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कन्यादान से कन्यामान: आलिया भट्ट के नए ऐड का प्रोग्रेसिव मैसेज

मोहे के कन्यादान ऐड में आलिया भट्ट एक अहम सवाल पूछती हैं- लड़की क्या कोई दान करने की चीज़ है? क्यों सिर्फ कन्यादान? क्यों बेटी पराई है?

मोहे के कन्यादान ऐड में आलिया भट्ट एक अहम सवाल पूछती हैं- लड़की क्या कोई दान करने की चीज़ है? क्यों सिर्फ कन्यादान? क्यों बेटी पराई है?

अभिनेत्री आलिया भट्ट के हाल ही में आये एक ब्राइडल वियर ब्रांड के साथ विज्ञापन को लेकर सोशल मीडिया पर कंट्रोवर्सी हो रही है। मोहे ब्रांड के इस विज्ञापन में परंपराओं और रीति-रिवाजों को नए सिरे से पेश किया है। इसमें कन्यादान से कन्यामान करने की बात कही गयी है। 

आलिया भट्ट के कन्यादान ऐड में शादी के मंडप में बैठी आलिया पूछती है कि घर में सबकी लाड़ली होने के बाद भी उसे हमेशा पराया क्यों कहा जाता है। क्या ये घर मेरा नहीं है? मैं पराया धन तो नहीं हूँ!? मैं क्या कोई दान करने की चीज़ हूँ? क्यों सिर्फ कन्यादान? क्यों लड़कियों से कहा जाता है कि एक दिन तुम्हें अपने घर जाना है? 

अंत में, अभिषेक वर्मन द्वारा निर्देशित, इस विज्ञापन में लड़के के माता-पिता भी अपने बेटे को भी ‘देने’ के लिए हाथ बढ़ाते हैं।

तो ये विज्ञापन समानता और सम्मान की मांग कर रहा है। मोहे ब्रांड का विज्ञापन ‘अगर आपकी लड़की हमारी तो हमारा लड़का आपका’ भी कह रहा है। जिस तरह एक घर को बेटी मिल रही है वैसे ही दूसरे घर को एक बेटा मिल रहा रहा है। तो इसमें कुछ गलत नहीं है।

आलिया भट्ट के कन्यादान ऐड पर नेटिज़न्स के रिएक्शंस

सोशल मीडिया पर इसे हर तरह के रिएक्शंस मिल रहे हैं। कई यूज़र्स को ये एक सकारात्मक और प्रोग्रेसिव मैसेज लग रहा है। एक यूजर लिखती हैं, “कॉसेप्ट बहुत प्यारा है। इस खूबसूरत विज्ञापन में जितनी भी लाइन्स आलिया ने बोली है वे सब सही हैं और हर एक लड़की को ये बात महसूस होती कभी न कभी कहीं न कहीं। ये विज्ञापन देखने के बाद हर लड़की को अच्छा लगेगा और हम कोशिश करेंगे कि ये लागू भी कर पाएं।’ 

तो वहीं कुछ का कहना है कि आलिया भट्ट का नया विज्ञापन हिन्दू धर्म का अपमान कर रहा है। उनके अनुसार, मोहे अन्य धर्मों में समस्याग्रस्त प्रथाओं के बारे में बात नहीं करते हुए हिंदू विवाहों में एक सेक्सिस्ट प्रथा के बारे में बातचीत शुरू करके धार्मिक भावनाओं को आहत कर रहे हैं। 

हमें ऐसे विज्ञापनों की ज़रूरत है जो हमें ऐसे मुद्दों पर बात करने लिए मजबूर करते हैं

खैर, ये पहली बार नहीं है जब किसी अच्छे विज्ञापन को इस तरह से बॉयकॉट किया हो। 2020 में आये तनिष्क ब्रांड की एक्त्वम सीरीज के 2 विज्ञापनों को वापस ले लिए गया था। लेकिन हम हमेशा धर्म पर आकर ही क्यों अटक जाते हैं? हम धर्म के नाम पर महिलाओं को ही क्यों निशाना बनाते हैं? 

मोहे ब्रांड के इस विज्ञापन के आने के बाद से ही आलिया भट्ट और उनके परिवार को भी व्यक्तिगत रूप से ट्रोल किया जा रहा है। जबकि हमें हर उस विचार और राय से सहमत होने की ज़रूरत नहीं है जो हमें दी गई है, हम इसके लिए एक महिला पर व्यक्तिगत रूप से उस पर हमला करने को कैसे सही ठहरा सकते हैं? 

आलिया भट्ट ने इस कन्यादान ऐड को लेकर कहा, “मैं पूरी तरह से इस विचार में विश्वास करती हूं और यह मेरे दिल के बहुत करीब है। मुझे खुशी है कि मैं इस फिल्म का हिस्सा बन सकी और एक संदेश दे सकी जो समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।” 

ट्रॉल्लिंग और नेगेटिव कमैंट्स के बावजूद भी हमें ऐसे विज्ञापनों की ज़रूरत है जो हमें ऐसे मुद्दों पर बात करने लिए मजबूर करते हैं। ये सेक्सिस्ट और कास्टिस्ट रूढ़िवादी धारणाओं को उजागर करते हैं और इस पर हमारी मानसिकता पर एक नज़र डालते हैं।

जिस तरह से मान्यवर के इस ऐड पर नेटिज़न्स के रिएक्शंस हैं उससे पता चलता है कि हमे एक समान समाज के लिए अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। 

मूल चित्र : Still from the advertisement, Manyavar, YouTube

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Shagun Mangal

A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...

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