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एक मुट्ठी दाल और दो रोटी, हर औरत की यही कहानी

"अरे करना ही क्या है दाल रोटी बनाने में? एक मुट्ठी दाल कुकर में डालो और सीटी लगवा दो और दो रोटियां बना देना। आखिर, कितना ही समय लगेगा?"

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“अरे करना ही क्या है दाल रोटी बनाने में? एक मुट्ठी दाल कुकर में डालो और सीटी लगवा दो और दो रोटियां बना देना। आखिर, कितना ही समय लगेगा?”

एक मुट्ठी दाल और दो रोटी! यह तो हर एक महिला की कहानी जिसको कोई नहीं समझता शायद एक महिला भी नहीं।

शाम को 4:00 बजे शॉपिंग करने के बाद मैं और मेरे पति जय थक हार कर घर में घुसे। सामान रख कर बैठी ही थी कि मेरे पति देव जी बोले, “बहुत तेज भूख लगी है, कुछ बना दो।”

मैंने अपने पति की तरह बड़ी हैरानी से देखा और मन में सोचने लगी, ‘अभी तो  खाया था, इतनी जल्दी भूख लग गई?’

क्या मैं नहीं थकती?

मेरे पति ने मानो मेरा चेहरा पढ़ लिया हो, और बोल उठे, “अरे यार! तुम्हें तो पता है कि मेरा पेट बाहर के खाने से नहीं भरता। बस दाल-रोटी बना दो। अरे करना ही क्या है दाल रोटी बनाने में? एक मुट्ठी दाल कुकर में डालो और सीटी लगवा दो और दो रोटियां बना देना। आखिर, कितना ही समय लगेगा?”

‘क्या दाल-रोटी ऐसे ही बन जाती है?’ मन में भाव आया, ‘आखिर साथ में मैं भी  तो गई थी और अब थक भी गई हूं।’

अपने ऊपर इस बात पर गुस्सा भी आ रहा था कि आखिर मैंने ही तो घर में सब की आदत खराब कर दी है।

खैर!

कुछ दिन…महीने…साल के बाद…

जब करोना की दूसरी लहर आई तब मैं और मेरे बच्चे बीमार पड़ गये। तब  पति देव जी के ऊपर घर की सारी जिम्मेदारी आ गई। इसके साथ अपना ऑफिस देखना साथ में हम तीन मरीजों की देखभाल करना ‘स्वामी जी’ के लिए जी का जंजाल था, जिसमें वह फंस चुके थे।

जीरा और सौंफ में कौन से हैं?

अब उनकी पहली प्राथमिकता भोजन बनाना था। पहले दिन तो मुझसे पूछ कर कुछ कच्चा-पक्का बना लिया। जब दाल में बघार लगाने की बारी आई, तो पहली परेशानी उन्हें जीरा और सौंफ में  अंतर करने मे आई और दाल बेचारी सौंफ से बघार उठी।

और जब यूट्यूब का सहारा लिया

दूसरे दिन पतिदेव जी ने यूट्यूब का सहारा लिया लेकिन उनके लिए यह रास्ता भी इतना आसान नहीं था। वह भी कांटो भरा था क्योंकि वीडियो देखने के बाद भी पीसी धनिया और गरम मसाले में अंतर करने में जटिलता आ रही थी।

उस समय पतिदेव के लिए कुकर की सीटी और उनके ऑफिस के फोन की घंटी की आवाज एक जैसी लग रही थी। शायद कुकर की सीटी की आवाज ज्यादा मधुर लग रही हो और ऑफिस की घंटी परेशान कर रही हो ।

लेकिन दिन प्रतिदिन स्वामी जी के भोजन में सुधार होता रहा । ऐसा लगता था की शायद उन्होंने मसालों से दोस्ती कर ली है।

दाल रोटी ही बना देती, कितना ही समय लगता है?

जब हम लोग उनकी सेवा से ठीक हो गए, तब एक दिन हम लोग अपनी ननद के यहां शादी मे गए। देखा कि सारा घर शादी के कामों मे व्यस्त हैं। हलवाई-मिठाई औंर तरह-तरह पकवान बना रहा, जिसकी खुशबू चारों तरफ फैल रही है। माली पूरे घर को सुंदर-सुंदर रंग-बिरंगे फूलों से घर को सजाए जा रहा है, जो कि बहुत ही सुंदर और मनोरम लग रहा है। और छोटे-छोटे बच्चे डीजे पर डांस कर रहे हैं। दीदी के घर में खुशियों का माहौल है।

तभी मैंने और मेरे पति ने देखा जीजा जी दीदी को डांट रहे हैं, “तुम यहां पर हो? वहां पर बच्चे रो रहे हैं। तुमने कुछ बनाया क्यों नहीं? दाल रोटी ही बना देती कितना ही समय लगता है?”

तब  मेरे पति मेरी तरफ प्यार से देख कर हंसते हुए दीदी और जीजा जी के पास गए। मेरी तरफ उन्हीं प्यार भरी नजरों से देखते हुए, अपने जीजा जी से प्यार से बोले, “मुझे पता है कितना समय लगता है, दाल और दो रोटी बनाने में!”

और सभी की तरफ देखते हुए, मुस्कुराकर चल दिए…

इमेज सोर्स: Still from Short Film Pressure Cooker, humaramovie/YouTube  

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