुर्गापूजा अगर हम स्वयं से वचन ले साल के 356 दिन हम अपने आस-पास मौजूद हर महिला की पूजा न सही, यथोचित सम्मान जरूर देंगे तो उनके साथ हमारा जीवन बेहतरीन ही जाएगा।

मेरे जीवन की नौ दुर्गा ये हैं और मैं करूँगा इन  नवदुर्गा की स्तुति और आप?

मां…

यह शब्द इस धरा पर हर एक इंसान के जीवन का आधार है। इस शब्द मात्र के अभाव से जीवन की शुरूआत ही असंभव है। जीवन के हर मोड़ पर जब भी आपको प्यार, अपनेपन, संबल की जरूरत होती है तो एक स्त्री, जिसे हम मां का संबोधन देते हैं, चाहे वो खुद कैसी भी अवस्था में क्यों न हो, आपके साथ हमेशा खड़ी मिलेगी। जीवन के सफर में हम आगे बढ़ जाते हैं पर मां जिनके साथ हम सभी सफर शुरू किया था उनको पीछे छोड़ आते हैं। इस नवरात्र का पहला दिन आप अपनी मां को सम्मान का फैसला करें! यकीन जानिए मां के ममत्व वाला हाथ आप कभी नहीं छोड़ पाएंगे।

बहन…

मां के बाद बहन वह स्त्री है जो आपके करीब होती है। बहन से बड़ा दोस्त और राजदार कोई हो ही नहीं सकता है इस चर-अचर जीवन में। बहन के अभाव में हमेशा जीवन में एक कसक रह जाती है काश बहन भी होती। किसी भी अनजान स्त्री को बहन का संबोधन मात्र देना ही, दिल-दिमाग को जज़्बातों से भिगो देता हैं। नवरात्र के दूसरे दिन अगर हम अपने आप से वादा कर लें कि हम कितना भी व्यस्त क्यों न हों, बहन से जरूर बात करेंगे, यकीन मानें उससे बहुत सकून मिलेगा। आज के दौड़ती-भागते जीवन में बहन से अपनी तकलीफ शेयर करना, सोशल मीडिया पर शेयर किए गए स्टेटस पर लाइक मिलने से अधिक सकून देता है।

प्रेमिका…

किसी भी स्त्री से प्रेम और प्रेमी वाला रिश्ता, स्वयं अपने भावनात्मक रूप से गढ़ने की प्रक्रिया है जिसको कोई भी स्वयं चुनता है। कई बार मन में प्रेम, समर्पण और प्रेम से जुड़े कई भाव प्रेमिका मात्र के जीवन में आने से आता है। वह केवल प्रेमिका ही होती है जो किसी प्रेमी के अंदर कई भावनाओं को सींचती है जो एक अलग जीवन नज़रिया को विकसित करता है। नवरात्र के तीसरे दिन अगर हम जीवन में आई प्रेमिका को, भले ही वह आज जीवन में न हो, सम्मान देने का वचन लें, यकीन मानें जीवनभर अपने अंदर प्रेम का संचार पाएंगे। अपनी प्रेमिका को सम्मान उसके अस्तित्व को स्वीकार्य करना ही नहीं उसके प्रेम के प्रति अपना समर्पण भी है।

पत्नी…

पत्नी जीवनसाथी के रूप में जीवन को संपूर्णता देती है। पत्नी के अभाव में पति के जीवन में अधूरापन है जिसको शायद कोई और संबंध पूरा ही नहीं कर पाए। कहना झूठ नहीं होगा कि पुरुष पत्नी के ऊपर न केवल अपने जीवन बल्कि जीवन की सारी जिम्मेदारी का भार भी डाल देता है, इस भरोसे से कि जीवनसाथी का साथ हो तो वह सारी जिम्मेदारी पूरा कर लेगा। इसलिए नवरात्री का चौथा दिन अपने जीवनसाथी के सम्मान में समर्पित कर दें, यह सोचकर दोनों एक-दूसरे का और एक-दूसरे की जिम्मेदारियों का भी सम्मान करेंगे।

बेटी…

एक पुरुष के जीवन में बेटी से भावुक प्रेम करता है, उतना किसी स्त्री से नहीं कर पाता। किसी भी पुरुष का बेटी का पिता होना सामाजिक जिम्मेदारी का एहसास है। दूर्गापूजा के पांचवे दिन अगर अपने आप से वादा करें कि जीवन की हर परिस्थिति में आप अपनी बेटी का साथ देंगे, उसके उसके हिस्से के आसमान में उनमुक्त उड़ान भरने देंगे। यकीन जाने यह खुशी आपके और आपकी बेटी के आंख का एक कोना जरूर भींगा जाएगा क्योंकि यह इच्छा पिता-बेटी दोनों की होती है!

दोस्त…

महिला दोस्त का किसी पुरुष के जीवन में होना उन मनोभावनाओं को पूरा करता है, जो वह अन्य किसी पारिवारिक संबंध से पूरा नहीं हो सकता है। महिला दोस्त ही किसी पुरुष की आलोचना करके उसके सामाजिक जीवन को संपूर्ण करती है। वह गलत को गलत और सही को सही बोलने के लिए भूमिका का इतंजार नहीं करती है। महिला दोस्त किसी पुरुष के जीवन के उन सामाजिक समस्याओं को समझ पाती है जो जीवन की अन्य महिला शायद ही समझ पाती हो। नवरात्र के छठे दिन अगर महिला दोस्त के सम्मान में समर्पित करें तो सामाजिक जीवन में एक अलहदा नजरिया आपके साथ हमेशा होगा जो आपके सामाजिक विकास की बाधाओं को दूर करेगा।

शिक्षिका…

एक शिक्षिका भी वह महिला है जो किसी भी बच्चे के अंदर मौजूद क्षमताओं को पहचान लेती है, इसकी पहचान माता-बहन-प्रेमिका-पत्नी-दोस्त किसी को नहीं होती। सभी आपकी क्षमताओं पर अगर भरोसा करती है तो वह भरोसा जगाने वाली शिक्षिका ही होती है। शिक्षिका ही आपके अंदर सामाजिक सामाजिकता के गुण विकसित करती है, जिससे हम किसी राष्ट्र के नागरिक बन पाते हैं। आप देवी दुर्गा का सातवां रूप अपने जीवन में शिक्षिका को ही माने लें, क्योंकि वह शिक्षिक बन हमारे अंदर आत्मविश्वास का संचार करती है।

महिला सहकर्मी…

हम जहां काम करते हैं, चाहे वह जगह कोई भी हो। महिला सहकर्मी या महिला बॉस मिलती ही है। दफ्तर में महिला सहकर्मी का सहयोग भी आपकी रचनात्मकता और काम करने की क्षमता को नया आयाम देता है। महिला सहकर्मी ही जीवन में दुर्गा का आठवां रूप है, जिसके साथ सहयोग का व्यवहार हमारे सफलता का दरवाजा खोल देता है।

अनजानी महिला!

हमारे जीवन में कई बार कुछ अनजानी महिलाएं आती ही हैं। जिसके आने से जीवन में कोई न कोई साकरात्मक बदलाव आ जाता है, हम अनजाने में ही बहुत कुछ सीख जाते हैं। अगर कोई अनजान महिला मुसीबत में दिखे तो उसकी मदद जरूर करें। हमारे जीवन में अनजानी महिला देवी का नौवाँ रूप है जो कई अनजाने में ही हमारे अंदर उन मानवीय गुणों का विकास कर जाती है जो हमारे अंदर मौजूद होते हैं पर हमको उनका पता नहीं होता है।

मूल चित्र : Still from Short Film AGOMONI/Mira Production via YouTube(for representational purpose only)

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