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उसके दिल का दर्द आज कौन समझ सकता था…

नायरा की इच्छा थी कि वह ससुराल जाने से पहले अपने मां-पापा के साथ ढेर सारा समय बिताये, पर उसके माता पिता के पास इतना वक्त कहां था।

नायरा की इच्छा थी कि वह ससुराल जाने से पहले अपने मां-पापा के साथ ढेर सारा समय बिताये, पर उसके माता पिता के पास इतना वक्त कहां था।

कनिका का दर्द आंखों में अब और ना सिमट सका और आंसू बनकर बह निकला। जब बेटी नायरा ने विदाई के समय कनिका को गले लगाया तो कनिका जो इतने दिनों से अंदर ही अंदर टूट रही थी अपने दर्द को अपने सीने में दबा कर, आज बेटी को सीने से लगाकर जी भर के रोई।

कनिका और उसके पति डॉक्टर राजेश दोनों स्त्रीरोग विशेषज्ञ चिकित्सक थे। दोनों जब साथ में कॉलेज में थे तभी से एक दूसरे को पसंद करते थे, पढ़ाई के बाद दोनों एक प्राइवेट अस्पताल में नौकरी करने लगे, और बाद में दोनों ने शादी कर ली। और शादी के कुछ साल बाद ही बेटी नायरा भी हो गई।

कुछ सालों तक दूसरे अस्पताल में काम करने के बाद दोनों ने अपना खुद का अस्पताल खोल लिया। खुद का अस्पताल था तो जिम्मेदारियां भी अधिक बढ़ गई थी। दोनों सुबह के गए रात में वापस आते। अक्सर कोई इमरजेंसी केस आ जाता तो रात में भी जाना पड़ जाता। पर जिस समय कनिका और राजेश ने अपना खुद का अस्पताल खोला था, उस समय बेटी नायरा तीन साल की ही थी और अस्पताल की व्यस्तता की वजह से दोनों चाह कर भी अपनी बेटी नायरा को इतना समय नहीं दे पाते थे जितना देना चाहिए था।

अक्सर जब कनिका रात में आती, तब तक नायरा सो चुकी होती थी। उस समय कनिका की सास थी इसलिए वह नायरा को संभाल लेती थी उसकी देख-रेख भी कर लेती थी। पर जब नायरा चार पांच साल की हो गई तो कभी-कभी अपनी मां के लिए बहुत जिद करती।

आखिर नायरा थी तो बच्ची ही, उसका दिल मां के लिए मचल उठता था। नायरा अपनी मां कनिका को फोन करके कहती, “मम्मा घर जल्दी आ जाओ ना, मुझे आपके और पापा के साथ घूमने जाना है, पार्क जाना है खेलना है।”

कनिका बेटी के लिए तड़प उठती थी, आखिर वह एक मां थी पर जिम्मेदारियां के आगे मां की ममता हार जाती और वह दिल मसोसकर रह जाती और नायरा से घर जल्दी आने का कहकर फोन रख देती।

पर जिस दिन भी कनिका समय पर घर आ जाती नायरा उसके आगे पीछे घूमती रहती। पूरे समय उसका मुंह ना बंद होता। घर, स्कूल, दोस्तों की सबकी बातें बताती रहती। पर जब धीरे-धीरे नायरा बड़ी होने लगी तो वह बड़ी जल्दी अपने मां-बाप की मजबूरियों को समझने भी लगी थी कि उसके माता-पिता सबकी जरूरतों और सुख सुविधाओं के लिए ही तो इतनी मेहनत कर रहे हैं। और फिर दादी पोती का एक अलग ही रिश्ता बन गया था दोनों साथ खूब मजे करते थे।

पर जब एक दिन अचानक कनिका की सास चल बसी तो कनिका और राजेश को नायरा की देखरेख के लिए कोई रास्ता नहीं सूझा, तो उन्होंने उसे हॉस्टल में डाल दिया।

कनिका नायरा से दिन में एक बार फोन पर बात कर लेती थी। कभी समय मिलता तो हॉस्टल में मिल भी आती। पर जब छुट्टियों में नायरा घर आती तो वह अपने मां-बाप के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहती थी। पर कनिका और राजेश व्यस्तता के कारण उसे मनचाहा समय न दे पाते।

अब जब नायरा की पढ़ाई पूरी हो गई थी तो उसने अपने ही एक दोस्त से शादी की इच्छा जताई। कनिका और राजेश को हर लिहाज से लड़का और यह रिश्ता बहुत पसंद आया था इसलिए सब कुछ बहुत जल्दी तय हो गया और शादी की तारीख भी पड़ गई।

कनिका और राजेश अपने काम के साथ-साथ शादी की भी तैयारियां करने लगे, लेकिन अस्पताल का काम भी चलता रहता। नायरा की इच्छा थी कि वह ससुराल जाने से पहले अपने मां-पापा के साथ ढेर सारा समय बिताये, पर उसके माता पिता के पास इतना वक्त कहां था। और वह भी तो उनके काम को समझती थी। इतने पेशेंट्स कैसे छोड़ते वो। वो भी उनकी ज़िम्मेदारी थे।

पर जब शादी को कुछ ही दिन रह गए तो कनिका ने कैसे भी करके अपने अस्पताल से छुट्टी ले ली। केवल इमरजेंसी केस के लिए ही फोन करने के लिए बोला था। क्योंकि नायरा की शादी नजदीक आ रही थी, अब उसका दिल घबराने लगा था।

बेटी के साथ चार पल ना बिता पाने की जो कसक थी उसके मन में आज दिल का दर्द बन गया था। जैसे-जैसे बेटी की विदाई नजदीक आ रही थी वैसे-वैसे वह अंदर से टूट रही थी। वह अकेले में रो लेती थी कि अब फोन करके घर बुलाने वाला कोई नहीं रहेगा, बस उसकी यादें रह जाएंगी और जब बेटी ने विदाई के समय गले लगाया तो वह बेटी को सीने से लगाकर फूट कर रो पड़ी थी।

मूल चित्र : Still from Biba – Change The Perspective/bibaindia, YouTube

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