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कुछ आशाओं के पेड़ भी हैं तो जिम्मेदारियों के पहाड़ भी तो हैं

अब भी मुझे जगना है उम्मीदों की मिटटी में कुछ इच्छाओं के बीज भी बोने हैं कुछ उनके फूल तोड़ने हैं फिर उनके फल भी लेने हैं।

अब भी मुझे जगना है उम्मीदों की मिटटी में कुछ इच्छाओं के बीज भी बोने हैं कुछ उनके फूल तोड़ने हैं फिर उनके फल भी लेने हैं।

मेरी धरती पर चाँद उतर आता है कभी-कभी
उसका नूर उसका सौन्दर्य, मुझे शांत करता है
बहलाता है मेरे अरमानों को, मेरे एहसासों को
देता है मुझे सुकून समझाता है मेरे मन को।

सारी दुनिया इक तसव्वुर सी है
जहाँ मेरे सपनों का आँगन है
मेरे दिल की बगिया भी है
नदियों सी इच्छायें भी हैं।

कुछ आशाओं के पेड़ भी हैं
तो जिम्मेदारियों के पहाड़ भी हैं
जहाँ अब भी मुझे जगना है
पर कुछ सपने बोने बाकी है।

उम्मीदों की मिटटी में
कुछ इच्छाओं के बीज भी बोने हैं
कुछ उनके फूल तोड़ने हैं
फिर उनके फल भी लेने हैं।

मूल चित्र: Prince Jewellers via Youtube 

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About the Author

SHALINI VERMA

I am Shalini Verma ,first of all My identity is that I am a strong woman ,by profession I am a teacher and by hobbies I am a fashion designer,blogger ,poetess and Writer . मैं सोचती बहुत हूँ , विचारों का एक बवंडर सा मेरे दिमाग में हर समय चलता है और जैसे बादल पूरे भर जाते हैं तो फिर बरस जाते हैं मेरे साथ भी बिलकुल वैसा ही होता है ।अपने विचारों को ,उस अंतर्द्वंद्व को अपनी लेखनी से काग़ज़ पर उकेरने लगती हूँ । समाज के हर दबे तबके के बारे में लिखना चाहती हूँ ,फिर वह चाहे सदियों से दबे कुचले कोई भी वर्ग हों मेरी लेखनी के माध्यम से विचारधारा में परिवर्तन लाना चाहती हूँ l दिखाई देते या अनदेखे भेदभाव हों ,महिलाओं के साथ होते अन्याय न कहीं मेरे मन में एक क्षुब्ध भाव भर देते हैं | read more...

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