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बहू! खाना बनाना सिर्फ तुम्हारा नहीं मेरे बेटे का भी काम है…

इधर भूमि के ऑफिस में इतना काम रहता था कि वो किचिन में ज्यादा वक्त नहीं दे पाती थी। सास के जाने के बाद भूमि ने खाना होटल से मँगवाया।

इधर भूमि के ऑफिस में इतना काम रहता था कि वो किचिन में ज्यादा वक्त नहीं दे पाती थी। सास के जाने के बाद भूमि ने खाना होटल से मँगवाया।

भूमि की शादी को कुछ ही दिन हुए थे। शादी के पहले उसने कभी काम नहीं किया था। अचानक घर के कामों की ज़िम्मेदारी उस पर आ गयी। पर भूमि ने किसी भी काम को कभी मना नहीं किया।

भूमि समझदार और पढ़ाई में अव्वल रहने वाली लड़की थी। माँ का सपना पूरा करने के लिए उसने मन लगा कर पढ़ाई की इसलिए घर का काम सीखने का वक्त ही नहीं मिला। भूमि की माँ ने तय कर रखा था कि मेरी बेटी जब अपने पैरों पर खड़ी हो जाएगी तभी उसकी शादी होगी। कड़ी मेहनत और लगन के कारण भूमि की जाॅब मल्टीनेशनल कंपनी में बहुत अच्छे पैकेज पर लग गई।

भूमि की शादी के लिए रिश्ते बड़े-बड़े घरों से आ रहे थे। जब पवन के घर से रिश्ता आया तो माँ पापा दोनों को पवन बहुत पसंद आया। उन्होंने बड़े धूमधाम से शादी करायी। भूमि की सास आशा जी, हमेशा कोशिश करती थीं कि भूमि को हर काम में परिपक्व कर दें और भूमि भी हमेशा सीखने की चाहत रखती थी।

भूमि की सास को एक दिन के लिए उनकी बहन के घर जाना पड़ा।

इधर भूमि के ऑफिस में इतना काम रहता था कि वो किचिन में ज्यादा वक्त नहीं दे पाती थी। सास के जाने के बाद भूमि ने खाना होटल से मँगवाया।

घर और ऑफ़िस के काम के बीच खाना बनाने का समय नहीं मिला। होटल का खाना खाने से पवन की तबियत बहुत खराब हो गई। फटाफट डॉक्टर से राय ले कर उसका इलाज शुरू किया गया। 

जब आशा जी बहन के घर से लौटकर आयीं तब भूमि ने रोते-रोते उन्हें सारी बात बताई। 

आशा जी ने भूमि की पूरी बात सुनी। कुछ देर चुप रह उन्होंने अपनी बहू  से कहा, “मत रो बेटा! तुम मेरी बेटी जैसी हो और यहाँ गलती मेरे बेटे की और मेरी भी है। पवन को भी ये ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए थी। मुझे पवन को घर का काम और खाना बनाना सिखाना चाहिए था। लकिन अभी भी देर नहीं हुयी!”

मूल चित्र: Still from Khilaaf, Mother & Daughters,YouTube

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