कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

शादी के बाद मैं ऑफिस और घर के काम कैसे करुँगी?

कुछ ऐसे कदम उठाना ज़रूरी है जिनसे महिलाओं का पारिवारिक और कामकाजी जीवन प्रभावित ना हो और खुशी-खुशी दोनों जगह वे संतुलन बिठा लें।

कुछ ऐसे कदम उठाना ज़रूरी है जिनसे महिलाओं का पारिवारिक और कामकाजी जीवन प्रभावित ना हो और खुशी-खुशी दोनों जगह वे संतुलन बिठा लें।

शादी के बाद हर लड़की की जिंदगी में परिवर्तन आते हैं, कुछ तो बहुत अच्छे से सामंजस्य बिठा लेती हैं पर कुछ की शिकायत रहती है कि जब से शादी हुई है सबके साथ एडजस्ट करने में ही सारी जिंदगी कट रही है।

खासतौर से कामकाजी लड़कियां उनको बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। कितना भी काम कर लो परिवार में कोई न कोई नाराज हो जाता है। घर का काम, ऑफिस का काम, सबके बीच सामंजस्य बिठाते पूरा दिन कट जाता है। इसके बाद भी पता चलता है कि किसी को संतुष्ट नहीं कर पाती।

‘पूरे दिन काम करते हुए थक जाती हूँ लेकिन लोगों की इच्छाएँ ही नहीं खत्म होती हैं। समझ ही नहीं आता क्या करूँ’ यह हर कामकाजी लड़की की शादी के बाद समस्या होती है। अधिकतर कामकाजी महिलाओं को इस बात का सामना करना पड़ता है।

पूरा दिन कुछ न कुछ करते रहने के बाद आखिर में पता चलता है कि परिवार में कोई ना कोई असंतुष्ट है क्योंकि उनके किसी काम में कोई कमी रह गई थी या कहें कि जानबूझ कर कई बार कमी निकाली गई।

ज्यादातर परिवारों को बहुओं से इतनी उम्मीदें होती हैं कि उन्हें किसी तरह की कोई रियायत दी ही नहीं जाती है और महिलाएं सबको खुश करने की चाह में पिसती चली जाती हैं। पर अगर कुछ ऐसे कदम उठाए जाएँ जिनसे उनका पारिवारिक और कामकाजी जीवन प्रभावित ना हो और खुशी-खुशी दोनों जगह वे संतुलन बिठा लें।

तो आइये जानें ऐसे कुछ कदम जिनसे आप दूसरों के साथ-साथ अपने आपको भी समय दे पाएँ –

योजना

कभी भी काम समय पर करना हो तो पहले से की गई तैयारी काफी काम आती है। इसके लिए आपको आने वाले हफ्ते की योजना रविवार को ही बना लेनी चाहिए। इस तरह से कई सारे ऐसे काम आपकी योजना में शामिल कर सकती हैं जो लंबे समय से हो नहीं पा रहे थे।

इस तरह पूरे हफ्ते की प्राथमिकता भी तय हो जाती है। अगर आप ज्यादा से ज्यादा काम समय पर कर लेंगी तो पूरे दिन काम समय पर होता रहेगा। और इससे आप भी संतुष्ट रहेंगी। इस तरह से आपको सारे काम करने का कुछ समय अलग से भी मिल जाएगा।

समय का चुनाव

अपने ऑफिस और घर के काम का वह समय चुनिए जो आपकी पूरी दिनचर्या के हिसाब से मेल खाता हो। आप अपने और परिवार के सदस्यों की सुविधा और सहयोग देखते हुए समय का चुनाव कर सकती हैं। यदि आपके काम की ओर से आप चिंतामुक्त होंगी तो आपकी ज़िंदगी में शांति रहेगी।

इसलिए पूरी कोशिश कीजिए कि आपको किसी तरह का तनाव न हो क्योंकि तनाव बहुत मानसिक दबाव बनाता है और ये दबाव कई सारे काम खराब करता है। आप शांत मन से अपने समय को अपने काम के अनुसार रखिए।

संबंध

परिवार के सदस्य और मित्र वही जो आपको ऑफिस के काम और घर दोनों में मदद कर सकते हैं। ऐसे लोग आपके कमजोर पड़ने पर आपकी मदद करेंगे।

सहयोग की जरूरत सबको पड़ती है इसलिए जरूरी है कि आप ऑफिस के साथ घर में भी सहयोग का वातावरण बना कर रखें। सहता मांगने से हिचकिचाएं नहीं। आप भी एक इंसान हैं और एक दूसरे का सहयोग ज़िंदगी आसान बनता है।

दूसरों से सीखें

बुद्धिमान वही होता है जो दूसरों की भूलों को देख कर सीखता है। अपनी जैसी स्थिति वाली महिलाओं से संपर्क कीजिये क्योंकि उनके अनुभव से आप सीखेंगी। उनके उदाहरण आप को सिखाएँगे कि किस कदम का क्या परिणाम हो सकता है।

अगर आप सब कुछ अच्छे से करना चाहती हैं तो इन बातों का ध्यान रखिए और देखिये आपकी जिंदगी कितनी आसान हो जाती है।

मूल चित्र: Still from Short Film LaghuShanka 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

SHALINI VERMA

I am Shalini Verma ,first of all My identity is that I am a strong woman ,by profession I am a teacher and by hobbies I am a fashion designer,blogger ,poetess and Writer . मैं सोचती बहुत हूँ , विचारों का एक बवंडर सा मेरे दिमाग में हर समय चलता है और जैसे बादल पूरे भर जाते हैं तो फिर बरस जाते हैं मेरे साथ भी बिलकुल वैसा ही होता है ।अपने विचारों को ,उस अंतर्द्वंद्व को अपनी लेखनी से काग़ज़ पर उकेरने लगती हूँ । समाज के हर दबे तबके के बारे में लिखना चाहती हूँ ,फिर वह चाहे सदियों से दबे कुचले कोई भी वर्ग हों मेरी लेखनी के माध्यम से विचारधारा में परिवर्तन लाना चाहती हूँ l दिखाई देते या अनदेखे भेदभाव हों ,महिलाओं के साथ होते अन्याय न कहीं मेरे मन में एक क्षुब्ध भाव भर देते हैं | read more...

49 Posts | 165,376 Views
All Categories