कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

ये है 2021 और दीपिका पादुकोण को रणवीर सिंह के बराबर फीस मांगने का है पूरा हक़!

संजय लीला भंसाली की फिल्म बैजू बावरा को रणवीर सिंह के साथ दीपिका पादुकोण को भी ऑफर किया गया लेकिन दीपिका की फीस...

संजय लीला भंसाली की फिल्म बैजू बावरा को रणवीर सिंह के साथ दीपिका पादुकोण को भी ऑफर किया गया लेकिन दीपिका की फीस…

औरतों से असमानता हर स्तर पर ज़ाहिर है। आप चाहें एक हाउसवाइफ़ हो या फिर कोई बड़ी स्टार, अक्सर महिलाओं के काम को पुरुषों की अपेक्षा कम ही आंका जाता है। ये जानते हुए भी कि औरतें भी अपने काम के प्रति उतनी ही गंभीर होती हैं, उन्हें कम अवसर और कम तनख्वाह दी जाती है। जेंडर पे के मुद्दे पर आए दिन बहस तो होती है लेकिन कोई नतीजा सामने नहीं आता।

सिनेमा जगत में भी लंबे समय से जेंडर पे के कई मामले सामने आए हैं। हाल ही में फिर से एक किस्सा सामने आया है। जानी-मानी बॉलीवुड अदाकार दीपिका पादुकोण को एक फिल्म सिर्फ़ इसलिए गंवानी पड़ रही है क्योंकि उन्होंने फिल्म प्रोडक्शन की नज़र में ज़्यादा फीस मांग ली थी।

बैजू बावरा से दीपिका क्या हो जाएंगी बाहर?

निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म बैजू बावरा को उनके पति और को-एक्टर रणवीर सिंह के साथ दीपिका पादुकोण को भी ऑफर किया गया लेकिन उनकी केवल ये शर्त थी कि उन्हें भी अपने को-एक्टर के बराबर फीस मिले और वो क्यों ना मांगे? क्या उनकी पॉपुलैरिटी कम है, क्या उनकी मेहनत कम है, नहीं, लेकिन फिर भी, कई ख़बरों के मुताबिक उन्हें फिल्म से हटा दिया गया। इस खबर के मुताबिक, संजय लीला ने अभी इसकी ऑफिशियल घोषणा नहीं की है। 

देखा जाए तो दीपिका पादुकोण अपने पति रणवीर सिंह से पहले ही स्टारडम हासिल कर चुकी थीं और अपनी मेहनत और एक के बाद एक कई पावरफुल परफॉर्मेंस के बलबूते पर ही वो हिंदी सिनेमा की सबसे ज़्यादा फीस लेने वाली अभिनेत्री बनीं तो अपने को-एक्टर के बराबर फीस मांगने में क्या ग़लत है?

करीना, प्रियंका समेत कई और एक्ट्रेस ने भी उठाई आवाज़

कुछ दिन पहले करीना कपूर ख़ान के साथ भी ऐसा ही हुआ। ख़बरों के मुताबिक, उन्होंने रामायण फिल्म में सीता की भूमिका निभाने के लिए 12 करोड़ की रक़म मांगी जिसके बाद मेकर्स ने अपने हाथ पीछे खींच लिए और उनकी जगह किसी नए चेहरे को ये रोल देने का फ़ैसला किया। इतनी फीस मांगने पर ट्रॉल्स करीना के पीछे पड़ गए कि सीता जैसे किरदार के लिए भी फीस बढ़ा दी, ये तो ग़लत है, और भी ना जाने क्या-क्या। लेकिन क्या यही ट्रॉल्स अभिनेताओं की फीस पर कभी अफ़सोस जताते हैं? मेरे ख़्याल से तो नहीं।

इंटरनेशनल स्टार बन चुकीं अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने भी जेंडर पे के इस भेदभाव को झेला है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि सिनेमा में अपने शुरुआती सफ़र के दौरान ज़्यादा फीस मांगने पर उनसे रोल छीनने और फिल्म से निकालने की बातें की जाती थी। अनुष्का शर्मा कहती हैं कि फिल्म इंडस्ट्री में एक्ट्रेसस को एक्टर की फीस का एक चौथाई दिया जाता है और हम चाहें तो भी एक अभिनेता से ज़्यादा नहीं कमा सकते।

अभिनेताओं की मोटी फीस पर क्यों नहीं होता हल्ला

एक तरफ़ जहां अभिनेत्रियों की फ़ीस पर इतना बवाल हो जाता है वहीं अभिनेताओं की फीस पर कभी हो-हल्ला नहीं होता उल्टा उन्हें फ्लॉप फिल्में देने के बाद भी स्टार ही कहा जाता है क्योंकि सिनेमा भी हमारे पितृसत्तात्मक समाज की तरह मेल डोमिनेटेड है।

उनकी पिछली कई फिल्में बड़े पर्दे पर धराशायी हो गई लेकिन फिर भी अपनी अगली फिल्म पठान के लिए शाहरुख़ ने 100 करोड़ रुपए की मोटी फीस मांगी। अक्षय कुमार एक फिल्म के लिए 90-110 करोड़ तक चार्ज करते हैं तो सलमान खान हर फिल्म से कम से कम 105 करोड़ रुपए कमा लेते हैं।

चलिए ये सभी अभिनेता अपने ज़माने में स्टार रह चुके हैं और इनका आज भी अलग फैनबेस है। ये भी मान लेते हैं लेकिन नए अभिनेता भी अपनी को-एक्ट्रेस से ज़्यादा ही कमाते हैं। आयुष्मान ख़ुराना की हालिया फीस 6-8 करोड़ है, रणवीर सिंह 9-12 करोड़ रुपए और महज़ 9 फिल्मों पुराने कार्तिक आर्यन अपनी आगामी फिल्म धमाका के लिए 20 करोड़ रुपए कमाए हैं।

जब एक अभिनेता इतने पैसे मांग सकता है तो एक नामी अभिनेत्री ज़्यादा फीस क्यों नहीं मांग सकती? 2017 के एक सर्वे के मुताबिक एक हीरोइन अपने हीरो की फीस का केवल 38% कमाती है।

ये माना जा सकता है कि पहले समय में मेल एक्टर के नाम पर अधिकतर फिल्में चलती थीं लेकिन अब तो एक से बढ़कर एक फीमेल सेंट्रिक फिल्में आती भी हैं और चलती भी है। कई अभिनेत्रियों ऐसी हैं जो अपने दम पर फिल्म चलाती हैं तो फिर बराबर फ़ीस मांगने में क्या ग़लत है? लेकिन ये घुन तभी ख़्तम होगा, जब डायरेक्टर को लगेगा कि उसकी हीरोइन भी उतना ही डिज़र्व करती हैं,  जब दर्शक सिर्फ मेल एक्टर के नाम पर फिल्म देखने नहीं जाएंगे, जब मेकर्स को लगेगा कि फिल्म के पैसा कमाने में हीरोइन की भी बराबरी की साझेदारी है।

जेंडर पे गैप एक ग्लोबल समस्या है जिसकी चपेट में सिनेमा से लेकर कॉर्पोरेट हर सेक्टर जकड़ा हुआ है और ये सिर्फ़ भारत में नहीं बल्कि हर देश में है। फिलहाल ‘दीपिका पादुकोण’ को ‘शाहरुख़ खान’ बनने में अभी कई अरसे लग जाएंगे।

मूल चित्र : Sanjay Leela Bhansali, Instagram 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

133 Posts | 485,872 Views
All Categories