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उफ्फ! ये लाल तो कमाल है…

मेरी लाल रंग की चुनर, लाल रंग में लहराती मेरी वो साड़ी, लाल रंग का सिंदूर, लाल रंग की मेरी बिंदिया, और वो लाल लहू का रंग...

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मेरी लाल रंग की चुनर, लाल रंग में लहराती मेरी वो साड़ी, लाल रंग का सिंदूर, लाल रंग की मेरी बिंदिया, और वो लाल लहू का रंग…

लाल है तो कमाल है
मेरी लाल रंग की चूनर, मेरी लाल रंग का पटियाला, लाल रंग में लहराती मेरी वो साड़ी, लाल रंग का सिंदूर, लाल रंग की मेरी बिंदिया, वो सुर्ख लाल जोड़ा मेरा

उफ्फ लाल है तो कमाल…

शर्म से झुके जो मेरी पलकें तो रुखसार पर आता है हल्का-हल्का वो रंग भी तो लाल है, थाली में सजा वो फूल भी तो है लाल, महबूब को देने के लिए धड़कते दिल से जो लिया वो गुलाब भी तो है लाल…

उफ्फ ये लाल है तो कमाल है…

आंखों में उफनते उस गुस्से का रंग भी है लाल, शहीद हुए सरहदों पर उनके लहू का रंग भी तो है लाल, वीर रस का पर्यायवाची भी लाल, महबूब की याद में आंसू छुपाते हुए और दूर तक देखते हुए सूरज का आसमान के आगोश में छुप जाने का रंग भी है लाल

उफ्फ ये लाल है तो कमाल है…

लाल रंग बहुत ही कमाल है पर कब तक? जब तक वो एक मासूम बच्ची को करता नहीं शर्मसार है, दिन दुनिया से अनजान अल्हड़,अबोध, मासूम सी आंगन में, बाजार में स्कूल की उन गलियों में जब पहली बार प्रकृति उसे देती महावारी का पहला उपहार है… थोड़े से जो कपड़ों पर उभर आए चंद लाल लहू के धब्बे उस मासूम के आत्मसम्मान को ना जाने तुम कितना हो झिंझोड़ते?

क्या कभी सोचा है तुमने, जो माहवारी की सौगात को गर ना दिया होता उसने?

जिस वंश, वर्ण या खानदान का गुणगान तुम दिन रात किया करते हो, नसों में दौड़ते हुए उस खून पर बहुत गर्व है तुम्हें, सोचो कभी आराम से, मां और पिता दोनों है तुम्हारे जन्म में सहभागी… ना हो अगर इस पृथ्वी पर एक भी नारी को महावारी… तेरा मेरा वजूद कभी हो ही नहीं पाएगा
अभागो जिस मां से जन्म लिया हो, उस लहू का रंग कब तुम पर असर दिखाएगा?

उफ्फ,लाल है तो कमाल है…

औरते भी बंद करें एक दूसरे को अब नीचा दिखाना, छोटी हो या बड़ी बेटी माहवारी की जानकारी देना और अपना फर्ज निभाना

बेटा या बेटी बंद करो प्रकृति की इस देन से नजरें चुराना…

जब तुम शिक्षित करती हो अपने घर के एक भी बेटे को, खोल देती हो तुम बरसों से शर्म और असमानता के बंद पड़े कई दरवाजे… माहवारी का लाल रंग उसके भी वजूद का एक अंश है, बस बहुत हुआ अब शुरू करो इस समाज की मरी पड़ी चेतना को जगाना…

और हां खुल के बोलो लाल है तो कमाल है!!

मूल चित्र : Abhishek Vyaas from Getty Images via Canva Pro

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