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अपने बीते कल को देख कर मुस्कुराना ज़रूर…

कभी किसी वक्त उस पन्ने को पलट के देखना ज़रूर, अपने बीते हुए कल को निहारना ज़रूर, फिर एक बार तुम मुस्कुराना ज़रूर...

कभी किसी वक्त उस पन्ने को पलट के देखना ज़रूर, अपने बीते हुए कल को निहारना ज़रूर, फिर एक बार तुम मुस्कुराना ज़रूर…

आओ ज़िंदगी के उस पन्ने की बात करें
जिसने तुम्हें एक नया चेहरा दिया है,
जिसने तुम्हें मुसीबत से लड़ने का हौंसला दिया है,
जिसने तुम्हें आज फिर से जीना सिखाया है।

आओ आज उस पन्ने को पलट के देखें
जिसमें बरसों का धूल जमा हुआ है,
जो दिल के कोने में आज सुरक्शित है,
तुम्हारे नज़रों से दूर मगर मन के बहुत क़रीब है।

हाँ ये वो पन्ना है जिसे
ना तुम पलट के देखना चाहते हो,
ना ही जला के राख बना पाए हो।

कुछ खोके कुछ हासिल तुमने भी किया होगा
कुछ ग़लतियाँ तुमसे भी हुई होंगी,
क़ुसूर तुम्हारा भी उतना ही होगा
जितना उस वक्त का था
जब इस पन्ने ने अपना रूप रंग था अपनाया।

ज़िंदगी के ख़ूबसूरत किताब का वो पन्ना
आज भी जब हवा के झोंके से सामने आ जाता,
तुम्हें बीते हर कल के
हर पल को जीता हुआ दिखा जाता।

हाँ माना वो दर्द भरा है,
मगर उसने ही तुम्हें
हर मुश्किल में मुस्कुराना सिखाया है,
कभी किसी वक्त उस पन्ने को पलट के देखना ज़रूर। 

अपने बीते हुए कल को निहारना ज़रूर,
अपने हर तकलीफ़ को भूलाकर,
फिर एक बार तुम मुस्कुराना ज़रूर,
फिर एक बार तुम मुस्कुराना ज़रूर…

मूल चित्र: Still from Parachute India Ad Via Youtube 

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