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हिंदी में हिमोजी स्टीकर्स रचने वाली अपराजिता शर्मा, अलविदा…

अपराजिता शर्मा ने महिलाओं की भावनाओं को अलबेली, हिमोजी स्टीकर्स से अलग ही रूप से न केवल विकसित किया, पहली बार नये कल्चर में प्रस्तुत भी किया।

अपराजिता शर्मा ने महिलाओं के भावनाओं को अलबेली, हिमोजी स्टीकर्स से अलग ही रूप से न केवल विकसित किया है, पहली बार नये कल्चर में प्रस्तुत भी किया था।

अपराजिता शर्मा से मेरी मुलाकाल उंगलियों पर गिनकर देखूं तो मात्र दो हैं, कोविड के दौर में उनसे बातें होती रहीं कि सब नार्मल होने दो, फिर फुर्सत से बात करेंगे, जिस विषय पर तुम चाहो। कल हार्ट-अटैक के कारण उनकी मौत की खबर आई और शोकाकुल अलबेली आंखों के आगे घूमने लगी।

अपराजिता शर्मा की अलबेली, हिमोजी और चित्रगीत

अपराजिता हिंदी में ‘हिमोजी’, ‘अलबेली’ और ‘चित्रगीत’ जैसे जब भी बनातीं और सोशल मीडिया पर शेयर करतीं, बिना जान-पहचान के कई लोगों के दिलों में एक कोना अपना सुरक्षित कर लेतीं। जब से उन्होंने अलबेली का कैरिकेचर बनाया और सोशल मीडिया पर शेयर करना शुरू किया उनकी अलबेली न जाने कितनों के दिलों में कितना-कितना आती-जाती रही और अपनी जगह बनाती रहीं।

दिल्ली के मिरांडा हाउस में हिंदी की शिक्षिका अपराजिता कैरेक्टर इलस्ट्रेटर भी थीं। पिछले ही महीने उन्होंने हिंदी में ‘हिमोजी’ का पहला सेट रिलीज किया, जो देवनागरी हिंदी लिपी में अपनी बात कर रही थी, न कि रोमन में।

अलबेली में है हर महिला के मन का भाव

कैरीकेचर अलबेली के माध्यम से अपराजिता एक महिला मन की हर भाव उमड़न-घुमड़न, उसकी राजनीतिक समझदारी, गुस्सा, खुशी, दुख, गम, खीज़, ठहाके वाली हंसी, झुंझलाहट और सब कुछ हिमोजी, अलबेली और चित्रगीत उकेर कर अभिव्यक्त कर रही थीं।

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कैरिकेचर में इस तरह का प्रयोग अमूल वाली लड़की और कामिक्स कैरेक्टर पिंकी का ही याद आता है, जिसने अपनी सफलता के पैमानो को छुआ। अपराजिता की अलबेली ने तो अभी हिंदी भाषा में अपनी शुरूआत भर ही की थी।

अपराजिता शर्मा के हिमोजी इस वर्ष हिंदी दिवस के दिन रिलीज़ हुए

2013-14 में अपराजिता ने युवाओं के बीच वाट्स-अप और चैट मैसेजर में इमोजी भेजने के चलन को नोटिस किया। उस समय अधिकांश इमोजी रोमन भाषा में स्वयं को अभिव्यक्त कर रहे थे। अपराजिता ने हिंदी में इमोजी की खोज की पर हिंदी में इमोजी थे ही नहीं।

धीरे-धीरे कुछ  इमोजी आए भी तो वो कामेडी सिरियल “भाभीजी घर पर हैं” से प्रभावित थे। अपराजिता में उसी दौर में कुछ अलबेली का कैरिकेचर बनाया और उसको इमोजी के स्टीकर्स के तरह बनाने का मन बनाया। उनका यह प्रयोग कड़ी मेहनत और लगन के बाद इस वर्ष हिंदी दिवस के दिन रिलीज़ हुआ। अपने अलबेली के कारण सोसल मीडिया पर लाखों के दिलों में आती-जाती रहने वाली अलबेली जब हिंदी में इमोजी के जगह हिमोजी के रूप में आई तो आते ही छा गई।

May be a cartoon

हिमोजी का यह प्रयास अपराजिता ने केवल हिंदी भाषा में ही नहीं किया। उन्होंने मैथली भाषा में हिमोजी बनाया है और लोक कलाओं के साथ जुड़कर भी हिमोजी विकसित किया। जिसमें लोक-संस्कृत्ति और लोक-जीवन को भी नई रूप में ढालने का उनका प्रयास दिखता है।

अपराजिता का यह प्रयोग इसलिए भी अनूठा है क्योंकि इसमें अलबेली महिलाओं के अंदर के तमाम रंग को अभिव्यक्त करते है। उसमें खूशी भी है, उत्साह भी है, प्रतिरोध भी है और भड़ास भी है।

हिमोजी में शालीन शब्दों की अभिव्यक्ती दी

अपराजिता ने महिलाओं के भावनाओं को अलबेली, हिमोजी स्टीकर्स से अलग ही रूप से न केवल विकसित किया है, पहली बार नये कल्चर में प्रस्तुत भी किया था। अपराजिता ने सबसे बड़ी बात इमोजी में पकड़ी जो थी कि वहां जिस तरह के भाषा के माध्यम से स्टीकर्स अभिव्यक्त हो रहे हैं वह महिलाओं की भाषा है ही नहीं, मसलन ‘हटा सावन की घटा’, ‘हवा आने दे’, चल हट हलकट।

उन्होंने हिमोजी को ‘गज़ब’, ‘उदासी का आलम’, ‘तेरा-मेरा साथ रहे’, ‘मन की पाखी’, ‘कुछ कहा न जाए’, ‘यादों की एलबम’, ‘छोड़ो भी’, ‘भर-भर के प्यार’ के शालीन शब्दों की अभिव्यक्ती दी, जिसको युवाओं ने ही नहीं हर पीढ़ी के लोगों ने पसंद किया।

अपराजिता ने इस सत्य को बड़ी बारीक तरीके से पकड़ा कि आज की युवा पीढ़ी अपने हम उम्र दोस्तों के बीच कूल दिखने के लिए जिन शब्दों को इस्तेमाल में ला रही है, वह उसकी भाषा नहीं है। चूंकि उसकी भाषा में कूल अभिव्यक्तियों के बारे में सोचा ही नहीं गया, इसलिए वह दूसरी भाषा में प्रयोग हो रहे चीजों को धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रही है। उस कमी को अपराजिता अपने अलबेली, हिंदी में हिमोजी के शब्द-चित्र, स्टीकर्स से भरने का प्रयास कर रही थीं।

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सोशल मीडिया पर महिलाओं की अभिव्यक्ति पर ट्रोलबाजी के जो ट्रेड हैं उस भाषा में महिलाएं तो बात कर ही नहीं सकती हैं। अपराजिता ने इस कमी को भी पकड़ा और उन महिलाओं के लिए कुछ हिमोजी स्टीकर्स बनाए “तेरा तुझको अपर्ण”

अपराजिता शर्मा अपने काम से अमर हो गयी हैं

उनका यह प्रयोग हिमोजी के दुनिया में बहुत बड़ा काम माना जाना चाहिए क्यों इस तरह से महिलाओं की अभिव्यक्तियों को गतिशील बनाये रखने का प्रयास तो इमोजी के दुनिया में भी नहीं हुआ है।

आज अपराजिता शर्मा, पंचतत्व में विलीन होकर इस दुनिया को भले अलविदा कह देंगी। उनकी अलबेली और हिंदी में हिमोजी जो उन्होंने गढ़े हैं, इस फानी दुनिया में अमर रहेंगे और जिंदादिल अपराजिता को कभी भूलने नहीं देंगे।

इमेज सोर्स : The Wire Hindi via FB/ Himoji App FB

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