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सर्वाइकल कैंसर की पहचान के 5 लक्षण, इसका कारण और इलाज

क्या है सर्वाइकल कैंसर? इसके कुछ प्रमुख कारण क्या हैं? सर्वाइकल कैंसर की पहचान कैसे करें और क्या है इसका उपचार? क्या ये ठीक हो जाता है?

क्या है सर्वाइकल कैंसर? इसके कुछ प्रमुख कारण क्या हैं? सर्वाइकल कैंसर की पहचान कैसे करें और क्या है इसका उपचार? क्या ये ठीक हो जाता है?

कैंसर एक ऐसा शब्द है जो किसी भी इंसान में भय उत्पन्न कर देता है। कोई भी नहीं चाहता कि कैंसर शब्द उसके जीवन में आये। इस बीमारी का भय इतना गहरा होता है कि ये ना सिर्फ शरीर कमजोर करता है बल्कि साथ ही मनोबल भी तोड़ता है।

मेडिकल साइंस की इतनी तरक्की के बाद भी दुनिया में कई ऐसी बीमारियां हैं जिन्हें ले कर ये भ्रम है कि उनका ईलाज संभव नहीं। ऐसा ही कुछ कैंसर के साथ भी है, लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है कि कैंसर का कोई इलाज़ नहीं है। समय रहते ईलाज हो तो इस बीमारी से भी पूरी तरह ठीक हुआ जा सकता है।

वैसे तो कैंसर कई तरह के होते हैं, लेकिन सर्वाइकल कैंसर के मामले महिलाओं में सबसे अधिक पाये जाते हैं। सर्वाइकल एरिया में होने के कारण कैंसर के इस रूप को सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है।

अपने आस पास कई महिलाओं को इस समस्या से जूझते देखने और आधी अधूरी जानकारी के कारण घबराता देखा जाता है। कैंसर का ये रूप भारतीय महिलाओं कैंसर से होने वाली मौतों का एक कारण है, लेकिन ये एक ऐसा कैंसर भी है जिससे बचाव और समय पे पता लगने से इसका इलाज दोनों ही संभव है।

आइये जाने क्या है सर्वाइकल कैंसर, इसके कुछ प्रमुख कारण, सर्वाइकल कैंसर की पहचान कैसे करें और उपचार

क्या है सर्वाइकल कैंसर( cervical cancer in Hindi)

गर्भाशय का कैंसर जिसे सर्वाइकल कैंसर या आम भाषा में बच्चेदानी के मुँह का कैंसर भी कहते हैं। महिलाओं में होने वाले कैंसर में सर्वाइकल कैंसर दूसरे स्थान पे आता है। ये तब होता है जब कोशिकाएं या टिश्यू आसमान्य रूप से गर्भाशय के प्रवेश द्वार के अस्तर में विकसित होती है जो की निचले गर्भाशय का संक्रीण हिस्सा होता है.

कैसे होता है सर्वाइकल कैंसर /सर्वाइकल कैंसर के कुछ कारण (cervical cancer kyun hota hai)

सर्वाइकल कैंसर की जो सबसे बड़ी वजह है वो है ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (HPV) HPV बहुत आम वायरस होता है जो एक व्यक्ति से दूसरे में शारीरिक सम्बंधों के दौरान आसानी से पहुंच जाता है।

ये इतना आम होता है की ज्यादातर लोग अपनी जिंदगी में इससे संक्रमित होते हैं लेकिन इस वायरस के लक्षण नहीं दिखने के कारण कई बार महिलाओं में ये अपने आप चला भी जाता है।  हालांकि अगर ये नहीं गया तो समय के साथ सर्वाइकल कैंसर का रूप ले लेता है।

इस वायरस के अलावा भी कई कारक हैं जिनसे सर्वाइकल कैंसर होता है। जैसे देर से माँ बनना, कम उम्र में सेक्सुअली एक्टिव होना,अधिक बच्चों को जन्म देना या एक से अधिक सेक्स पार्टनर का होना।

सर्वाइकल कैंसर के 5 लक्षण: सर्वाइकल कैंसर की पहचान कैसे करें

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण कई बार शुरुआत में दिखते ही नहीं या बहुत मामूली होते हैं। आमतौर पे जागरूकता की कमी से महिलाये सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती लक्षणों पे ध्यान ही नहीं देतीं लेकिन जैसे जैसे ये बीमारी बढ़ती है सर्वाइकल कैंसर के कुछ निम्न लक्षण स्पष्ट नज़र आने लगते हैं।

  • सेक्स के दौरान या उसके बाद ब्लीडिंग का होना
  • पीरियड्स के दौरान असामान्य ब्लीडिंग होना और दर्द होना
  •  पेट के निचले हिस्से में दर्द
  • सेक्स के दौरान दर्द होना
  • वेजाइना से सफ़ेद बदबूदार डिस्चार्ज होना

सर्वाइकल कैंसर को रोकने के कुछ सुझाव

कैंसर का रूप कोई भी हो वो होता एक इंसान को है लेकिन उसका असर पूरे परिवार पे होता है।  इसलिए ये बहुत जरुरी है की शरीर में होने वाले लक्षणों को समय पे पहचान उसका इलाज करवा लिया जाये।

कुछ उपाय और सुझाव को ध्यान में रख इस रोग से बचा भी जा सकता है –

  • कंडोम के बिना कई व्यक्तियों से यौन संपर्क से बचे
  • सेफ सेक्स करें
  • हर तीन वर्ष पे एक पैप टेस्ट करवाये
  • स्मोकिंग को छोड़ दें
  • मोटापे से दूर रहें
  • सबसे जरुरी है हर महिला सर्वाइकल कैंसर का वैक्सीन लें जो अब सिर्फ एक डोज़ में आता है। डॉक्टर से सलाह कर जितनी जल्दी ये टीका लिया जायेगा सर्वाइकल कैंसर का ख़तरा उतना ही कम हो जायेगा। ये वैक्सीन 12 से 14 वर्ष से ली जा सकती है। कुछ डॉक्टर 9 वर्ष में भी टीके को लेने की सलाह देते हैं। कम उम्र में टीका लेना अधिक फायदेमंद होता है।
  • बार बार प्रेग्नेंट होने से बचें
  • फलों, सब्जियों का सेवन और नियमित एक्सरसाइज से भी खुद को स्वस्थ रखा जा सकता है

जरुरी है महिलाओं में जागरूकता और समय पे मेडिकल चेकअप

बहुत जरुरी है महिलायें इस विषय में जागरूक हों और सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिये नियमित चेकअप करवायें। इसके साथ ही पैप स्मीयर टेस्ट जो सर्वाइक्स की कोशिकाओं में आने वाले बदलाव का पता लगाती है, जो सर्वाइकल कैंसर का कारण बनती है।

इस टेस्ट को 21 से 29 वर्ष की महिलाओं को हर तीन साल में करवाना चाहिये। वहीं 30 से 65 वर्ष की महिलाओं को पैप टेस्ट और HPV टेस्ट हर पांच साल में करवाना चाहिये।

सर्वाइकल कैंसर का उपचार

मेडिकल साइंस की तरक्की से अब कैंसर जैसी घातक बीमारी लाइलाज नहीं रही। आज के समय में इस बीमारी के सफल उपचार के लिये बहुत से विकल्प उपलब्ध हैं।

  • सर्जरी – सर्जरी के द्वारा इन्फेक्शन वाले हिस्से को काट कर हटा दिया जाता है
  • रेडिएशन थेरेपी -कैंसर सेल्स को मारने के लिये हाई एनर्जी एक्सरे बीम का इस्तेमाल होता है
  • कीमोथरेपी -इस प्रक्रिया में दवाओं के द्वारा कैंसर सेल्स को मारा जाता है
  • HPV इंजेक्शन से इन्फेक्शन रोका जा सकता है और रेगुलर स्क्रीनिंग से शुरुआती लक्षणों को पहचाना जा सकता है.
  • कोनाइजेसन – ये सर्जरी तब की जाती है जब सर्वाइकल कैंसर शुरुआत के चरण में होता है। इसमें डॉक्टर कैंसर सेल्स को हटा देते है जिससे कैंसर फैलता नहीं।

हम महिलाएं परिवार की धुरी

हम महिलाये अपने परिवार की धुरी होती है जो दिलोजान से सबका ख्याल रखती है लेकिन खुद को नजरअंदाज कर जाती हैं। छोटी-छोटी शारीरिक परेशानियों को नजरअंदाज करने की क़ीमत कभी कभी इतनी भारी हो जाती है जो उसका नतीजा पूरा परिवार उठाता है।

कुछ बातों को ध्यान में रख और नियमित चेकअप करवा और जरुरी टीके लगवा कर कई बीमारियों से बचा जा सकता है जिनमें सबसे प्रमुख सर्वाइकल कैंसर है। मेरी तो सभी महिलाओं से इतनी गुजारिश है की अपना ख्याल रखे नियमित एक्सरसाइज करे, संतुलित जीवन जिये क्यूंकि आप स्वस्थ होंगी तभी परिवार स्वस्थ होगा और एक स्वस्थ समाज का सपना सकारा होगा।

चेतावनी : ये लेख डॉक्टरी सलाह नहीं है। कृपया अधिक जानकारी के लिये अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य ले.

मूल चित्र : Science Photo Libraray via Canva Pro

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