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तुम भविष्य पैदा करने के लिए हो, लेकिन भविष्य का हिस्सा नहीं…

शादी हो जाये तब पत्नी का ख्याल रखने के नाम पर उसके दिमाग को घर की चार दीवारी में कैद करना और उसकी गलती पर उसे एक "जड़ देना"...

शादी हो जाये तब पत्नी का ख्याल रखने के नाम पर उसके दिमाग को घर की चार दीवारी में कैद करना और उसकी गलती पर उसे एक “जड़ देना”…

रेप की घटना भारत में कोई खास लहर नहीं लाती। एक दिन में अठ्ठासी बलात्कार के डाटा के साथ खड़े भारत में, बेटियों का गौरवशाली इतिहास लक्ष्मी बाई से शुरू कर मीराबाई चानू तक आ कर रुकता है। गौरव के पल हम चुन-चुन कर याद रखते हैं और बाकि तमाम बेटियों को भूल जाने में हमे कोई शर्मिंदगी नहीं होती।

जहां एक तरफ आधी आबादी बलात्कार जैसे कृत्य के लिए केवल फांसी की सज़ा की गुहार लगा रही है वही हमारे न्यायलय लगातार हमे शर्मिंदा करने पर आमादा है।

गए मार्च में आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में एक छात्र – उत्स्व कदम ने अपनी सहपाठी का बलात्कार किया।

आगे बढ़ने से पहले एक महत्वपूर्ण बात पर गौर कीजियेगा।

यौन कुंठा और उससे पैदा होने वाले क्राइम का पढ़ाई लिखाई, घर-परिवार, परवरिश, उम्र से कोई लेना देना नहीं है। भीतर के जानवर को काबू में न रखना पुरुष होने की पहली पहचान मानी जाती है। पुरुष जाति में श्रेष्ठता और औरत पर बिना पूछे अधिकार को उनके ज़हन में कूट कूट कर भरा गया है।

अपनी बंदी चुन कर उसकी सुरक्षा में ऐसे लगना कि उसका दम घुट जाये। उसकी ‘ना’ में भी ‘हाँ’ समझने का गुर तो भाइयों के भाई सल्लू भाई भी घोट के पिलाते हैं!

शादी हो जाये तब पत्नी का ख्याल रखने और उसे सारी सुख सुविधा देने के नाम पर उसके दिमाग को घर की चार दीवारी में कैद करना। उसकी गलती पर उसे एक “जड़ देना”…

अपनी यार दोस्तों के बीच औरत को मांस का लोथड़ा समझ मज़ाक करने से ले कर अधेड़ उम्र में किसी बच्ची को छूने तक की घिनौनी हरकत पुरुष होने के माप दंडो पर आ कर सज़ा से दूर हो जाती है।

कुत्ते की पूंछ को सालों तक नली में डालो तब भी टेढ़ी होगी, ये हम मानते हैं, बस मन मसोसता है कि न तो पूंछ काटी जाती है न इन्हें कुत्ता ही बोला जाता है।

बहरहाल!

8 मार्च 2021 को आईआईटी गुवाहाटी में अपनी सहपाठी के रेप के इलज़ाम में 3 अप्रैल 2021 को गिरफ्तार हुआ छात्र, कल यानि 24 अगस्त 2021 को बेल पर रिहा होता है। बेल की जजमेंट में कोर्ट ने लिखा है कि “रेप करने वाला देश के भविष्य की धरोहर है और इस बिनाह पर उसे बेल दी जा रही है!”

बेल का अर्थ है अब वो सबूतों के साथ छेड-छाड़ करने के लिए आज़ाद है।

ऐसे तमाम मामले हम आये दिन सुनते हैं और यकीनन उन्नाओ जिले का केस लोगों के ज़हन से उतरा नहीं होगा।

बलात्कार पीड़िता ने खुल कर ये प्रश्न किया है कि अगर बलात्कारी उत्सव कदम देश का भावी भविष्य है तो मैं कौन हूँ?

पीड़िता का, मेरा आपका सभी का होगा कि अगर एक पुरुष जो कि गुनहगार है देश का भविष्य है तो देश की नारी क्या है? क्या उसे भविष्य में नकार दिया गया है? या नारी के खिलाफ होने वाले अपराध माफ़ कर दिए गए हैं?

एक ही शिक्षण संस्थान में पढ़ने वाली पीड़िता और गुनहगार में से कानून गुनहगार को देश का भविष्य बता रहा हैं। नए भारत की तेज़ी से बदलती तस्वीर में औरत भविष्य पैदा करने के लिए है किन्तु खुद भविष्य का हिस्सा नहीं।

एक सवाल जिसका जवाब गुवाहाटी हाई कोर्ट के जज को ज़रूर देना चाहिए।

सवाल ये कि ये देश का ये भविष्य कल को जब कॉर्पोरेट की कुर्सी पर बैठेगा तब इसके ऑफिस की महिला कर्मी सुरक्षित होंगी?

आप कह सकते हैं कि बदल जायेगा। यकीनन ये अपने आपको रेपिस्ट कहलाना पसंद नहीं करेगा और दूसरा मौका देने के नाम पर पुरुष प्रजाति इसके आकस्मिक “यौन इच्छा” को “हीट ऑफ़ द मूमेंट” करार देगा और बस!

भारतीय न्यायलय ने पहली बार देश के भविष्य को पुरुष और नारी में बाँट कर भविष्य को पुरुष के हवाले कर दिया है।

पीड़िता के बारे में बलात्कारी के दोस्त सोशल मिडिया पर भद्दे मज़ाक व अनर्गल बातें लिख कर मानसिक प्रताड़ना दे रहें हैं। जिसके बारे में न तो कोर्ट ने सोचा न ही मानसिक शारीरिक और भावनात्मक पीड़ा को कोई तवज्जो दी। न्ययाधीश को देश के पुरुष भविष्य की चिंता थी और उन्होंने बलात्कारी को बेल दे दी।

आज पीड़िता लड़ रही है किन्तु हो सकता है बहुत जल्द कोई उसे सलाह दे, “भूल जाओ सब! अब भी कोई मिल जाये तो शादी कर लो और अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ो।”

कितना आसान है न एक औरत के खिलाफ होने वाले अपराध से मुंह मोड़ना?

भारत की बेटियों की उपलब्धि पर सीना ठोकने वाले प्रधानमंत्री क्या वाकई भविष्य में औरतों को नहीं केवल पुरुषों को देखते हैं?

क्या शिक्षा के रस्ते पर चल कर भी बराबरी केवल भ्रम रहेगी? आधी आबादी के सवाल बहुत हैं और जवाब देने में ये समाज और देश असक्षम और हम बेटियों से शर्मिंदा।

मूल चित्र :  Still from Short Film The Perfect Match, Pocket Films/YouTube(for representational purpose only)

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Sarita Nirjhra

Founder KalaManthan "An Art Platform" An Equalist. Proud woman. Love to dwell upon the layers within one statement. Poetess || Writer || Entrepreneur read more...

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