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मैं अपनी खुशियों का ख्याल खुद रखूंगी…

अगर आप इसी मीनल से कुछ दिन पहले मिलते तो वो परेशान रहने वाली मीनल थी। लेकिन ये बदलाव आया कैसे? अभी कुछ दिन पहले की बात है...

अगर आप इसी मीनल से कुछ दिन पहले मिलते तो वो परेशान रहने वाली मीनल थी। लेकिन ये बदलाव आया कैसे? अभी कुछ दिन पहले की बात है…

आज मीनल गुनगुनाते हुए अपने काम करने में मगन थी। आज सास का बोलना उसे परेशान नहीं कर रहा था।

अगर आप इसी मीनल से कुछ दिन पहले मिलते तो वो परेशान रहने वाली मीनल थी। लेकिन ये बदलाव आया कैसे?

अभी कुछ दिन पहले की बात है…

मीनल अपने काम में व्यस्त थी, मायके जो जाना था। राखी एक दिन पहले ही खरीद लाई थी। उस्मने भी भैया को राखी बांध कर इस रिश्ते को और मजबूत बनाने के सपने सजा रखे थे। वैसे ही मायके बहुत दिनों बाद जाना हो रहा था।

सोच रही थी मिठाई और खरीद लूँगी, रास्ते से। पूरा काम करके, अच्छे से तैयार हो कर गेट से बाहर ही जा रही थी कि सास ने आवाज दी।

“मेघा आ रही है बहु! तुम उससे मिलकर चली जाना। थोड़ी देर की बात है…”

मीनल का अपनी ननद को जानती थी और अपनी सास को भी। फिर भी उसने सोचा क्यों अपना त्यौहार खराब करूँ, रुक जाती हूँ थोड़ी देर। मिलने में कोई बुराई नहीं है।

मीनल ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप सामान अंदर रख अपनी ननद की आने की तैयारी में लग गयी। उसका घर भी था ये, तो उसका सत्कार होना चाहिए।

सब काम निबटा कर वो मेघा का इंतजार करने लगी। लेकिन शाम को चार बजे तक मेघा का कोई अता-पता नहीं था।

मेघा को मीनल ने दो-तीन बार फोन लगाया। लेकिन घंटी पहुंच ही नहीं रही थी।

बहुत देर तक ट्राई करने पर पता चला कि माल घूमने गई मेघा पांच बजे घर आई। दोपहर का खाना शाम को हुआ। उसके बाद माँ-बेटी अपने कमरे में गप्पे मारने में व्यस्त हो गये।

मीनल की मम्मी का फोन कई बार आया।

“मम्मी, मेरी ननद आई है। मैं अब पता नहीं रात को भी आ पाऊँगी या नहीं…हो सके तो आप भैया को घर भेज दो!”

उसकी मम्मी उदास हो गयीं लेकिन कोई रास्ता न बचा। मीनल मन ही मन सोचने लगी, क्या घर की बहू के लिए कोई त्यौहार नहीं है? सिर्फ मेहमान नमाजी ही बहू का काम है? मेरे लिए भी त्यौहार ज़रूरी है। किसी को इतना नहीं हुआ कि मेरे बारे में सोचे?

लेकिन अब बारी मीनल की खुद के बारे में सोचने की थी। मीनल ने प्रण लिया कि अपनी खुशियों का वह ख्याल खुद रखेगी।

उसने अपना समान उठाया और अंदर सासु-माँ के कमरे में गयी कर कहा, “माँ, मैं अब अपने घर जा रही हूँ। इतना लेट हुआ है, सोच रही हूँ कल तक वापस आऊं। आप और मेघा आराम से गप्पें मारो। मैंने रवि से कह दिया है, वो मेरे को कल पिक कर लेंगे। भैया बाहर खड़ा है, मैं उसके साथ जा रही हूँ। बाय माँ! बाय मेघा!”

इतना कहती हुयी मेघा ख़ुशी-ख़ुशी अपने मायके रवाना हुई।

क्यों ठीक किया ना मेघा न?

मूल चित्र : Still from A Day Before Sister’s Wedding, TID/YouTube

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